भारत-सिंगापुर द्विपक्षीय संबंधों के 60 वर्ष (60 YEARS OF INDIA-SINGAPORE BILATERAL RELATIONS)
भारत और सिंगापुर के राष्ट्रपतियों ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त रूप से लोगो (logo) का अनावरण किया।

भारत-सिंगापुर संबंध
- राजनयिक संबंध: भारत 1965 में सिंगापुर की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। इसी वर्ष दोनों देशों के मध्य राजनयिक संबंधों की भी शुरुआत हुई थी।
- भारत और सिंगापुर ने 2005 में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। 2015 में दोनों देशों के बीच संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित कर दिया गया था। द्विपक्षीय संबंधों को आगे ले जाते हुए 2024 में उन्हें व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) में अपग्रेड किया गया था।
- व्यापार: 2023-24 में सिंगापुर भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत के कुल व्यापार में सिंगापुर के साथ व्यापार की हिस्सेदारी 3.2% है। यह आसियान समूह में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत निवल आयातक है।
- बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देश पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, G-20, राष्ट्रमंडल, IORA (इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन) और IONS (इंडियन ओशन नेवल सिंपोजियम) जैसे मंचों के सदस्य हैं।
- रक्षा सहयोग: भारत और सिंगापुर सैन्य अभ्यासों की मेजबानी करते हैं, जैसे अग्नि वारियर (सेना) व सिम्बेक्स (नौसेना)।
- भारतीय प्रवासी: सिंगापुर की आबादी में भारतीय मूल के लोगों की हिस्सेदारी 9% है।
- तमिल सिंगापुर की चार आधिकारिक भाषाओं में से एक है।
- Tags :
- G-20
- व्यापक रणनीतिक साझेदारी
- भारत-सिंगापुर संबंध
- पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
- इंडियन ओशन नेवल सिंपोजियम
- इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन
ब्रिक्स (BRICS)
नाइजीरिया को ब्रिक्स समूह में एक “साझेदार देश (Partner country)” के रूप में शामिल किया गया है।
- यह ब्रिक्स का 9वां साझेदार देश है। अन्य आठ देश बेलारूस, बोलीविया, क्यूबा, कजाकिस्तान, मलेशिया, थाईलैंड, युगांडा और उज्बेकिस्तान हैं।
ब्रिक्स के बारे में
- कुल सदस्य: 11
- यह एक अनौपचारिक समूह है, जिसकी स्थापना 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन द्वारा की गई थी। वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका भी इसमें शामिल हो गया।
- अन्य पूर्ण सदस्य: मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया।
- सहयोग के तीन स्तंभ: राजनीतिक एवं सुरक्षा से संबंधित विषय; आर्थिक एवं वित्तीय मामले; सांस्कृतिक आदान-प्रदान और लोगों के बीच जुड़ाव।
- यह वैश्विक आबादी के लगभग 40% तथा वैश्विक GDP के लगभग 37.3% हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
- भारत ने चौथे (2012), आठवें (2016) और तेरहवें (2021) ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी की है।
- Tags :
- नाइजीरिया
- ब्रिक्स
- साझेदार देश
अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता (BIRTHRIGHT CITIZENSHIP IN US)
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए।
- हालांकि, एक संघीय न्यायाधीश ने अस्थायी रूप से इस कार्यकारी आदेश पर रोक लगा दी है, इस आदेश द्वारा माता-पिता की आव्रजन स्थिति की परवाह किए बिना जन्मसिद्ध नागरिकता की संवैधानिक गारंटी को समाप्त कर दिया गया था।
अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता के बारे में
- परिभाषा: जन्मसिद्ध नागरिकता अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन (1868) के तहत एक प्रावधान है। यह प्रावधान अमेरिका में जन्मे किसी भी व्यक्ति को स्वतः नागरिकता प्रदान करता है।
- ऐतिहासिक संदर्भ: संयुक्त राज्य अमेरिका बनाम वोंग किम आर्क (1898) निर्णय में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैर-नागरिक माता-पिता के बच्चों के लिए भी इसे बरकरार रखा गया है।
अमेरिकी जन्मसिद्ध नागरिकता की समाप्ति के भारत पर प्रभाव
- H-1B वीज़ा धारकों पर प्रभाव: H-1B वीजा पर भारत से अमेरिका काम करने गए लोगों (पेशेवरों) के जन्मे बच्चे, या ग्रीन कार्ड मिलने की प्रतीक्षा कर रहे बच्चे अब स्वतः नागरिकता के लिए पात्र नहीं होंगे।
- ज्ञातव्य है कि ग्रीन कार्ड किसी व्यक्ति को अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति देता है।
- H-1B वीज़ा: यह एक अस्थायी वीज़ा है, जो नियोक्ताओं को विदेशी पेशेवरों को स्नातक डिग्री वाली जॉब्स के लिए भर्ती करने की अनुमति देता है।
- अस्थायी वीज़ा धारक: भारतीय छात्रों और अस्थायी वीज़ा पर रहने वाले परिवारों को अमेरिका में जन्मे अपने बच्चों के लिए अमेरिका की नागरिकता हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
- उल्लेखनीय है कि भारतीय छात्र अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के सबसे बड़े समूहों में से एक हैं।
- आप्रवास पर प्रभाव: यह कदम भारतीय पेशेवरों, छात्रों आदि को अमेरिका में बसने से हतोत्साहित करेगा और उन्हें कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे आप्रवास-हितैषी देशों की ओर रुख करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
- “बर्थ टूरिज्म” पर अंकुश: इससे विशेष रूप से महिलाओं द्वारा बच्चे को जन्म देने के लिए अमेरिका की यात्रा करने संबंधी प्रवृत्तियों पर रोक लगेगी। इस तरह से अमेरिका में जन्में बच्चों के लिए अमेरिका की नागरिकता का दावा किया जा सकता था।

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- जन्मसिद्ध नागरिकता
- H-1B वीज़ा
ब्रह्मपुत्र पर विश्व का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध (WORLD’S LARGEST HYDROPOWER DAM ON BRAHMAPUTRA)
चीन ने तिब्बत के मेडोग क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़े बांध और दुनिया की सबसे बड़ी अवसंरचना परियोजना के निर्माण को मंजूरी दी है।
- इस बांध की विद्युत उत्पादन क्षमता चीन के थ्री गॉर्जेस बांध से तीन गुना अधिक है। थ्री गॉर्जेस बांध वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा बांध है। यह मध्य चीन में स्थित है।

परियोजना के बारे में
- अवस्थिति: इस बांध का निर्माण यारलुंग त्संगपो (या ज़ंगबो) नदी के निचले अपवाह में हिमालय पर्वत श्रेणी में एक विशाल घाटी में किया जाना है। इस स्थान पर यह नदी यू-टर्न लेते हुए आगे अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है।
- गौरतलब है कि ब्रह्मपुत्र नदी को ही तिब्बती भाषा में यारलुंग त्संगपो (या ज़ंगबो) कहा जाता है।
- परियोजना का घोषित उद्देश्य: चीन के अनुसार इस परियोजना के उद्देश्य चीन के कार्बन न्यूट्रल लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करना, उद्योगों को बढ़ावा देना और तिब्बत में रोजगार के अवसर पैदा करना है।
बांध निर्माण से जुड़ी चिंताएं
- इंजीनियरिंग संबंधी चुनौतियां: तिब्बती पठार पर अक्सर भूकंप आते रहते हैं, क्योंकि यह टेक्टोनिक प्लेटों के ऊपर स्थित है।
- गौरतलब है कि तिब्बती पठार को “विश्व की छत” भी कहा जाता है।
- पर्यावरण पर प्रभाव: इस बांध के निर्माण से स्थानीय पारिस्थितिकी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा, इस नदी का आगे का जल प्रवाह भी प्रभावित होगा और इसके मार्ग में बदलाव हो सकते हैं। इससे कृषि और जैव विविधता को नुकसान पहुंचेगा।
- भू-राजनीतिक जोखिम: भारत और बांग्लादेश को डर है की चीन इस बांध के जरिए ब्रह्मपुत्र नदी के जल का अपने भू-राजनीतिक हितों को साधने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
- क्षेत्रीय संघर्षों के दौरान वह अतिरिक्त जल छोड़ सकता है। इससे भारत और बांग्लादेश में बाढ़ आ सकती है।
नदी जल से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए उपाय
- ज्ञातव्य है कि चीन और भारत ने दोनों देशों में बहने वाली यानी सीमा-पार नदियों के अपवाह से जुड़ी चिंताओं को हल करने के लिए 2006 में विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ELM) की स्थापना की थी।
- इस व्यवस्था के तहत चीन बाढ़ के मौसम के दौरान भारत को ब्रह्मपुत्र और सतलज नदियों पर हाइड्रोलॉजिकल यानी जल के प्रवाह से संबंधित डेटा प्रदान करता है।
भारत भी अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी पर जलविद्युत बांध बना रहा है।
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- ब्रह्मपुत्र
- यारलुंग त्संगपो
- विश्व की छत
- चीन और भारत
पंगसौ दर्रा (PANGSAU PASS)
हाल ही में, अरुणाचल प्रदेश में तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘पंगसौ दर्रा अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव’ संपन्न हुआ।
पंगसौ दर्रे के बारे में
- स्थान: यह भारत-म्यांमार सीमा पर पटकाई पहाड़ी पर 3,727 फीट (1,136 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है।
- नाम की उत्पत्ति: इसका नाम म्यांमार के निकटवर्ती गांव, पंगसौ के नाम पर रखा गया है।
- ऐतिहासिक महत्त्व: ऐसा माना जाता है कि 13वीं शताब्दी में शान जनजाति (अहोम) द्वारा असम पर किए गए आक्रमण का मार्ग यही था।
- कनेक्टिविटी: ऐतिहासिक स्टिलवेल सड़क (लेडो सड़क) नाम्पोंग और पंगसौ दर्रे से होकर म्यांमार में प्रवेश करती है।
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- पंगसौ दर्रा
- भारत-म्यांमार सीमा
फिलाडेल्फिया कॉरिडोर (PHILADELPHI CORRIDOR)
इजरायल और हमास के बीच हालिया युद्ध विराम की शर्तों में फिलाडेल्फिया कॉरिडोर से इजरायल की वापसी का भी प्रावधान है।

फिलाडेल्फिया कॉरिडोर के बारे में
- इस कॉरिडोर को मूल रूप से 1979 की इजरायल-मिस्र शांति संधि के तहत स्थापित किया गया था।
- यह गाजा-मिस्र सीमा के साथ भूमि की एक संकरी पट्टी है। यह लगभग 14 किलोमीटर लंबी और 100 मीटर चौड़ी है।
- यह कॉरिडोर दक्षिणी गाजा पट्टी और मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप के बीच एक महत्वपूर्ण सीमा क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
- यह भूमध्य सागर से शुरू होकर इजरायल सीमा के साथ केरेम शालोम तक जाता है।
- 2005 में गाजा से इजरायली बस्तियों और सैनिकों की वापसी के बाद इसे विसैन्यीकृत सीमा क्षेत्र घोषित कर दिया गया था।
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- फिलाडेल्फिया कॉरिडोर
- इजरायल और हमास
मेक्सिको की खाड़ी (GULF OF MEXICO)
अमेरिकी राष्ट्रपति ने मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर “अमेरिका की खाड़ी” रखने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
मेक्सिको की खाड़ी के बारे में
- सीमाएं: इस खाड़ी की सीमाएं उत्तर में संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिम और दक्षिण में मैक्सिको तथा दक्षिण-पूर्व में क्यूबा से लगती है।
- यह खाड़ी फ्लोरिडा जलडमरूमध्य के माध्यम से अटलांटिक महासागर से और युकाटन चैनल के माध्यम से कैरेबियन सागर से जुड़ती है।
- इसमें गिरने वाली नदियां: मिसिसिपी, रियो ग्रांड आदि।
- नियंत्रण और स्वामित्व: संयुक्त राज्य अमेरिका, मेक्सिको और क्यूबा का इस पर साझा नियंत्रण व स्वामित्व है।
- महत्त्व: विशाल महाद्वीपीय शेल्फ, तेल और प्राकृतिक गैस निष्कर्षण, मत्स्य पालन आदि।
- सुभेद्यता: मेक्सिको की खाड़ी के जल का तापमान उच्च होता है, जो हरिकेन और भंवर के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाता है। इसके अलावा, इसकी वातावरणीय दशाएं भी प्रतिकूल स्थितियां उत्पन्न कर देती हैं।
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- मेक्सिको की खाड़ी
- अमेरिका की खाड़ी
पनामा नहर (PANAMA CANAL)
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पनामा नहर पर अमेरिकी नियंत्रण फिर से लागू करने की धमकी दी।

पनामा नहर के बारे में
- यह 82 किलोमीटर (51 मील) लंबा कृत्रिम जलमार्ग है। पनामा नहर अटलांटिक महासागर (कैरिबियन सागर) को प्रशांत महासागर से तथा उत्तरी अमेरिका को दक्षिण अमेरिका से जोड़ती है।
- नहर में जहाजों का परिवहन गैटुन झील के माध्यम से होता है।
- महत्त्व:
- यह विश्व के दो सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक कृत्रिम जलमार्गों में से एक है। दूसरा महत्वपूर्ण रणनीतिक कृत्रिम जलमार्ग स्वेज नहर है।
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच जहाजों की यात्रा को 8,000 मील (लगभग 22 दिन) तक कम कर देता है।
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- पनामा नहर
- गैटुन झील