स्वदेशी हाइड्रोजन ट्रेन इंजन (INDIGENOUS HYDROGEN TRAIN ENGINE) | Current Affairs | Vision IAS
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स्वदेशी हाइड्रोजन ट्रेन इंजन (INDIGENOUS HYDROGEN TRAIN ENGINE)

Posted 05 Mar 2025

Updated 17 Mar 2025

29 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, भारतीय रेल मंत्री ने 1,200 हॉर्सपावर वाले दुनिया के सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले ट्रेन इंजन के विकास की घोषणा की है। 

अन्य संबंधित तथ्य  

  • दुनिया में केवल 4 देशों (जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन) के पास हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें हैं, जो लगभग 500 से 600 हॉर्सपावर उत्पन्न करने में सक्षम हैं। 
  • सभी हाइड्रोजन चालित रेल वाहन चाहे बड़े हों या छोटे 'हाइड्रेल' के रूप में वर्गीकृत किए जाते हैं, भले ही ईंधन का उपयोग ट्रैक्शन मोटर्स, सहायक प्रणालियों या दोनों के लिए किया गया हो।
  • इलेक्ट्रिक ट्रेनों की तुलना में हाइड्रेल ट्रेनों को अधिक लाभ प्राप्त है: इलेक्ट्रिक ट्रेनों के लिए महंगे और जटिल बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है, जिसमें बिजली के तारों को ले जाने वाले ओवरहेड गैन्ट्री और पावर सबस्टेशन शामिल हैं, जबकि हाइड्रेल ट्रेनों के लिए इसकी आवश्यकता नहीं होती। 

भारत की स्वदेशी हाइड्रोजन ट्रेन के बारे में 

  • डिजाइन: इसे अनुसंधान, डिजाइन और मानक संगठन (Research, Design, and Standard Organization: RDSO), लखनऊ द्वारा डिजाइन किया गया है।
  • निर्माण: इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई इस ट्रेन के लिए कोच (Coaches) का निर्माण कर रही है।
  • पृष्ठभूमि: भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने 2023 में "हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज" परियोजना की घोषणा की।
  • केंद्रीय बजट 2023-24: 35 हाइड्रोजन फ्यूल सेल ट्रेनों के विकास के लिए धनराशि की घोषणा और आवंटन किया गया।
  • इस उद्यम के भाग के रूप में, मौजूदा डीजल-इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) को ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने योग्य बनाया जाएगा।
  • परीक्षण मार्ग: हरियाणा में जींद-सोनीपत के बीच।

हाइड्रोजन और इसके इकोसिस्टम के बारे में 

  • हाइड्रोजन ब्रह्मांड का सबसे सरल और प्रचुर मात्रा में मिलने वाला तत्व है, जिसमें केवल एक प्रोटॉन और एक इलेक्ट्रॉन होता है। 
  • आणविक संरचना: हाइड्रोजन द्विपरमाणुक (Diatomic) होता है, यानी इसके अणु में दो परमाणु होते हैं।
  • रासायनिक गुण: यह अत्यधिक अभिक्रियाशील और लगभग सभी तत्वों के साथ मिलकर हाइड्राइड नामक द्विआधारी यौगिक बनाता है। यह ऑक्सीकरण और अपचयन (Oxidation & Reduction) दोनों कर सकता है। यह एक इलेक्ट्रॉन खोकर H⁺ (प्रोटॉन) या एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर H⁻ (हाइड्राइड आयन) बना सकता है। 
  • जब यह क्लोरीन, सल्फर जैसे अधातुओं के साथ जुड़ता है, तो अम्ल (Acid) बनाता है।
  • समस्थानिक (Isotopes): प्रोटियम , ड्यूटेरियम, ट्रिटियम। 

हाइड्रोजन उत्पादन के लिए वैश्विक पहलें

  • विश्व बैंक की 10 गीगावाट स्वच्छ हाइड्रोजन पहल: इसका उद्देश्य उभरते बाजारों और विकासशील देशों में नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके निम्न-कार्बन ऊर्जा स्रोत के रूप में स्वच्छ हाइड्रोजन को बढ़ावा देना है।
  • द क्लीन एनर्जी मिनिस्टेरियल (CEM): यह एक अंतरराष्ट्रीय मंच है जिसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा नेतृत्व को बढ़ावा देना और हाइड्रोजन ईंधन के वाणिज्यिक उपयोग में तेजी लाने वाली नीतियों पर वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • क्लीन एनर्जी मिनिस्ट्रियल हाइड्रोजन इनिशिएटिव (CEM H2I): इसे अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) द्वारा समन्वित और CEM फ्रेमवर्क के अनुसार विकसित किया गया है। भारत इस पहल का सदस्य है।
  • ग्लोबल प्रोग्राम फॉर हाइड्रोजन इन इंडस्ट्री (GPHI): इसे 2021 में UNIDO ने लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य विकासशील देशों और ट्रांजिशन वाले देशों को हाइड्रोजन के विकास में आने वाली चुनौतियों को हल करने में मदद करना है। 

भारत में हाइड्रोजन उत्पादन के लिए शुरू की गई पहलें

  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM): इसमें भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके व्युत्पन्नों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र बनाने तथा 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है।
  • भारत के लिए ग्रीन हाइड्रोजन मानक: ग्रीन हाइड्रोजन की श्रेणी में आने वाले उत्सर्जन की सीमा तय करने के लिए यह मानक 19 अगस्त, 2023 को अधिसूचित किए गए थे।
  • पोत-परिवहन और इस्पात क्षेत्रक में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग के लिए पायलट परियोजनाओं हेतु दिशानिर्देश: इसमें मौजूदा जलयानों को ग्रीन हाइड्रोजन पर चलाने के लिए पुनः संयोजित करना तथा पत्तनों पर प्रासंगिक सुविधाएं प्रदान करना शामिल है।

ईंधन के रूप में हाइड्रोजन को अपनाने में चुनौतियाँ

  • कच्चे माल की लागत: हाइड्रोजन फ्यूल सेल और इलेक्ट्रोलाइजर में प्लैटिनम और इरिडियम जैसे महंगे धातु उत्प्रेरकों की जरूरत होती है, जिससे शुरुआती लागत अधिक हो सकती है।
  • हाइड्रोजन निष्कर्षण: हाइड्रोजन प्राकृतिक रूप से स्वतंत्र रूप में नहीं मिलता है। इसे जल या जीवाश्म ईंधनों से पृथक करना पड़ता है, जिसमें बहुत अधिक ऊर्जा लगती है।
  • विशेष बुनियादी ढांचे की आवश्यकता: ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए उन्नत तकनीक और खास सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
  • अत्यधिक ज्वलनशील: हाइड्रोजन गैस 4 से 75% तक की सांद्रता में हवा में जल सकती है। इससे सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
  • हाइड्रोजन भंडारण: इसे तरल या उच्च दबाव में सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रक्रियाएँ अपनानी पड़ती हैं, जैसे- क्रायोजेनिक तापमान पर द्रवीकरण या अत्यधिक संपीडन, जो ऊर्जा-गहन होती हैं।

आगे की राह 

  • सरकारी सहायता और प्रोत्साहन: इस क्षेत्रक में तेजी से निजी निवेश के लिए निवेशकों को आवश्यक विश्वास दिलाने हेतु सरकार को वित्तीय प्रोत्साहन और कार्यक्रम जारी रखने चाहिए।
  • उत्पादन के लिए मांग उत्पन्न करना: अगला कदम उत्पादन और खपत के लिए मांग उत्पन्न करना है, जैसा कि पीएम ई-ड्राइव (PM E-DRIVE) जैसी योजनाओं के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में किया गया है। 
  • नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाना: ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए व्यापक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की आवश्यकता होती है। अतः इसके लिए लगभग 125 गीगावाट की संबद्ध अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को जोड़ना होगा। 
  • वैश्विक सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता है: जैसे कि सितंबर 2023 में, भारत और सऊदी अरब ने ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया के क्षेत्र में क्षमता विस्तार और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। 
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  • स्वदेशी हाइड्रोजन ट्रेन इंजन
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  • हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज
  • हरित हाइड्रोजन मिशन
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