सुर्ख़ियों में क्यों?

ऑकस (AUKUS) के गठन के पांच वर्ष पूरे हो गए हैं। यह ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक त्रिपक्षीय सिक्योरिटी और डिफेंस साझेदारी है।
AUKUS के बारे में
- उत्पत्ति: इसे सितंबर, 2021 में ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच त्रि-पक्षीय स्ट्रैटेजिक डिफेंस गठबंधन के रूप में स्थापित किया गया था।
- उद्देश्य: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए तीनों देशों की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना, तकनीकी एकीकरण में तेजी लाना और औद्योगिक क्षमता का विस्तार करना।
- इसके दो प्रमुख पिलर/ स्तंभ है:
- पिलर 1: ऑस्ट्रेलिया को पारंपरिक रूप से सशस्त्र, परमाणु-संचालित पनडुब्बियां (SSNs) हासिल करने में सहायता देना।
- इससे ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सातवां देश बन जाएगा, जो परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का संचालन करेगा। इससे पहले यह क्षमता केवल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत और रूस के पास थी।
- पिलर 2: इसके अंतर्गत खुफिया जानकारी साझा करने और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों (साइबर सिक्योरिटी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम प्रौद्योगिकियों, अंडर-सी टेक्नोलॉजीज आदि) के क्षेत्र में सहयोग में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- पिलर 1: ऑस्ट्रेलिया को पारंपरिक रूप से सशस्त्र, परमाणु-संचालित पनडुब्बियां (SSNs) हासिल करने में सहायता देना।
AUKUS का महत्त्व

- रणनीतिक: AUKUS, ऑस्ट्रेलिया की रक्षा क्षमता को मजबूत करने और 2040 तक रक्षा उद्योग को बढ़ाने में मदद करेगा। यह स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रणनीति से मेल खाता है।
- हिंद-प्रशांत में QUAD का पूरक: भारत QUAD को प्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा गठबंधन के रूप में नहीं दिखाना चाहता है। AUKUS इस कमी को पूरा कर सकता है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा साझेदारी को मजबूत कर सकता है।
- चीन के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा: AUKUS का दूसरा पिलर उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रभुत्व स्थापित करने पर केंद्रित है, जिससे चीन के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
- लोकतांत्रिक देशों का गठबंधन: AUKUS को लोकतांत्रिक देशों के गठबंधन के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जो इसे एक वैध सुरक्षा समूह के रूप में स्वीकार्यता दिलाता है।
- उदाहरण के लिए- जापान ने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग के लिए, विशेष रूप से दूसरे पिलर में शामिल होने में रुचि दिखाई है।
AUKUS से जुड़ी चिंताएं
- भू-राजनीतिक चिंताएं: इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संभावित हथियारों की दौड़ और परमाणु प्रसार के बारे में चिंता जताई है।
- ऑस्ट्रेलिया द्वारा AUKUS के पक्ष में फ्रांस के साथ एक पनडुब्बी सौदे को अचानक रद्द करने से फ्रांस और AUKUS सदस्यों के बीच तनावपूर्ण संबंध पैदा हो गए।
- QUAD की रणनीतिक भूमिका का कमजोर होना: AUKUS के केंद्र में आने से क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (QUAD) के महत्त्व में कमी आ सकती है। गौरतलब है कि QUAD समूह में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
- परमाणु प्रसार का जोखिम: AUKUS के तहत ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियां प्राप्त होंगी। यह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के तहत स्थापित सिद्धांतों का उल्लंघन है।
- चिंता व्यक्त की गई हैं कि यह व्यवस्था अन्य देशों को समान सुरक्षा औचित्य के तहत परमाणु-संचालित प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
निष्कर्ष
भारत के लिए, AUKUS चुनौतियां और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है, जिससे एक संतुलित रणनीति अपनाना आवश्यक हो जाता है। यह रणनीति रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने, स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और क्षेत्रीय साझेदारियों को गहरा करने पर केंद्रित होगी। भारत QUAD का प्रभावी उपयोग करके, ASEAN देशों के साथ सक्रिय सहयोग बढ़ाकर और अपनी नौसैनिक व तकनीकी क्षमताओं का विस्तार करके न केवल अपनी सुरक्षा और प्रभाव को मजबूत कर सकता है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने में भी योगदान दे सकता है।