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सशस्त्र बलों में महिलाएं (WOMEN IN ARMED FORCE) | Current Affairs | Vision IAS
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सशस्त्र बलों में महिलाएं (WOMEN IN ARMED FORCE)

Posted 21 Jul 2025

1 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy: NDA) से महिला कैडेट्स का पहला बैच सफलतापूर्वक पास आउट हुआ। इनमें 17 महिला कैडेट्स शामिल थीं।

सशस्त्र बलों में महिलाओं के शामिल होने का महत्व

  • समानता के संवैधानिक उद्देश्यों की पूर्ति: यह कदम अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 15 (भेदभाव का प्रतिषेध) और अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता) के क्रियान्वयन में योगदान देता है। साथ ही, यह अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण रक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है।
  • सैन्य अभियानों को बल प्रदान करना: यह कदम सेना में प्रतिभा पूल को बढ़ाता है तथा योजना बनाने और क्रियान्वयन में अलग-अलग विचारों को सामने लाता है। यह टीम के प्रदर्शन और निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुधार करता है।
  • सामाजिक प्रभाव: महिलाओं ने युद्ध और सहायक, दोनों ही भूमिकाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जिसमें उन्होंने मजबूत पेशेवर सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया है। यह पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान सेवा-क्षेत्र में लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने में मदद करता है।
    • उदाहरण: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस ब्रीफिंग का नेतृत्व किया।
  • मानवीय भूमिका: महिलाएं सैन्य-नागरिक सौहार्द स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, विशेषकर उन स्थानीय समुदायों के साथ विश्वास बहाली में जहाँ सांस्कृतिक मानदंडों के कारण पुरुष सैन्य कर्मी सफल नहीं हो पाते हैं। यह संघर्ष समाधान और लोगों का विश्वास जीतने के लिए आवश्यक है।

सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम

  • नीतिगत उपाय
    • स्थायी कमीशन (PC): महिला अधिकारियों (WOs) को 11 सैन्य-कार्यों और सर्विसेज में (सैन्य चिकित्सा कोर, सैन्य दंत चिकित्सा कोर और सैन्य नर्सिंग सेवा के अतिरिक्त) स्थायी कमीशन प्रदान किया गया।
    • अग्निवीर के रूप में महिलाएं: महिलाओं को पुरुषों के समान प्रशिक्षण और चयन मानकों से गुजरना पड़ता है।
  • संरचनात्मक सुधार
    • आर्मी एविएशन कोर: 2021 से महिलाओं को पायलट के रूप में नियुक्त होने की अनुमति दी गई।
    • युद्धपोतों पर महिलाओं की तैनाती: अब महिलाओं को नौसेना के जहाजों पर भी तैनात किया जाता है, जिसमें नेविगेशन अधिकारी जैसी भूमिकाएं भी शामिल हैं।
  • आउटरीच और सहायता पहल: IAF का 'दिशा' सेल युवा महिलाओं को वायु सेना में शामिल होने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान और प्रेरक वार्ता आयोजित करता है।

सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए चुनौतियां

  • लैंगिक पूर्वाग्रह और सामाजिक सोच: कुछ नेता अभी भी रूढ़िवादी सोच वाले हैं तथा नेतृत्व या युद्ध में महिलाओं की क्षमता पर सवाल उठाते हैं। इससे महिलाओं की भूमिका की उपेक्षा की जाती है और सैन्य संगठनों में उनका प्रतिनिधित्व कम रह जाता है।
  • अवसंरचना की कमी: दुर्गम या युद्धक क्षेत्रों (जैसे- सियाचिन में, पनडुब्बियों पर) में महिलाओं के लिए अवसंरचना सुविधाओं की कमी है।
  • अधिक शारीरिक श्रम की जरूरत और प्रशिक्षण की कमी: युद्धक अभियानों में अक्सर उच्च शारीरिक मानकों की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था के दौरान यूनिट की एकता या युद्धक तैयारियों को लेकर चिंताएं और अनुकूलित प्रशिक्षण की कमी को लेकर भी चिंताएं मौजूद हैं।
  • सैन्य दायित्व और दैनिक घरेलू कार्यों के बीच संतुलन: समय-समय पर ट्रांसफर, लंबी पोस्टिंग अवधि व्यक्तिगत जीवन में चुनौतियां पैदा कर सकती हैं। यह समस्या संतान वाली महिला सैनिकों के लिए विशेष रूप से है।

निष्कर्ष 

जैसे-जैसे युद्ध का स्वरूप बदल रहा है तथा शारीरिक बल की तुलना में प्रौद्योगिकी, इंटेलिजेंस और स्थिति के अनुसार ढलने की महत्ता बढ़ रही है, वैसे-वैसे भारत की सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई स्तरों पर व्यापक सुधारों की आवश्यकता है। इसमें सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कार्य-विशेष फिटनेस मानकों को कैसे लागू किया जाता है, सैन्य सेवा में महिलाओं के प्रति नजरिये में कैसे बदलाव लाया जाता है, और यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए मजबूत तंत्र कैसे स्थापित किया जाता है।

  • Tags :
  • Operation Sindoor
  • Women in Armed Force
  • Babita Puniya Case
  • Khush Kalra Case
  • IAF’S ‘DISHA’ Cell
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