तापीय विद्युत संयंत्र और सल्फर डाइऑक्साइड (THERMAL POWER PLANTS AND SULPHUR DIOXIDE) | Current Affairs | Vision IAS
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तापीय विद्युत संयंत्र और सल्फर डाइऑक्साइड (THERMAL POWER PLANTS AND SULPHUR DIOXIDE)

Posted 05 Mar 2025

Updated 17 Mar 2025

18 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने तापीय विद्युत संयंत्रों (TPPs) को सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) उत्सर्जन मानदंडों का पालन सुनिश्चित करने के लिए चौथी बार समय-सीमा को बढ़ाया है।

अन्य संबंधित तथ्य

  • 2022 में जारी अधिसूचना के तहत तय समय-सीमा का विस्तार: मंत्रालय ने TPPs में फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD) सिस्टम स्थापित करने की समय-सीमा बढ़ा दी है।
    • 2022 की अधिसूचना के अनुसार, भविष्य में बंद नहीं होने वाले TPPs के लिए SO₂ मानकों के अनुपालन की समय-सीमा अलग अलग श्रेणियों के लिए सितंबर, 2022 में घोषित की गई थी:
      • श्रेणी A: 31 दिसंबर, 2024
      • श्रेणी B: 31 दिसंबर, 2025
      • श्रेणी C: 31 दिसंबर, 2026
  • नई अनुपालन समय सीमा: 
    • TPPs में फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD) सिस्टम स्थापित करने की नई समय-सीमा-
      • श्रेणी A: अब 31 दिसंबर, 2027
      • श्रेणी B: अब 31 दिसंबर, 2028
      • श्रेणी C: अब 31 दिसंबर, 2029
        • FGD प्रणाली: यह बॉयलरों, भट्टियों और अन्य स्रोतों द्वारा उत्पन्न फ्लू गैस से सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) को हटाने का कार्य करती है।
        • श्रेणी A: इसमें वे प्लांट शामिल हैं, जो NCR के 10 कि.मी. के दायरे के भीतर स्थित हैं या 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में स्थित हैं।
        • श्रेणी B: इसमें वे प्लांट शामिल हैं, जो गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों या ऐसे शहरों में स्थित हैं जो निर्धारित प्रदूषण मानकों का पालन करने में विफल रहे हैं।
        • श्रेणी C: इसमें अन्य सभी प्लांट्स शामिल हैं।
  • पृष्ठभूमि
  • 2015: MoEF&CC ने पहली बार भारत में SO₂, NOₓ और पारे (Mercury) को नियंत्रित करने के लिए उत्सर्जन मानदंड लागू किए। यह स्वीकार करते हुए कि कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र (TPP) प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। 
  • 2017: विद्युत मंत्रालय ने इसके लिए सात साल की समय सीमा वृद्धि की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल की अतिरिक्त मोहलत दी, जिससे नई समय सीमा 2022 तक बढ़ा दी गई।

सल्फर डाइऑक्साइड के स्रोत

  • प्राकृतिक स्रोत: ज्वालामुखी (67%)।
  • मानवजनित स्रोत:
    • जीवाश्म ईंधन (कोयला, भारी ईंधन तेल) का दहन (थर्मल पावर प्लांट, कार्यालय, फैक्ट्रियां);
    • कागज उद्योग;
    • जीवाश्म ईंधनों का निष्कर्षण और वितरण;
    • धातु को गलाना (सल्फाइड अयस्क से कॉपर, लेड, जिंक उत्पादन);
    • पेट्रोलियम रिफाइनरी;
    • डीजल, पेट्रोल और प्राकृतिक गैस चालित वाहनों में दहन प्रक्रिया

सल्फर डाइऑक्साइड के नियंत्रण के लिए सरकारी नियम

  • वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981: यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (SPCBs) को SO₂ उत्सर्जन की निगरानी और नियंत्रण का अधिकार देता है।
  • पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986: सरकार बिजली संयंत्रों, रिफाइनरियों और सीमेंट उद्योगों के लिए विशिष्ट SO₂ उत्सर्जन सीमाएं तय कर सकती है।
  • राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS): MoEF&CC ने SO₂ सहित विभिन्न प्रदूषकों की सांद्रता को नियंत्रित करने के लिए मानक स्थापित किए हैं।
  • BS-VI ईंधन मानक: वाहनों के लिए सख्त BS-VI उत्सर्जन मानक लागू किए गए हैं, जो ईंधनों में सल्फर की मात्रा को भी नियंत्रित करते हैं।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), 2019: यह MoEF&CC द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए शुरू किया गया है।
  • समीर (SAMEER) ऐप और सोशल मीडिया अकाउन्ट्स (Facebook, Twitter): ये CPCB द्वारा शुरू किए गए हैं। ये वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों के प्रदर्शन की निगरानी में बहुत प्रभावी रहे हैं।

आगे की राह

  • नियमों का कड़ाई से पालन करना: TPPs में (FGD) सिस्टम स्थापित करने की समय-सीमा को और नहीं बढ़ाना चाहिए।
  • फ्यूल क्लीनिंग: कोल बेनीफिकेशन जैसी तकनीकों को अपनाना चाहिए, जिससे कोयले को जलाने से पहले पाइराइटिक सल्फर को हटाया जा सके। कोल वाशिंग से लगभग 50% पाइराइटिक सल्फर और 20-30% कुल सल्फर को हटाया जा सकता है।
  • स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाना: राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन जैसी योजनाओं के माध्यम से हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना चाहिए।
  • Tags :
  • केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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