बहुआयामी निर्धनता (Multidimensional Poverty) | Current Affairs | Vision IAS
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    बहुआयामी निर्धनता (Multidimensional Poverty)

    Posted 12 Nov 2025

    Updated 19 Nov 2025

    1 min read

    Article Summary

    Article Summary

    2025 ग्लोबल एमपीआई से पता चलता है कि विश्व की 18.3% आबादी बहुआयामी गरीबी का सामना कर रही है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवन स्तर और जलवायु संबंधी कमजोरियों के कारण है, विशेष रूप से भारत, अफ्रीका और दक्षिण एशिया में।

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) ने वर्ष 2025 की वैश्विक बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (Global Multidimensional Poverty Index: MPI) रिपोर्ट जारी की है।

    रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

    • बहुआयामी निर्धनता: 109 देशों की 6.3 बिलियन आबादी में से 1.1 बिलियन (18.3%) लोग चरम बहुआयामी निर्धनता में जीवन यापन कर रहे हैं।
      • विश्व के लगभग आधे बहुआयामी निर्धन व्यक्ति केवल छह मध्यम-आय वर्ग वाले देशों अर्थात बांग्लादेश, चीन, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान और तंजानिया में निवास करते हैं।
      • सभी बच्चों में से लगभग 27.8% बच्चे बहुआयामी निर्धनता में जीवन यापन कर रहे हैं, जो वयस्कों (13.5%) की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।
    • निर्धनता और जलवायु जोखिम: निर्धनता और जलवायु संबंधी आघात एक दोहरा बोझ उत्पन्न करते हैं। निर्धनता लोगों को जलवायु खतरों के प्रति अधिक सुभेद्य बनाती है। ये खतरे, बदले में, निर्धनता को और अधिक गहन एवं चिरकालिक (Chronic) बनाते हैं।
      • वैश्विक स्तर पर बहुआयामी निर्धनता में जीवन यापन करने वाले लगभग 10 में से 8 लोग (1.1 बिलियन में से 887 मिलियन लोग) प्रत्यक्ष रूप से अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखा या वायु प्रदूषण जैसे जलवायु संबंधी खतरों के जोखिम का सामना कर रहे हैं।
      • 309 मिलियन निर्धन लोग उन क्षेत्रों में रहते हैं जहां तीन या चार प्रकार के जलवायु खतरों का एक साथ जोखिम होता है। साथ ही, वे गंभीर बहुआयामी निर्धनता का सामना भी कर रहे हैं।
        • ये लोग "तीन गुना या चार गुना बोझ" झेल रहे हैं; उनकी परिसंपत्तियां सीमित होती हैं तथा सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों तक उनकी पहुँच अत्यंत कम होती है, जिससे आपदा संबंधी नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाते हैं।
      • व्यक्तिगत रूप से, विश्व भर में निर्धन लोगों को प्रभावित करने वाले सर्वाधिक व्यापक खतरे अत्यधिक गर्मी (608 मिलियन) और वायु प्रदूषण (577 मिलियन) हैं।
      • उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया को वैश्विक 'हॉटस्पॉट' के रूप में पहचाना गया है, जहाँ जलवायु खतरों से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले निर्धन लोगों की संख्या सर्वाधिक है।
    • भारत में निर्धनता: 2005–2006 में भारत की 55.1% जनसंख्या निर्धन थी। यह निर्धनता अनुपात 2019-2021 में घटकर 16.4% रह गया तथा लगभग 41.4 करोड़ लोग निर्धनता से बाहर निकलने में सफल हुए हैं।

    वैश्विक MPI की कार्यप्रणाली

    • वंचना संकेतक: वैश्विक MPI की गणना शुरू करने के लिए, प्रत्येक परिवार और उसमें रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक वंचना (Deprivation) प्रोफाइल बनाया जाता है। इसमें मानव विकास के तीन आयामों (स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर) से संबंधित 10 संकेतक शामिल होते हैं (नीचे दी गई तालिका देखें)।
      • सभी संकेतकों को प्रत्येक आयाम के भीतर समान भारांश दिया जाता है।
      • किसी व्यक्ति का वंचना स्कोर, उसके द्वारा अनुभव की जाने वाली सभी भारांश-युक्त वंचनाओं का कुल योग होता है।
      • वैश्विक MPI उन लोगों को बहुआयामी निर्धन के रूप में वर्गीकृत करता है जिनका वंचना स्कोर एक-तिहाई (33.3%) या उससे अधिक होता है।
    • MPI मान: यह निर्धनता की व्यापकता (H, या बहुआयामी निर्धनता में जीवन यापन करने वाले लोगों का अनुपात) और निर्धनता की तीव्रता (A, या बहुआयामी निर्धन लोगों में औसत वंचना स्कोर) का गुणनफल है।
      • सरल शब्दों में, MPI = H × A
      • MPI को 'समायोजित हेडकाउंट अनुपात' (Adjusted Headcount Ratio) भी कहा जाता है और इसमें बहुआयामी निर्धनता में जीवन यापन करने वाले लोगों का हिस्सा (व्यापकता या हेडकाउंट) और उनकी वंचना की सीमा (तीव्रता) दोनों सम्मिलित होते हैं।
      • MPI का मान 0 से 1 के बीच होता है और उच्च मान, उच्च निर्धनता का सूचक है।

    निर्धनता के आयाम

    संकेतक

    वंचित माने जाएंगे यदि व्यक्ति ऐसे परिवार में रहते हैं जहां…

    भारांश

    स्वास्थ्य

    पोषण

    70 वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति, जिसके लिए पोषण संबंधी जानकारी कुपोषित के रूप में उपलब्ध है।

    1/6

    बाल मृत्यु दर

    सर्वेक्षण से पहले के पांच वर्षों की अवधि में सर्वेक्षण वाले परिवार में 18 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे की मृत्यु हुई हो।

    1/6

    शिक्षा

    स्कूली शिक्षा के वर्ष

    परिवार में स्कूल में प्रवेश की आयु + छह वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी सदस्य जिसने कम से कम छह वर्ष की स्कूली शिक्षा पूरी नहीं की है।

    1/6

    स्कूल में उपस्थिति

    स्कूल-जाने की आयु का कोई भी बच्चा, उस आयु तक स्कूल नहीं जा रहा है जिस आयु में उसे कक्षा 8 पूरी कर लेनी चाहिए थी।

    1/6

    जीवन स्तर

    खाना पकाने का ईंधन

    परिवार ठोस ईंधन (लकड़ी, उपले, कोयला या चारकोल) से भोजन पकाता है।

    1/18

    स्वच्छता 

    परिवार की स्वच्छता सुविधा बेहतर नहीं है (SDG दिशा-निर्देशों के अनुसार) या यह बेहतर है लेकिन अन्य परिवारों के साथ साझा की जाती है।

    1/18

    पेयजल

    परिवार के पास सुरक्षित पेयजल सुविधा नहीं है (SDG दिशा-निर्देशों के अनुसार), या वह घर से आने-जाने में 30 मिनट या उससे अधिक दूरी पर स्थित है।

    1/18

    विद्युत

    परिवार के पास विद्युत की सुविधा नहीं है।

    1/18

    आवासन

    छत, दीवारों और फर्श के लिए उपयोग की गई सामग्री में से कम से कम एक अपर्याप्त है: फर्श प्राकृतिक पदार्थों की बनी हों और/या छत और/या दीवारें प्राकृतिक या अपरिष्कृत सामग्री की बनी हों।

    1/18

    परिसंपत्ति

    परिवार के पास रेडियो, टेलीविजन, टेलीफोन, कंप्यूटर, पशु गाड़ी, साइकिल, मोटरसाइकिल या रेफ्रिजरेटर आदि में से एक से अधिक परिसंपत्ति नहीं है, और उनके पास न ही कार या ट्रक है।

    1/18

     

    नीति आयोग राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक 

    • पद्धति: इस सूचकांक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अल्कायर-फॉस्टर (Alkire-Foster) पद्धति का प्रयोग किया गया है, जो वैश्विक बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (वैश्विक MPI) में भी प्रयुक्त होती है। इसमें वैश्विक MPI के सभी 10 संकेतकों यथावत रखा गया है और दो अतिरिक्त संकेतक- मातृ स्वास्थ्य और बैंक खाते को शामिल किया गया है।
    • राष्ट्रीय MPI मूल्य: वैश्विक MPI की तरह, राष्ट्रीय MPI मूल्य की गणना हेडकाउंट अनुपात (H) और निर्धनता की तीव्रता (A) के गुणनफल द्वारा की जाती है।
    • संकेतक: वैश्विक MPI की तरह, भारत का राष्ट्रीय MPI भी तीन समान भारित आयामों अर्थात स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर पर आधारित है, जिन्हें 12 संकेतकों के माध्यम से मापा जाता है (इन्फोग्राफिक देखें)

    निष्कर्ष

    2025 की वैश्विक बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (MPI) रिपोर्ट इस तथ्य को रेखांकित करती है कि निर्धनता अब केवल आय की कमी की एक-आयामी समस्या नहीं रह गई है। यह स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर से जुड़ी परस्पर संबंधित वंचनाओं का एक जटिल ताना-बाना है, जो अब जलवायु सुभेद्यता से और अधिक गंभीर हो गई है। भारत में बहुआयामी निर्धनता में हुई उल्लेखनीय कमी लक्षित कल्याणकारी हस्तक्षेपों और समावेशी विकास रणनीतियों की प्रभावशीलता को दर्शाती है। यद्यपि, इस प्रगति को सतत बनाए रखने के लिए अब समुत्थानशील-केंद्रित (Resilience-Focused) विकास दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। 

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