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ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग (GEM) रिपोर्ट, 2024 (Global Education Monitoring 2024 Report) | Current Affairs | Vision IAS
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संक्षिप्त समाचार

Posted 21 Jul 2025

5 min read

ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग (GEM) रिपोर्ट, 2024 (Global Education Monitoring 2024 Report)

यूनेस्को के ‘एजुकेशन 2030 इंचियोन डिक्लेरेशन एंड फ्रेमवर्क फॉर एक्शन' के तहत यह रिपोर्ट प्रकाशित करनी होती है। यह रिपोर्ट SDG-4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) और अन्य SDGs की दिशा में प्रगति की निगरानी एवं रिपोर्टिंग के लिए जारी की जाती है। 

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

  • शिक्षा प्रणालियों में व्यवधान: पिछले 20 वर्षों में, कम और मध्य-आय वाले देशों में कम से कम 75% चरम मौसमी घटनाओं के दौरान स्कूल बंद रहे थे। इससे 5 मिलियन या उससे अधिक लोग प्रभावित हुए थे।
  • भारत से संबंधित रिपोर्ट: भारत में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि वर्षा के बदलते पैटर्न के कारण 5 वर्ष की आयु में नए शब्द सीखने तथा 15 वर्ष की आयु में गणित एवं गैर-संज्ञानात्मक कौशल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
    • तीव्र प्रगति: प्राथमिक स्तर के बच्चों की स्कूल न जाने की दर में सुधार।
    • धीमी प्रगति: स्कूल न जाने की दर (निम्न माध्यमिक स्तर) और शिक्षा पूरी करने की दर में लैंगिक अंतर (उच्च माध्यमिक स्तर)।
  • शिक्षा की भूमिका: जलवायु परिवर्तन से निपटने में शिक्षा की भूमिका को अंतर्राष्ट्रीय एजेंडे में वह महत्त्व नहीं दिया गया है, जिसकी वह हकदार है।
    • SDG-4 को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की 72 जलवायु पहलों में से केवल 2 में ही शामिल किया गया है।

रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें 

  • जलवायु परिवर्तन संबंधी शिक्षा को सभी विषयों के सिलेबस में अधिक महत्त्व देते हुए शामिल करने की आवश्यकता है। साथ ही, इस संबंध में शिक्षकों के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण सहायता भी प्रदान करने की जरूरत है।
  • शिक्षा संबंधी अवसंरचना को जलवायु-अनुकूल बनाना चाहिए।
  • जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियों के शमन और अनुकूलन से जुड़े समाधान विकसित करने में शिक्षा की भूमिका को महत्त्व दिया जाना चाहिए।
  • क्लाइमेट फाइनेंस प्रोग्राम के अंतर्गत शिक्षा में निवेश करना शामिल किया जाना चाहिए।
  • जलवायु संबंधी योजनाओं और वित्त-पोषण में शिक्षा विषय को शामिल करने के लिए शिक्षा जगत के अलावा अन्य हितधारकों के साथ भी संपर्क स्थापित करना चाहिए।
  • Tags :
  • Education monitoring

जेंडर बजटिंग नॉलेज हब' पोर्टल (Gender Budgeting Knowledge Hub Portal)

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जेंडर बजटिंग पर राष्ट्रीय परामर्श के दौरान 'जेंडर बजटिंग नॉलेज हब' पोर्टल लॉन्च किया।

जेंडर बजटिंग नॉलेज हब पोर्टल के बारे में

  • यह एक केंद्रीकृत पोर्टल है। इस पर कई तरह की उपयोगी सामग्री जैसे पॉलिसी ब्रीफिंग, सर्वश्रेष्ठ प्रथाएंजेंडर-आधारित आंकड़े आदि उपलब्ध हैं।
  • इसका उपयोग केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों/ विभागों और अन्य हितधारकों द्वारा किया जा सकता है।
  • इसमें एक ऑनलाइन एप्लिकेशन पोर्टल भी है, जिसके माध्यम से जेंडर बजटिंग से जुड़े प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए प्रस्ताव भेजे जा सकते हैं।

जेंडर बजटिंग (GB) क्या है?

  • यह एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो सरकारी योजनाओं और बजटों में लैंगिक समानता को एकीकृत करता है। यह विश्लेषण करता है कि बजट किस प्रकार लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में सहायक साबित हो सकता है।
  • जेंडर बजटिंग में सरकारी बजट का गहन विश्लेषण शामिल है जैसे-
    • बजट का विश्लेषण करना कि वह महिलाओं/ पुरुषों पर क्या प्रभाव डालता है।
    • प्रतिबद्धताओं और संबंधित कार्यों को प्राथमिकता देना तथा उनके अनुसार कार्य योजना बनाना।
    • लैंगिक समानता से संबंधित प्रतिबद्धताओं के लिए बजट आवंटन सुनिश्चित करना।

भारत में जेंडर बजटिंग की आवश्यकता

  • जेंडर-संवेदनशील नीतियां: बजटीय आवंटन का संसाधनों के वितरण के पैटर्न के माध्यम से महिलाओं और पुरुषों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। इसलिए नीति निर्माण, क्रियान्वयन और मूल्यांकन में लगातार लैंगिक दृष्टिकोण को शामिल करना आवश्यक है।
  • उत्तरदायी शासन व्यवस्था और सहभागी बजटिंग: यह सभी स्तरों पर जैसे- पंचायती राज संस्थाओं, शहरी स्थानीय निकायों आदि में निर्णय लेने में महिलाओं की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
  • कानूनी ढांचे को मजबूत करना: यह महिलाओं से संबंधित कानूनों जैसे- आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम, 2013 आदि को मजबूत करता है।
  • Tags :
  • Gender Budgeting

UNFPA स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन, 2025 (STATE OF WORLD POPULATION REPORT 2025)

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने अपनी विश्व जनसंख्या की स्थिति (SWP), 2025 रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट का शीर्षक है 'द रियल फर्टिलिटी क्राइसिस: द पुसुईट ऑफ रिप्रोडक्टिव एजेंसी इन ए चेंजिंग वर्ल्ड।’

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • रिप्रोडक्टिव एजेंसी संकट: रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि वास्तविक मुद्दा अधिक जनसंख्या नहीं है, बल्कि विकल्प की कमी के कारण वांछित परिवार आकार प्राप्त करने में असमर्थता है।
    • रिप्रोडक्टिव एजेंसी का अर्थ है अपनी प्रजनन क्षमता पर सूचित और सशक्त निर्णय लेने की क्षमता। इसके लिए एक ऐसे सहायक परिवेश की आवश्यकता होती है, जहां व्यक्ति और युगल कानूनी, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक (मानदंडों से संबंधित) बाधाओं से मुक्त होकर चुनाव कर सकें।
  • यह रिपोर्ट कई अधूरी प्रजनन इच्छाओं को भी उजागर करती है, जैसे कि अनचाहा गर्भधारण, अपेक्षा से कम संतान होना आदि।
  • यह रिपोर्ट लोगों के अधिकारों और विकल्पों को प्राथमिकता देने के लिए जनसंख्या से संबंधित नीतियों में बदलाव का समर्थन करती है। यह सुझाव देती है कि जनसंख्या के आकार को नियंत्रित करने की कोशिश करने की बजाय, लोगों को वैसा परिवार बनाने के लिए सक्षम किया जाए जैसा वे चाहते हैं। इसके लिए अधिकार-आधारित, स्थिर और विश्वासपूर्ण परिस्थितियां तैयार की जानी चाहिए।
  • Tags :
  • UNFPA
  • World Population
  • State of World Population
  • Reproductive agency

WHO की सामाजिक जुड़ाव पर रिपोर्ट (WHO REPORT ON SOCIAL CONNECTION)

‘अकेलेपन से सामाजिक जुड़ाव तक: स्वस्थ समाज के लिए मार्ग तैयार करना (From Loneliness to Social Connection: Charting a Path to Healthier Societies)’ रिपोर्ट जारी की गई।

  • यह रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कमीशन ऑन सोशल कनेक्शन ने जारी की है। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, कल्याण और समाज पर सामाजिक अलगाव एवं अकेलेपन के प्रभाव पर प्रकाश डालती है।

सामाजिक जुड़ाव और सामाजिक विलगाव (Social Connection and Disconnection) क्या है?

  • सामाजिक जुड़ाव: इसका अर्थ है कि परिवार, मित्र, सहकर्मी, पड़ोसी, सहपाठी आदि से जुड़ना और आपस में बातचीत करना।
  • सामाजिक विलगाव: यह तब होता है, जब किसी व्यक्ति के पास पर्याप्त सामाजिक संपर्क नहीं होता, या उसे अपने रिश्तों से सहयोग और समर्थन नहीं मिलता, या उसके रिश्ते तनावपूर्ण या नकारात्मक होते हैं। इसके दो प्रकार होते हैं:
    • अकेलापन (Loneliness): यह तब महसूस होता है, जब किसी व्यक्ति की अपेक्षित और वास्तविक जुड़ाव की स्थिति में अंतर होता है।
    • सामाजिक अलगाव (Social Isolation): जब किसी व्यक्ति के बहुत कम मित्र, रिश्तेदार या जान-पहचान के लोग होते हैं, या वह दूसरों से बहुत कम मिलता-जुलता है, तो इसे सामाजिक अलगाव कहा जाता है।

इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

  • सामाजिक विलगाव की व्यापकता: 2014-2023 तक के आंकड़ों के अनुसार लगभग प्रत्येक 6 में से 1 व्यक्ति अकेलापन महसूस करता है। इनमें युवा (13-29 वर्ष) सबसे अधिक अकेलापन महसूस करते हैं।
    • 1990-2022 तक के आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक 3 में से 1 वृद्ध वयस्क तथा 2003-2018 तक के आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक 4 में से 1 किशोर सामाजिक रूप से अलगाव की स्थिति में है।
  • असमानताएं: निम्न आय वाले देशों में लगभग 24% लोग अकेलापन महसूस करते हैं, जबकि अमीर देशों में यह आंकड़ा 11% है।
  • सामाजिक विलगाव के प्रभाव: 
    • शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: वैश्विक स्तर पर 2014-2019 के दौरान लगभग 871,000 मौतें अकेलेपन से संबंधित थी।
    • मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: इसमें अवसाद, एंजायटी, डिमेंशिया आदि शामिल हैं। 
    • सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: इसमें खराब शैक्षणिक प्रदर्शन और उत्पादकता की हानि शामिल हैं। 
  • Tags :
  • Social Connection
  • Social Isolation
  • Loneliness
  • Social disconnection

परफॉर्मेंस ग्रेड इंडेक्स (PGI) 2.0 {PERFORMANCE GRADE INDEX (PGI) 2.0}

PGI के बारे में

  • उत्पत्ति: PGI की शुरुआत 2017 में की गई थी, और बाद में इसे 2021 में PGI 2.0 के रूप में नया स्वरूप दिया गया।
  • जारीकर्ता: शिक्षा मंत्रालय
  • डेटा के स्रोत: यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+), नेशनल अचीवमेंट सर्वे (NAS), पी.एम.-पोषण पोर्टल, प्रबंध /PRABAND पोर्टल और विद्यांजली पोर्टल।
  • उद्देश्य: PGI राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्कूल शिक्षा व्यवस्था के प्रदर्शन का समग्र मूल्यांकन करता है।
  • संरचना: PGI की संरचना में कुल 1000 अंकों का भारांक होता है, जिन्हें 73 संकेतकों (indicators) में बाँटा गया है। इन संकेतकों को दो मुख्य श्रेणियों में रखा गया है:
    • परिणाम (Outcome); तथा  
    • अभिशासन और प्रबंधन (Governance & Management)।
  • इन श्रेणियों को आगे 6 क्षेत्रों (डोमेन) में बाँटा गया है:
    • लर्निंग आउटकम्स (LO) – अधिगम परिणाम;
    • एक्सेस (A) – पहुंच;
    • इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं (IF);
    • इक्विटी (E) – समानता;
    • गवर्नेंस प्रोसेसेस (GP) – अभिशासन प्रक्रियाएं; तथा 
    • टीचर एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (TET) – शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण। 
  • मूल्यांकन: PGI में प्रदर्शन का मूल्यांकन 1000 अंकों के आधार पर किया जाता है, और इसके अनुसार राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को 10 ग्रेड्स में रखा जाता है।

इंडेक्स के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश शीर्ष चार ग्रेड (दक्ष, उत्कर्ष, अति-उत्तम व उत्तम) प्राप्त नहीं कर सका। 
  • शीर्ष प्रदर्शन: केवल चंडीगढ़ ने प्रचेस्टा-1 (Prachesta-1) ग्रेड हासिल किया।
  • सबसे कमजोर प्रदर्शन: मेघालय एकमात्र राज्य है, जो दसवें ग्रेड (आकांक्षी-3/ Akanshi-3) में रहा।
  • समग्र रुझान:
    • 2023-24 में 24 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के स्कोर 2022-23 की तुलना में बेहतर रहे हैं। 
    • जबकि 12 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों जैसे कि बिहार, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक आदि में स्कोर में गिरावट दर्ज की गई है।
  • Tags :
  • PGI 2.0
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