उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में खीर गंगा नदी के ऊपर बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई। यह अलकनंदा नदी की सहायक नदी है।
- इस तरह की घटनाएं उत्तराखंड में अब ज्यादा घटने लगी हैं। 2013 की केदारनाथ त्रासदी इसका एक बड़ा उदाहरण है।
बादल फटना (Cloudburst) क्या होता है?
- यदि किसी जगह पर एक घंटे में 10 सेंटीमीटर या उससे ज्यादा बारिश हो जाती है, तो उसे बादल फटना कहा जाता है।
- बादल फटने की घटनाएं बहुत छोटे दायरे और कम समय में होती हैं। इसलिए इनका पहले अनुमान लगाना मुश्किल होता है।
- इनकी निगरानी के लिए सघन रडार नेटवर्क्स या हाई-रिज़ॉल्यूशन वेदर मॉडल्स की आवश्यकता होती है।
- ये घटनाएं मैदानों में भी घटित हो सकती हैं, लेकिन पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होती हैं, क्योंकि वहां की भौगोलिक संरचना इनकी संभावनाओं में वृद्धि करती है।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना, 2019 में बादल फटने से होने वाली आपदाओं के लिए जोखिम कम करने की रणनीति दी गई है।
हिमालयी राज्यों की संवेदनशीलता के लिए उत्तरदायी कारक
- भौगोलिक:
- खड़ी ढलानें अरब सागर से आने वाली गर्म व नमी युक्त हवा को तेजी से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करती हैं। इस प्रक्रिया को ओरोग्राफिक लिफ्ट कहा जाता है।
- इससे बड़े-बड़े ऊँचे कपासी स्तरी (Cumulonimbus) बादल बनते हैं, जो भारी मात्रा में बारिश करने में सक्षम होते हैं।
- जब ये बादल अत्यधिक नमी से भर जाते हैं और बारिश नहीं हो पाती, तो एक समय ऐसा आता है जब ये बादल फट जाते हैं।
- मानव-जनित:
- वैश्विक तापमान बढ़ने के कारण भारत में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में समग्र वृद्धि हुई है।
- केदारनाथ बाढ़ पर एक अध्ययन में पाया गया कि उस दौरान हुई ज्यादातर वर्षा के लिए ग्रीनहाउस गैसें और वायुमंडलीय प्रदूषक (एयरोसोल्स) जिम्मेदार थे।