राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 भारतीय लोकाचार में निहित शिक्षा प्रणाली के जरिए शिक्षा में एक व्यापक परिवर्तन की परिकल्पना करती है। इससे भारत को एक समतामूलक और जीवंत ज्ञान आधारित समाज में बदलने में योगदान मिलेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की प्रमुख उपलब्धियां
- पाठ्यक्रम में सुधार: 5+3+3+4 संरचना और NCF-SE (राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा- स्कूली शिक्षा) अनुभवात्मक एवं योग्यता-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देते हैं।
- बुनियादी कौशल: निपुण (NIPUN) भारत और विद्या प्रवेश जैसी पहलें 8.9 लाख स्कूलों में 4.2 करोड़ से अधिक छात्रों तक पहुंच चुकी हैं।
- समावेशिता: 1.15 लाख से अधिक SEDG (सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूह) छात्र और 7.58 लाख छात्राएं आवासीय विद्यालयों में नामांकित हैं। प्रशस्त (PRASHAST) ऐप दिव्यांगता स्क्रीनिंग में सहायता प्रदान करता है।
- शिक्षकों का प्रशिक्षण: निष्ठा (NISHTHA) पहल के तहत 4 लाख से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है।
- प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: 72% स्कूलों में अब इंटरनेट उपलब्ध है। विद्यांजलि, DIKSHA (डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग), पीएम ई-विद्या (PM e VIDYA), ई-जादुई पिटारा (AI-संचालित खेल-आधारित शिक्षा), AI बॉट (कथा सखी, टीचर तारा) जैसी पहलें चल रही हैं।
- परीक्षण: कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) (2022) अब स्नातक में प्रवेश के लिए एक प्रमुख मार्ग है।
चुनौतियां
- केंद्र-राज्य में नीतिगत मतभेद: उदाहरण के लिए- केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने पीएम-श्री स्कूलों के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इसके लिए NEP को पूर्ण रूप से अपनाना आवश्यक है।
- त्रि-भाषा फार्मूला: राज्यों के विरोध के कारण इसेक कार्यान्वयन में चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।
- संस्थागत विलंब: UGC के उत्तराधिकारी के रूप में भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग (HECI) का गठन और शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFTE) विलंबित है।
