रक्षा मंत्रालय ने 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ के रूप में मनाने की घोषणा की (MINISTRY OF DEFENSE DECLARES 2025 AS ‘YEAR OF REFORMS’) | Current Affairs | Vision IAS
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संक्षिप्त समाचार

Posted 05 Mar 2025

Updated 24 Mar 2025

68 min read

रक्षा मंत्रालय ने 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ के रूप में मनाने की घोषणा की (MINISTRY OF DEFENSE DECLARES 2025 AS ‘YEAR OF REFORMS’)

रक्षा मंत्रालय की इस घोषणा का उद्देश्य सशस्त्र बलों को एडवांस तकनीक से लैस करके उनका आधुनिकीकरण करना है। इससे उन्हें मल्टी डोमेन में सक्षम ‘कॉम्बैट-रेडी यानी युद्ध-तत्पर बल’ बनाया जा सकेगा। 

  • साथ ही, इस घोषणा का लक्ष्य वर्तमान और भविष्य के सुधारों को गति देना भी है। ऐसे में भारतीय सशस्त्र बल विभिन्न क्षेत्रों (जैसे थल, जल, वायु, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस) में युद्ध संचालन को एकीकृत रूप से अंजाम देने में सक्षम होगा।

सुधारों के लिए ध्यान देने हेतु पहचाने गए क्षेत्र 

  • एकीकृत थिएटर कमान (ITC): एकीकृत थिएटर कमान की स्थापना को सुविधाजनक बनाने के लिए तीनों सेनाओं द्वारा एक साथ मिलकर काम करने और एकीकरण पहलों को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • एकीकृत थिएटर कमान वास्तव में त्रि-सेवा कमान होगा। इसमें थल सेना, नौसेना और वायु सेना की यूनिट्स शामिल होंगी। यह एकीकृत कमान सामूहिक रूप से किसी निर्धारित भौगोलिक क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियों से निपटेगा। 
  • नई प्रौद्योगिकियां और नए युद्ध क्षेत्र: साइबर और अंतरिक्ष युद्ध-क्षेत्र, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/ मशीन लर्निंग (AI/ML), हाइपरसोनिक्स जैसे क्षेत्रों में क्षमता विकास पर बल दिया जाएगा। इससे भारतीय रक्षा बल को ‘भविष्य के युद्ध’ के लिए तैयार रहने में मदद मिलेगी। 
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान साझा करना: इसके लिए व्यवसाय करना आसान बनाते हुए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा दिया जाएगा। 
  • सहयोग: इसके लिए निम्नलिखित प्रयास किए जाएंगे- 
    • तीनों सेनाओं द्वारा अलग-अलग कार्य करने को हतोत्साहित किया जायेगा;
    • असैन्य (सिविल) प्रशासन और सेना के बीच समन्वय बढ़ाया जाएगा,
    • तीनों सेनाओं के बीच सहयोग और प्रशिक्षण के माध्यम से संयुक्त परिचालन क्षमता विकसित की जाएगी। 
  • रक्षा निर्यात और अनुसंधान एवं विकास: भारत को रक्षा उत्पादों के लिए एक भरोसेमंद निर्यातक के रूप में पहचान दिलाने पर जोर दिया जाएगा। साथ ही, रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और साझेदारी को बढ़ावा दिया जाएगा।

 

  • Tags :
  • रक्षा मंत्रालय
  • रक्षा क्षेत्र में सुधार

वारफेयर में अग्रणी प्रौद्योगिकियां (FRONTIER TECHNOLOGIES IN WARFARE)

अग्रणी प्रौद्योगिकियां जैसे कि AI आधारित वारफेयर, प्रॉक्सी वारफेयर, अंतरिक्ष आधारित वारफेयर और साइबर हमले पारंपरिक वारफेयर के स्वरूप को बदल रहे हैं। इससे देशों की सुरक्षा के समक्ष बड़ी चुनौती उत्पन्न हो रही है।

वर्तमान वारफेयर में उपयोग की जाने वाली अग्रणी प्रौद्योगिकियां

  • AI आधारित वारफेयर: AI आधारित साधन जटिल निर्णयों जैसे लक्ष्य का चयन करने, असैन्य क्षति का आकलन करने, सुझाव प्रदान करने आदि में सहायता के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। उदाहरण के लिए AI संचालित ड्रोन।
  • इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वारफेयर: यह युद्ध क्षेत्र में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऊर्जा का उपयोग कर आक्रामक और रक्षात्मक प्रभाव उत्पन्न करने की सैन्य क्षमता है।
  • अंतरिक्ष आधारित वारफेयर: बाहरी अंतरिक्ष में सैन्य अभियान सामरिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए गतिज (भौतिक) और गैर-गतिज (इलेक्ट्रॉनिक, साइबर) दोनों साधनों का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए एंटी-सैटेलाइट (ASAT) हथियार।
  • साइबर हमले: कंप्यूटर सिस्टम में अवैध रूप से प्रवेश करके किसी देश के महत्वपूर्ण डेटा को चुरा लिया जाता है। उदाहरण के लिए कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में साइबर सुरक्षा हमला। 

अग्रणी प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दे

  • अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष चुनौतियां: तकनीकी क्षमताओं में असमानता और गैर-राज्य अभिकर्ताओं को उन्नत प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता के कारण वैश्विक अस्थिरता का खतरा बढ़ गया है।
  • कानूनी खामियां: वारफेयर में इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग के मामले में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अभाव के चलते मानवाधिकार उल्लंघन की संभावना बढ़ जाती है।
  • दोहरे उपयोग संबंधी दुविधा: शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बनाई गई प्रौद्योगिकियां सैन्य उपयोग के लिए पुनः उपयोग की जा सकती हैं। इससे असैन्य और सैन्य तकनीक के बीच का दायरा समाप्त हो जाता है।
  • अन्य मुद्दे: एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह के जोखिम, जवाबदेही के मुद्दे, AI आधारित हथियारों की हौड़ की संभावना आदि।
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  • वारफेयर में उपयोग की जाने वाली अग्रणी प्रौद्योगिकियां

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (INDIAN CYBERCRIME COORDINATION CENTRE)

हाल ही में, केंद्रीय वित्त मंत्री ने बैंकों से वित्तीय धोखाधड़ी की जांच के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के साथ एकीकरण को पूरा करने को कहा।

  • I4C के साथ एकीकरण के बाद, वित्तीय धोखाधड़ी की कोई भी शिकायत, त्वरित आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित बैंक को भेजी जाएगी।

‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)’ के बारे में

  • मंत्रालय: इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया है। 
  • उद्देश्य:
    • विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के मामलों से निपटने के लिए एक केंद्रीय हब के रूप में कार्य करना। साथ ही, शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को आसान बनाना और रुझानों का विश्लेषण करना भी शामिल है।
    • जन जागरूकता बढ़ाते हुए साइबर अपराधों के बारे में सचेत करना और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा सक्रिय कार्रवाई सुनिश्चित करना। 
    • साइबर-अपराध से संबंधित क्षेत्रों में पुलिस, अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों के क्षमता निर्माण में मदद करना।

 

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  • I4C
  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र

पिग बुचरिंग स्कैम (PIG-BUTCHERING SCAM)

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2023-24 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में “पिग बुचरिंग स्कैम (Pig butchering scam)” या “निवेश घोटाला” नाम के नए साइबर फ्रॉड के प्रति लोगों को आगाह किया। 

पिग बुचरिंग स्कैम के बारे में

  • यह एक प्रकार की वैश्विक घटना है। इसमें बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग और यहां तक ​​कि साइबर गुलामी भी शामिल है।
  • इसमें साइबर अपराधी समय के साथ किसी व्यक्ति पर विश्वास कायम करते हैं। उन्हें किसी आकर्षक योजना में निवेश शुरू करने और इसे बढ़ाते रहने के लिए राजी किया जाता है। भरोसा कायम करने के बाद वे गायब हो जाते हैं। इस तरह निवेशकों का पैसा डूब जाता है।  
    • पिग बुचरिंग स्कैम यानी सूअर काटने की उपमा सूअरों को उनके वध से पहले मोटा करने के अभ्यास से आई है।
  • इस स्कैम में मुख्य रूप से बेरोजगार युवाओं, गृहणियों और छात्रों के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। 
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  • पिग बुचरिंग स्कैम
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नौसैनिक लड़ाकू पोत- INS सूरत, INS नीलगिरि और INS वाघशीर राष्ट्र को समर्पित (NAVAL COMBATANTS – INS SURAT, INS NILGIRI AND INS VAGHSHEER COMMISSIONED)

प्रधान मंत्री ने तीन अग्रिम पंक्ति के नौसैनिक लड़ाकू पोतों (INS सूरत,  INS नीलगिरि और INS वाघशीर) राष्ट्र को समर्पित किया। 

  • यह पहली बार है, जब स्वदेशी रूप से विकसित एक विध्वंसक, एक फ्रिगेट और एक पनडुब्बी को एक साथ कमीशन किया जा रहा है। यह नौसेना के लिए स्वदेशीकरण और समुद्री सुरक्षा में वैश्विक लीडर बनने के भारत के विज़न को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

तीन अग्रिम पंक्ति के नौसैनिक लड़ाकू पोतों के बारे में

  • INS सूरत: यह P15B गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर प्रोजेक्ट का चौथा और अंतिम पोत है।
  • INS नीलगिरि: इसे भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो ने डिज़ाइन किया है। यह P17A स्टील्थ फ्रिगेट प्रोजेक्ट का पहला पोत है।
  • INS वाघशीर: यह मुंबई स्थित मझगांव डॉक लिमिटेड द्वारा निर्मित है। यह P75 स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट के तहत विकसित की गई छठी और अंतिम पनडुब्बी है।
    • यह फ्रेंच स्कॉर्पीन-क्लास डिजाइन पर आधारित कलवरी-क्लास की स्वदेशी रूप से निर्मित पनडुब्बी है।

भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशीकरण के प्रयास

  • नीतियां
    • भारतीय नौसेना का मेरीटाइम कैपबिलिटी पर्सपेक्टिव प्लान (MCPP): इसका उद्देश्य 2027 तक 200 जहाजों का बेड़ा तैयार करना है। इसका विज़न ‘खरीदार नौसेना की जगह विनिर्माता नौसेना’ का लक्ष्य हासिल करना है।
    • भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना (INIP) 2015-2030: इस योजना के तहत जहाजों के विनिर्माण कार्य में संलग्न MSMEs सहित घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।
  • मेक इन इंडिया पहल में भारतीय नौसेना को शामिल करना: पिछले दशक में नौसेना में शामिल 40 नौसैनिक जहाजों में से 39 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया गया था।  
    • उदाहरण के लिए INS विक्रांत (विमान वाहक), INS अरिहंत और INS अरिघाट (परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी)।
  • अनुसंधान एवं विकास पहल: अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस (समुद्रयान परियोजना); हिंद महासागर के तटीय देशों के साथ वैज्ञानिक साझेदारी तथा माइंस का पता लगाने जैसे उच्च जोखिम वाले परिवेश के लिए स्वायत्त प्रणालियों का विकास आदि।
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  • नौसैनिक लड़ाकू पोत

एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) - नाग Mk 2 {ANTI-TANK GUIDED MISSILE (ATGM)- NAG MK 2}

हाल ही में, DRDO ने बताया है कि ATGM-नाग Mk 2 के फील्ड इवेलुएशन ट्रायल्स राजस्थान के पोखरण फील्ड रेंज में सफलतापूर्वक आयोजित किए गए।

ATGM-नाग Mk 2 के बारे में

  • यह स्वदेशी रूप से विकसित तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) है।
  • इसमें ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ की एडवांस्ड तकनीक का उपयोग किया गया है। इससे ऑपरेटर लॉन्च से पहले टारगेट को लॉक कर सकते हैं और जटिल युद्धक्षेत्र में भी सटीकता से हमला कर सकते हैं।
  • यह एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर्स से लैस आधुनिक बख्तरबंद वाहनों को निष्क्रिय करने में सक्षम है।
  • गाइडेंस सिस्टम: यह IIR (इमेजिंग इन्फ्रारेड) सीकर के माध्यम से पैसिव होमिंग में सक्षम है।
    • IIR सीकर एक ऐसा सिस्टम है जो इन्फ्रारेड का उपयोग करके टार्गेट्स का पता लगाता है और उन्हें ट्रैक करता है।
    • पैसिव होमिंग गाइडेंस एक ऐसी प्रणाली है जो टारगेट के इलेक्ट्रॉनिक उत्सर्जन का उपयोग करके मिसाइल को लक्ष्य तक पहुंचाती है। पैसिव होमिंग प्रणालियाँ न तो ऊर्जा उत्सर्जित करती हैं न ही किसी बाहरी स्रोत से कमांड प्राप्त  करती है।
  • मारक क्षमता: 500 मीटर - 4000 मीटर
  • संचालन: दिन और रात, दोनों में। 
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  • एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल

भार्गवास्त्र (Bhargavastra)

भारत ने अपनी पहली स्वदेशी माइक्रो-मिसाइल प्रणाली भार्गवास्त्र’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसे स्वार्म ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

  • स्वार्म ड्रोन वास्तव में कई मानव-रहित हवाई वाहनों (UAVs) के समूह होते हैं। ये सभी समन्वित प्रणाली के रूप में एक-साथ कार्य करते हैं।

भार्गवास्त्र की मुख्य विशेषताएं

  • ड्रोन का पता लगाने की क्षमता: यह प्रणाली 6 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित ड्रोन का पता लगाने में सक्षम है।
  • त्वरित प्रतिक्रिया: इसे गतिमान प्लेटफॉर्म पर तुरंत तैनात किया जा सकता है।
  • मल्टी-टारगेट इंगेजमेंट: यह प्रणाली एक साथ 64 टार्गेट्स का पता लगाकर उन्हें ट्रैक और निष्क्रिय कर सकती है।
  • गाइडेड माइक्रो म्यूनिशन्स: यह पहचाने गए खतरों की ओर सूक्ष्म हथियारों को निर्देशित करके उन्हें निष्क्रिय कर सकती है।
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  • भार्गवास्त्र

प्रलय मिसाइल और पिनाका रॉकेट (PRALAY MISSILE AND PINAKA ROCKET)

टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ और लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली ‘पिनाका रॉकेट प्रणाली’ गणतंत्र दिवस परेड 2025 में शामिल होंगी।

प्रलय मिसाइल के बारे में

  • यह सतह से सतह पर मार करने वाली ‘कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM)’ है। 
  • इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है।
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 150-500 किलोमीटर है। इसे मोबाइल लांचर से दागा जा सकता है।
  • इस मिसाइल के गाइडेंस सिस्टम में अत्याधुनिक नेविगेशन प्रणाली और एकीकृत एवियोनिक्स शामिल हैं।

पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) प्रणाली के बारे में

  • यह लंबी दूरी की आर्टिलरी प्रणाली है। यह 75 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम है।
  • इसे DRDO ने विकसित किया है। पेलोड, मारक क्षमता और रेंज के आधार पर इस मिसाइल के कई संस्करण हैं। 
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  • प्रलय मिसाइल
  • पिनाका रॉकेट प्रणाली

यूरोड्रोन (EURODRONE)

भारत यूरोड्रोन प्रोग्राम में पर्यवेक्षक सदस्य के रूप में शामिल हुआ। 

  • यूरोड्रोन या यूरोपियन मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (MALE RPAS) एक ट्विन-टर्बोप्रॉप MALE मानवरहित हवाई वाहन (UAV) है। 
  • इसका उपयोग दीर्घकालिक मिशनों जैसे कि इंटेलिजेंस, निगरानी, लक्ष्य प्राप्ति और टोह (ISTAR), समुद्री निगरानी आदि के लिए किया जा सकता है। 

यूरोड्रोन कार्यक्रम के बारे में 

  • सदस्य: यह चार देशों की पहल है। इसमें जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन शामिल हैं। 
  • नेतृत्व: ऑर्गनाइजेशन फॉर जॉइंट आर्मामेंट कोऑपरेशन (OCCAR) द्वारा। 
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संजय सिस्टम (SANJAY System)

हाल ही में, रक्षा मंत्री ने भारतीय थल सेना की निगरानी और टोही क्षमताओं को बढ़ाने के लिए उन्नत युद्धक्षेत्र निगरानी प्रणाली (BSS) संजय का शुभारंभ किया। 

संजय सिस्टम के बारे में

  • इसे भारतीय थल सेना और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप विकसित किया गया है। 
  • यह एकत्रित जानकारी को संसाधित करके आर्मी डेटा नेटवर्क और सैटेलाइट संचार नेटवर्क के माध्यम से युद्धक्षेत्र का एकीकृत निगरानी चित्र तैयार करेगा।
    • इस प्रणाली को जमीनी और हवाई बैटलफील्ड सेंसर्स से प्राप्त डेटा को निर्बाध रूप से एकीकृत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
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  • संजय सिस्टम

सुर्ख़ियों में रहे अभ्यास (EXERCISES IN NEWS)

सूर्य किरण 

भारतीय थल सेना की टुकड़ी 18वीं बटालियन स्तर के संयुक्त सैन्य अभ्यास, सूर्य किरण में भाग लेने के लिए नेपाल रवाना हुई।

  • यह भारत और नेपाल के बीच बारी-बारी से आयोजित होने वाला एक वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास है। 

ला पेरोस

भारत सहित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के नौ देशों की नौसेनाएं बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास “ला पेरोस” में हिस्सा ले रही हैं।

ला पेरोस के बारे में

  • यह अभ्यास हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित मलक्का, सुंडा और लोम्बोक जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जलडमरूमध्य में फ्रांस द्वारा आयोजित किया जाता है।
  • भाग लेने वाले देश: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, यूनाइटेड किंगडम, सिंगापुर।
  • लक्ष्य: समुद्री निगरानी, अवैध गतिविधियों की रोकथाम, और समुद्री व हवाई अभियानों में सहयोग बढ़ाकर साझा समुद्री स्थितिजन्य जागरूकता को विकसित करना।
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  • सुर्ख़ियों में रहे अभ्यास
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