केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 22 जनवरी 2025 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना की 10वीं वर्षगांठ मनाई।
उद्देश्य
विशेषताएं
बाल लिंगानुपात में सुधार करना।
लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करना।
लिंग-आधारित, लिंग चयनात्मक गर्भपात को रोकना।
बालिकाओं की उत्तरजीविता और सुरक्षा की गारंटी देना।
बालिकाओं की शिक्षा और भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
शुरुआत: वर्ष 2015 में की गई थी।
प्रकार: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसे मिशन शक्ति के संबल वर्टिकल के तहत देश के सभी जिलों में केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्त पोषण प्रदान किया जाता है।
मंत्रालय: यह कार्यक्रम तीन मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से प्रबंधित किया जाता है:
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MoWCD)– समग्र प्रशासन, हितधारकों के साथ समन्वय, जागरूकता अभियान, प्रशिक्षण और निगरानी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH&FW)– गर्भाधान पूर्व और प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक (Pre-Conception & Pre-Natal Diagnostic Techniques: PC & PNDT) अधिनियम की देखरेख करता है, मूल्यांकन करता है और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देता है।
शिक्षा मंत्रालय– स्कूलों में नामांकन सुनिश्चित करने, शौचालय निर्माण, स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों को पुनः प्रवेश दिलाने और मेधावी बालिकाओं को प्रोत्साहन प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
योजना के घटक:
जागरूकता अभियान: बाल लिंगानुपात (CSR) में गिरावट और जन्म के समय लिंगानुपात (SBR) की समस्या के समाधान के लिए शुरू किया गया।
लिंग-संवेदनशील जिला हस्तक्षेप: 640 जिलों में लक्षित प्रयास किए गए, जिससे लिंगानुपात में सुधार हो सके एवं लड़कियों की शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाई जा सके।
वित्तीय प्रोत्साहन योजना: सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की गई, जिससे माता-पिता को बालिकाओं के लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
लक्षित लाभार्थी
बालिकाएं
महिलाएं
बड़े पैमाने पर समुदाय
निगरानी योग्य लक्ष्य:
चयनित लिंग-संवेदनशील जिलों में जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) को एक वर्ष में 2 अंक का सुधार करना।
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में लिंग आधारित असमानता को 2014 के 7 अंक (नवीनतम उपलब्ध SRS रिपोर्ट) से घटाकर प्रतिवर्ष 1.5 अंक तक कम करना।
संस्थागत प्रसव में प्रति वर्ष कम से कम 1.5% की वृद्धि सुनिश्चित करना।
पहली तिमाही में प्रसव पूर्व देखभाल (ANC) पंजीकरण में प्रति वर्ष कम से कम 1% की वृद्धि करना।
चयनित जिलों के प्रत्येक स्कूल में बालिकाओं के लिए कार्यशील शौचालय उपलब्ध कराना।
पांच वर्ष से कम उम्र की कम वजन वाली और एनीमिया से पीड़ित लड़कियों की संख्या को कम करके लड़कियों की पोषण स्थिति में सुधार करना।
एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) का सार्वभौमिकरण सुनिश्चित करना, बालिकाओं की स्कूल उपस्थिति और समान देखभाल को संयुक्त ICDS-NHM मातृ शिशु संरक्षण कार्ड के माध्यम से मॉनिटर करना।
POCSO अधिनियम, 2012के कार्यान्वयन के माध्यम से बालिकाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देना।
चुने हुए जनप्रतिनिधियों और जमीनी कार्यकर्ताओं को सामुदायिक चैंपियंस के रूप में प्रशिक्षित करना, ताकि वे समुदाय को बाल लिंगानुपात को सुधारने और बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित कर सकें।
योजना के तहत शुरू की गई प्रमुख पहलें
डिजिटल गुड्डी-गुड्डा बोर्ड: यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो जन्म दर में लिंग असमानता को प्रदर्शित करने और बालिका सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं व कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
उड़ान- सपने दी दुनिया दे रूबरू: यह एक पहल है, जो लड़कियों को उनके चुने हुए क्षेत्र में पेशेवरों के साथ काम करने और उनके कार्यों को समझने का अवसर प्रदान करती है।
मेरा लक्ष्य, मेरी मंज़िल अभियान: यह उच्च माध्यमिक विद्यालयों में उत्कृष्ट अकादमिक प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को सम्मानित करने के लिए चलाया गया एक आकांक्षी अभियान है।
आओ स्कूल चलें: यह एक स्कूल में नामांकन बढ़ाने से संबंधित अभियान है, जिसमें घर-घर जाकर बालिकाओं का पंजीकरण किया जाता है ताकि स्कूलों में बालिकाओं का 100% नामांकन सुनिश्चित किया जा सके।
बाल कैबिनेट: यह एक युवा नेतृत्व कार्यक्रम है, जहां छात्राएं सरकारी कैबिनेट और मंत्रिस्तरीय भूमिकाओं का अनुकरण कर सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करती हैं और समाधान का प्रयास करती हैं।