प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PRADHAN MANTRI FASAL BIMA YOJANA: PMFBY) | Current Affairs | Vision IAS
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प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PRADHAN MANTRI FASAL BIMA YOJANA: PMFBY)

05 Mar 2025
22 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दी।

उद्देश्यविशेषताएं 
  • फसल नुकसान झेलने वाले किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • किसानों की आय को स्थिर करना, जिससे ये सुनिश्चित हो कि वे अपनी कृषि गतिविधियों को जारी रख सकें।
  • आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने को बढ़ावा देना।
  • कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह को बढ़ाना, जिससे खाद्य सुरक्षा और फसल विविधीकरण का समर्थन करना।
  • कृषि बीमा और संबद्ध उत्पादों के नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देना, ताकि किसानों और राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रशासन को अधिक विकल्प प्रदान किया जा सके।




 

 

 

  • शुरुआत: वर्ष 2016 में की गई थी। 
  • मंत्रालय: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
  • कवर की जाने वाली फसलें:
    • खाद्य फसलें (अनाज, बाजरा, दालें)
    • तिलहन
    • वार्षिक वाणिज्यिक/ बागवानी फसलें

नोट: यह योजना उन फसलों को कवर करती है जिन फसलों के पिछली उपज का डेटा उपलब्ध है और जिनके लिए सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (General Crop Estimation Survey: GCES) का एक हिस्सा होने के कारण आवश्यक संख्या में फसल कटाई प्रयोग (Crop Cutting Experiments: CCEs) किए जाएंगे।

कवर किए गए जोखिम:

  • उपज में होने वाली हानि (अधिसूचित क्षेत्र के आधार पर खड़ी फसलें):
    • प्राकृतिक दावानल और आकाशीय बिजली
    • तूफान, चक्रवात, हरिकेन, बवंडर
    • बाढ़, जलभराव, भूस्खलन
    • सूखा, कम वर्षा 
    • कीट एवं रोग
  • बुआई न करने की स्थिति (अधिसूचित क्षेत्र के आधार पर): 
    • यदि प्रतिकूल मौसम के कारण बुवाई नहीं हो पाती है, तो बीमित किसान 25% तक बीमा राशि का दावा कर सकते हैं।
    • बीमित राशि वह धनराशि है जो बीमा कंपनी किसी अप्रत्याशित घटना की स्थिति में पॉलिसी धारक को भुगतान करती है
  • फसल कटाई के बाद होने वाला नुकसान (व्यक्तिगत खेत के आधार पर):
    • चक्रवाती या असामयिक वर्षा से होने वाले नुकसान के लिए वह फसल भी कवर की जाती है, जो कटाई के बाद 14 दिनों तक खेत में सूखने के लिए रखी गई हो।
  • स्थानीय आपदाएं (व्यक्तिगत खेत के आधार पर)
    • ओलावृष्टि, भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं से विशेष रूप से किसी खेत को प्रभावित करने वाले कारकों को कवर किया जाता है।
  • अतिरिक्त सुविधा: जिन क्षेत्रों में जंगली जानवरों के हमले से फसल नुकसान का जोखिम अधिक है और जिसे स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है, वहाँ राज्य सरकारें अतिरिक्त कवरेज प्रदान करने पर विचार कर सकती हैं।
  • जिसे कवर नहीं किया जाएगा (Exclusions):
    • युद्ध, दंगे, दुर्भावनापूर्ण क्षति, चोरी।
    • घरेलू या जंगली जानवरों द्वारा चराई/ फसल का नष्ट किया जाना।
    • रोके जा सकने वाले जोखिमों के कारण होने वाली क्षति।
    • कटी हुई फसलों का थ्रेसिंग से पहले बंडल या ढेर लगाना (फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान के लिए)।
  • वार्षिक प्रीमियम 
    • खरीफ की फसलें: बीमा राशि का 2%
    • रबी की फसलें: बीमा राशि का 1.5%
    • वार्षिक वाणिज्यिक/ बागवानी फसलें: बीमा राशि का 5%
    • किसानों द्वारा देय प्रीमियम और बीमा शुल्क की दर के बीच का अंतर उन्हें सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाता है, जिसे केंद्र और राज्य सरकार द्वारा समान रूप से साझा किया जाता है।
    • खरीफ की फसल के लिए केंद्र व उत्तर-पूर्वी राज्यों द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी क्रमशः 90:10 है जिसे 2020 से लागू किया गया है। 
  • पात्रता: बीमा प्राप्त करने योग्य सभी किसानों को इस योजना के तहत कवर किया जा सकता है, जिसमें बटाईदार और किरायेदार किसान भी शामिल हैं।
    • पहले यह योजना अधिसूचित फसलों और अधिसूचित क्षेत्रों के लिए फसल ऋण/ किसान क्रेडिट कार्ड ऋण लेने वाले किसानों के लिए अनिवार्य थी और अन्य किसानों के लिए वैकल्पिक थी।
    • हालांकि, इस योजना को  2020 के खरीफ सीजन से सभी किसानों के लिए वैकल्पिक बना दिया गया है। 
  • फसल मूल्य के 100% के लिए कवरेज प्रदान नहीं किया जाता है।
  • PMFBY योजना को वस्तु एवं सेवा कर से छूट प्राप्त है
  • कार्यान्वयन एजेंसी: कृषि, सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग (DAC&FW), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) और संबंधित राज्य सरकार।

 योजना के तहत हालिया तकनीकी पहल

  • नवाचार और प्रौद्योगिकी के लिए फंड (FIAT)
    • नवाचार और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए ₹824.77 करोड़ का कोष।
    • YES-TECH, WINDS और R&D अध्ययनों का समर्थन करना।
  • YES-TECH (प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमान प्रणाली)
    • फसल उपज अनुमान के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करना।
    • प्रौद्योगिकी-आधारित उपज अनुमानों को 30% प्राथमिकता देना।
    • 9 प्रमुख राज्यों में लागू: आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु और कर्नाटक।
    • मध्य प्रदेश ने 100% प्रौद्योगिकी-आधारित उपज अनुमान प्रणाली को अपनाया है।
  • WINDS (मौसम सूचना और नेटवर्क डेटा सिस्टम)
    • ब्लॉक स्तर पर स्वचालित मौसम स्टेशन (Automatic Weather Stations: AWS) और पंचायत स्तर पर स्वचालित वर्षा माप यंत्र (Automatic Rain Gauges: ARGs) स्थापित करता है।

 

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