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क्वाड समूह (QUAD GROUPING)

Posted 05 Mar 2025

Updated 18 Mar 2025

32 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (Quad/ क्वाड) की 20वीं वर्षगांठ मनाई गई।

क्वाड के बारे में

  • इसे 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधान मंत्री शिंजो आबे द्वारा औपचारिक रूप दिया गया था।
  • सदस्य देश: ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और यू.एस.ए.
  • प्रकृति: यह एक अनौपचारिक रणनीतिक साझेदारी आधारित समूह है। साथ ही, यह समुद्री संसाधनों और कनेक्टिविटी वाले मार्गों का लोकतांत्रिक उपयोग सुनिश्चित करने वाला एक गठबंधन है।
  • उद्देश्य: यह ऐसे खुले, स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र का समर्थन करता है, जो समृद्ध और मजबूत हो। इस संगठन के अंतर्गत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सकारात्मक और स्थायी प्रभाव रखने वाले विश्व के चार लोकतांत्रिक देश वैश्विक कल्याण के लिए एक शक्ति के रूप में कार्य करते हैं।
  • विजन: वर्ष 2023 में एक विजन स्टेटमेंट लॉन्च किया गया, जो 'इंडो-पैसिफिक के लिए स्थायी साझेदार' थीम पर केंद्रित है।
  • कार्य: क्वाड के व्यावहारिक कार्यों को निम्नलिखित 6 कार्य-क्षेत्रों पर "सिक्स लीडर्स लेवल वर्किंग ग्रुप्स" के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता है- जलवायु, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां, साइबर, स्वास्थ्य सुरक्षा साझेदारी, आधारभूत अवसंरचना और अंतरिक्ष।
  • प्रमुख शिखर सम्मेलन: वार्षिक क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन और विदेश मंत्रियों की बैठक।
  • ग्लोबल फुटप्रिंट: 
    • यह संगठन दुनिया की 24% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
    • वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 35% है।
    • वैश्विक व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 18% है।

क्वाड का बदलता स्वरूप: सैन्य से आर्थिक गठबंधन तक

भले ही क्वाड कोई औपचारिक सैन्य गुट नहीं है, लेकिन यह एक सैन्य-केंद्रित समूह से आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता पर जोर देने वाले एक व्यापक गठबंधन में बदल गया है, जो वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों के अनुरूप सामंजस्य बैठा रहा है।

सहयोग के क्षेत्रविवरण
मिलिट्री पर फोकस (प्रारंभिक चरण)
  • क्वाड पार्टनर समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने, समुद्री डोमेन जागरूकता में वृद्धि करने और एक स्वतंत्र एवं खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का निर्माण करने के लिए पूरे क्षेत्र में भागीदार देशों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं।
    • इस दिशा में की गई कुछ प्रमुख पहलों में वार्षिक मालाबार सैन्य अभ्यास और 2+2 वार्ता (भारत-अमेरिका) शामिल है, जो रक्षा संबंधों को मजबूत करती हैं।
    • क्वाड एक्ट को मजबूत करना: 2024 में अमेरिकी सदन द्वारा पारित यह विधेयक अमेरिकी विदेश विभाग को क्वाड समूह के साथ जुड़ाव और सहयोग बढ़ाने के लिए एक रणनीति बनाने का निर्देश देता है
      • यह सदस्य देशों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए एक क्वाड अंतर-संसदीय कार्य समूह (Quad Intra-Parliamentary Working Group) स्थापित करने का भी प्रयास करता है।

आर्थिक विस्तार

(हालिया चरण)

 

कोविड-19 के बाद, क्वाड की अधिकांश पहलें आर्थिक और सतत विकास पर अधिक केंद्रित रही हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • विलमिंग्टन घोषणा-पत्र: अमेरिका में एक महत्वपूर्ण क्वाड बैठक को दर्शाता है।
  • स्वास्थ्य सुरक्षा: सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा साझेदारी और क्वाड कैंसर मूनशॉट की शुरुआत की गई है।
  • इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क: साझा एयरलिफ्ट और लॉजिस्टिक्स के माध्यम से आपदा प्रतिक्रिया को बढ़ाना।
  • गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना: बेहतर बंदरगाह अवसंरचना के विकास का समर्थन करने के लिए 'क्वाड पोर्ट्स ऑफ द फ्यूचर पहल' शुरू की गई है।
  • महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां: तकनीकी निवेश के लिए ओपन RAN का इस्तेमाल और क्वाड इन्वेस्टर्स नेटवर्क (QUIN) को बढ़ावा देना।
  • स्वच्छ ऊर्जा: सुरक्षित स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं का समर्थन करना।
  • क्वाड जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन पैकेज (Quad Climate Change Adaptation and Mitigation Package: Q-CHAMP): इसके जरिए जलवायु परिवर्तन से निपटने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए क्वाड देशों में सहयोग बढ़ाया जा रहा है।
  • साइबर सुरक्षा: डिजिटल सुरक्षा के लिए समुद्र के नीचे दूरसंचार केबलों की सुरक्षा के लिए कार्य योजना बनाना।
  • अंतरिक्ष सहयोग: जलवायु जनित आपदा प्रबंधन के लिए भू-अवलोकन से संबंधित डेटा को क्वाड देशों के बीच साझा करना।
  • आतंकवाद से मुकाबला: फर्स्ट काउंटर टेररिज्म वर्किंग ग्रुप (CTWG) (2023), C-UAS और CBRN खतरों का समाधान करता है।  

 

क्वाड के समक्ष मौजूद चुनौतियां

  • संस्थागत फ्रेमवर्क का अभाव: क्वाड में नाटो (NATO) जैसी औपचारिक संरचना का अभाव है और यह अनौपचारिक बैठकों के माध्यम से काम करता है। इससे संकट के समय इसकी निर्णायक रूप से कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
  • जिम्मेदारियों का असमान बोझ: क्वाड सदस्यों की वित्तीय स्थिति, रणनीतिक प्राथमिकताएं और सैन्य क्षमताएं अलग-अलग हैं। इससे उनके मध्य असंतुलन पैदा होता है और कुछ सदस्यों पर अधिक जिम्मेदारी आ जाती है।
  • परस्पर विरोधी साझेदारियां: रूस और SCO के साथ भारत के संबंध क्वाड के रणनीतिक उद्देश्यों के विपरीत हो सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया की चीन पर आर्थिक निर्भरता उसे दबाव के प्रति संवेदनशील बना सकती है।
    • सुरक्षा, समुद्री रक्षा और खुफिया जानकारी साझा करने पर क्वाड के फोकस ने इसके "एशियाई नाटो" बनने की अटकलों को भी हवा दे दिया है।
  • चीन के संदर्भ में अलग-अलग रणनीतियां: जापान और ऑस्ट्रेलिया व्यापार के लिए चीन पर निर्भर हैं, लेकिन चीन की सैन्य मुखरता का विरोध करते हैं। साथ ही, भारत की चीन के साथ सीधी रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता है, लेकिन वह चीन के साथ आर्थिक जुड़ाव जारी रखता है।
  • भारत की अपनी विशिष्ट चिंताएं:
    • भू-राजनीतिक तनाव: क्वाड के साथ संबंधों को मजबूत करने से ईरान (अमेरिका का दुश्मन) और म्यांमार (चीन का सहयोगी) जैसे प्रमुख साझेदार अलग-थलग पड़ सकते हैं।
    • अलग-अलग इंडो-पैसिफिक विजन: भारत हिंद महासागर पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि अन्य सदस्य प्रशांत महासागर क्षेत्र पर जोर देते हैं।

क्वाड को मजबूत करने के लिए आगे की राह

  • एक स्पष्ट इंडो-पैसिफिक रणनीति को परिभाषित करना: आर्थिक और सुरक्षा संबंधी लक्ष्यों में एकरूपता लाने के लिए क्वाड को एक अच्छी तरह से परिभाषित इंडो-पैसिफिक रणनीति तैयार करनी चाहिए। इससे छोटे देशों को क्षेत्रीय स्थिरता में अपनी भूमिका के बारे में आश्वस्त किया जा सकेगा।
  • सदस्यता का विस्तार करना: भारत को इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देशों को इस समूह में शामिल करने का प्रयास करना चाहिए। क्वाड में अधिक देशों को शामिल करके क्षेत्रीय विश्वसनीयता और प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है।
  • भारत की समुद्री रणनीति को मजबूत करना: भारत को एक मजबूत इंडो-पैसिफिक समुद्री सिद्धांत की आवश्यकता है। इससे सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का समाधान किया जा सकेगा। साथ ही, सैन्य और कूटनीतिक प्रयासों को एकीकृत करना चाहिए तथा रणनीतिक सहयोगियों को शामिल करना चाहिए।

 

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