सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, केंद्र सरकार ने दूरसंचार (संदेशों के विधि सम्मत इंटरसेप्शन हेतु प्रक्रियाएं और रक्षोपाय) नियम, 2024 अधिसूचित किए हैं, जो भारत में टेलीफोन इंटरसेप्शन की अनुमति देता है।
नए नियम 2024 के मुख्य प्रावधान
- कानूनी आधार: ये नियम दूरसंचार अधिनियम, 2023 की धारा 56 के तहत अधिसूचित किए गए हैं। ये नियम भारतीय टेलीग्राफ नियमावली, 1951 के नियम 419 और 419A की जगह लेंगे।
- अधिकृत एजेंसियां: केंद्र सरकार लोक-आपातकाल (पब्लिक इमरजेंसी) या लोक-सुरक्षा (पब्लिक सेफ्टी) से जुड़ी चिंताओं के मामलों में मैसेज को इंटरसेप्ट करने के लिए एजेंसियों को अधिकृत कर सकती है, लेकिन इसके लिए सक्षम अधिकारी या संस्था से अनुमति लेना आवश्यक है।

भारत में फोन इंटरसेप्शन की वैधता
- दूरसंचार अधिनियम 2023: इस अधिनियम ने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 और भारतीय वायरलेस टेलीग्राफ अधिनियम 1933 को निरस्त कर दिया। ये कानून सरकार को संचार की निगरानी करने की अनुमति देते थे।
- यह किसी भी लोक-आपातकाल की स्थिति में या लोक-सुरक्षा के हित में दूरसंचार उपकरणों को इंटरसेप्ट करने का प्रावधान करता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम 2000: यह कानून डेटा के सभी इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन को इंटरसेप्ट करने की अनुमति देता है।
- अधिनियम की धारा 69 केंद्र या राज्य सरकार को किसी कंप्यूटर रिसोर्सेज से उत्पन्न, प्रेषित, प्राप्त या संग्रहीत किसी भी सूचना को इंटरसेप्ट, मॉनिटर या डिक्रिप्ट करने का अधिकार देती है।
- सूचना प्रौद्योगिकी (सूचना के अवरोधन, निगरानी और डिक्रिप्शन के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा) नियम 2009 में प्रावधान है कि सक्षम प्राधिकारी सरकार की किसी एजेंसी को किसी कंप्यूटर रिसोर्स से उत्पन्न, प्रेषित, प्राप्त या संग्रहीत किसी भी सूचना को इंटरसेप्ट, मॉनिटर या डिक्रिप्ट करने के लिए अधिकृत कर सकता है।
- पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) बनाम भारत संघ (1996) वाद: इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि फोन टैपिंग संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।
- हालांकि, फोन टैपिंग की अनुमति केवल उन्हीं मामलों में दी जानी चाहिए जो संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत मौलिक अधिकारों पर लगाए गए उचित प्रतिबंधों के दायरे में आते हों।
फोन इंटरसेप्शन नियमों से जुड़ी चिंताएं
- निजता के अधिकार का उल्लंघन: दूरसंचार अधिनियम में दूरसंचार की परिभाषा में "तार, रेडियो, ऑप्टिकल या अन्य विद्युत चुम्बकीय प्रणालियों के माध्यम से किसी भी मैसेज के ट्रांसमिशन, एमिशन (प्रसार) या रिसेप्शन (प्राप्ति)" को शामिल करके व्यापक बना दिया गया है। इसमें इंटरनेट-आधारित गतिविधि सहित सभी प्रकार के मोबाइल फ़ोन ट्रैफ़िक को कवर किया जा सकता है।
- इंटरसेप्शन आदेशों में व्हाट्सएप जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म तक को शामिल किया जा सकता है, जिससे एन्क्रिप्टेड सिस्टम भी निगरानी में आ सकते हैं।
- स्पष्टता का अभाव: लोक-आपातकाल और लोक-व्यवस्था की परिभाषा स्पष्ट नहीं होने के कारण सरकार वाजिब राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं की बजाय तुच्छ या राजनीतिक मंशा से भी संचार को इंटरसेप्ट कर सकती है।
- शक्तियों का केंद्रित होना: यह एग्जीक्यूटिव ब्रांच के भीतर समान रैंक के अधिकारियों को फोन इंटरसेप्शन का आदेश जारी करने और आदेश की समीक्षा करने की शक्ति देता है। इससे समीक्षा प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं रह जाती है।
- इससे ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है जहाँ राजनीतिक मंशा से या गैर-कानूनी इंटरसेप्शन बिना किसी निगरानी के की जाए। इससे यह संसद या न्यायपालिका जैसी स्वतंत्र संस्थाओं की निगरानी से बच सकते हैं। गौरतलब है कि ये संस्थाएं लोकतंत्र में जवाबदेही हेतु प्रमुख स्तंभ हैं।
- कुछ मामलों में रिकार्डेड डेटा को अनिश्चित काल तक रखना: नियमों के तहत इंटरसेप्ट किए गए मैसेज को भविष्य में उपयोग करने के उद्देश्य से अनिश्चितकाल तक सुरक्षित रखने की अनुमति दी जाती है। इसका रिकॉर्ड रखने के लिए कोई स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित नहीं है।
- दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSPs) के लिए सुरक्षा की कमी: दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए कोई सुरक्षा उपाय नहीं होने की वजह से वे अनधिकृत तरीके से किए जा रहे सर्विलांस को नजरअंदाज करते हुए अधिकारियों के साथ मिलीभगत करने का प्रयास कर सकते हैं।
- जवाबदेही का अभाव: इंटरसेप्शन के रिकॉर्ड को नष्ट करने में सक्षम अधिकारियों द्वारा निजी जानकारी के इंटरसेप्शन को जांच के दायरे से बाहर रखा जा सकता है। इससे सूचना के अधिकार (RTI) जैसे कानूनों के जरिए सूचना प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
आगे की राह
- कानून की अपने-अपने स्तर पर व्याख्या को सीमित करना: लोक आपातकाल और लोक व्यवस्था जैसी शब्दावलियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सर्विलांस केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है, न कि राजनीतिक मंशा के लिए।
- स्वतंत्र ओवरसाइट-संस्था की स्थापना करना: फ़ोन इंटरसेप्शन के आदेश की जांच करने और कानूनी प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए संसदीय या न्यायिक समीक्षा बोर्ड का गठन करना चाहिए।
- दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (Telecom Service Providers: TSPs) को सुरक्षा: इन्हें फोन इंटरसेप्शन के गैर-कानूनी आदेशों को मना करने के लिए अधिकार और दायित्व सौंपे जाने चाहिए।
- जवाबदेही:
- इंटरसेप्शन रिकॉर्ड्स का स्वतंत्र प्राधिकरण द्वारा नियमित रूप से ऑडिट किया जाना चाहिए, ताकि इसके दुरुपयोग को रोका जा सके।
- फोन इंटरसेप्शन की संख्या और इसके उद्देश्यों को समय-समय पर सार्वजनिक करने के लिए एक मैकेनिज्म तैयार करना चाहिए। हालांकि, इसे सार्वजनिक करते समय राष्ट्रीय सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए।
- फोन इंटरसेप्शन के अधिकारों का दुरुपयोग करने वाले सक्षम प्राधिकारी की स्वतंत्र तरीके से जांच कराई जानी चाहिए और दोषी पाए जाने पर उसकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए।