सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, इतालवी लक्जरी ब्रांड प्राडा पर भारत की पारंपरिक भौगोलिक संकेतक (GI) टैग वाली कोल्हापुरी चप्पलों से मिलती-जुलती फ्लैट लेदर सैंडल बेचने के लिए सांस्कृतिक विनियोग का आरोप लगाया गया।
सांस्कृतिक विनियोग क्या है?
- सांस्कृतिक विनियोग का आशय एक संस्कृति के तत्वों को दूसरी संस्कृति के लोगों द्वारा अपनाने से है। विशेष रूप से यह तब कहा जाता है, जब कोई प्रभावशाली समूह किसी हाशिए पर मौजूद संस्कृति के पहलुओं को ऐसे तरीके से अपनाता है, जिसे अनादरपूर्ण या शोषणकारी माना जाता है अर्थात् उनका मूल अर्थ नष्ट हो जाता है या उनके महत्व का अनादर होता है।
- बहुसंख्यक समूह के सदस्यों का अल्पसंख्यक समूह की संस्कृति से आर्थिक या सामाजिक रूप से लाभ कमाना सांस्कृतिक विनियोग कहलाता है।
- अन्य उदाहरण:
- अमेरिकी ब्रांड स्टारबक्स का "गोल्डन लाटे" या गोल्डन मिल्क भारतीय आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक हल्दी दूध (टरमरिक मिल्क) के समान है।
- इतालवी ब्रांड गुच्ची द्वारा फूलों की कढ़ाई वाला जैविक लिनन कफ्तान बेचना, जो भारतीय कुर्ते जैसा दिखाई देता है।
कोल्हापुरी चप्पल के बारे में
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सांस्कृतिक विनियोग के लिए जिम्मेदार कारक
- संरक्षण तंत्र का अभाव: वर्तमान में मौजूद बौद्धिक संपदा (IP) प्रणालियां (जैसे- पेटेंट, ट्रेडमार्क या कॉपीराइट) व्यक्तिगत नवाचार के लिए डिज़ाइन की गई हैं, न कि सामूहिक विरासत के संरक्षण के लिए।
- GI टैग से संबंधित मुद्दे: GI अधिकार मुख्य रूप से 'क्षेत्रीय प्रकृति' के होते हैं। इसके परिणामस्वरूप, ये उस देश (या क्षेत्र) तक सीमित हो जाते हैं, जहां उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता है। वर्तमान में, कोई स्वचालित 'वैश्विक' या 'अंतर्राष्ट्रीय' GI अधिकार मौजूद नहीं है।
- किसी अन्य देश में GI के उल्लंघन के मामले में, प्रभावित पक्ष उस देश के बौद्धिक संपदा (IP) कानूनों पर निर्भर करते हैं, यदि उन देशों के मध्य द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए जाते हैं।
- हालिया मामले में, कोल्हापुरी चप्पल GI टैग अधिकार धारकों को इतालवी कानून के अनुसार, कानूनी कार्रवाई करने में कठिनाई हो रही है।
- डिजिटल मार्केटप्लेस की खामियां: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सांस्कृतिक विनियोग के आरोप लगाए जाने के बाद ही कोई कदम उठाते हैं, जबकि पुनर्विक्रय बाजार और डिजिटल पुनरुत्पादन बड़े पैमाने पर अनियंत्रित बने हुए हैं।
- प्रवर्तन और जागरूकता का अभाव: महाराष्ट्र में 10,000 से अधिक परिवार पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पल बनाते हैं, लेकिन GI फ्रेमवर्क के तहत केवल 95 व्यक्ति ही आधिकारिक तौर पर अधिकृत GI उपयोगकर्ता के रूप में पंजीकृत हैं।
सांस्कृतिक विनियोग में शामिल नैतिक आयाम
- कांट के नैतिकता के सिद्धांत (कैटेगोरिकल इंपेरेटिव) का उल्लंघन: सहमति के बिना सांस्कृतिक तत्वों का विनियोग समुदायों को केवल साध्य (लाभ) के एक साधन के रूप में मानता है, न कि अपने आप में एक साध्य के रूप में।
- उपयोगितावाद: कंपनियों के लिए अल्पकालिक लाभ, हाशिए पर मौजूद समुदायों की सांस्कृतिक गरिमा, आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक कल्याण को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचाते हैं।
- कारीगरों की आजीविका का क्षरण: सांस्कृतिक विनियोग अमर्त्य सेन के 'क्षमता दृष्टिकोण' (Capability Approach) का उल्लंघन करता है। इससे कारीगरों और सांस्कृतिक समुदायों को स्वतंत्रता, गरिमा एवं आर्थिक अवसरों से वंचित किया जाता है।
वैश्वीकरण ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को कैसे प्रभावित किया है?सकारात्मक प्रभाव:
नकारात्मक प्रभाव:
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निष्कर्ष
प्राडा के कोल्हापुरी चप्पल विवाद में देखा गया सांस्कृतिक विनियोग, हाशिए पर मौजूद समुदायों की सांस्कृतिक विरासत और कारीगरों की आजीविका को संरक्षित करने के लिए मजबूत वैश्विक बौद्धिक संपदा सुरक्षा एवं नैतिक प्रथाओं की आवश्यकता को रेखांकित करता है।