IMD ने बताया कि मानसून ट्रफ और एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के संगम के कारण यह स्थिति बनी है। इसे ही "2-सिस्टम इंटरैक्शन" कहा जाता है। इसमें दो अलग-अलग मौसम प्रणालियां मिलकर मौसम में तेज़ बदलाव लाती हैं, जिससे अचानक भारी वर्षा और भूस्खलन जैसी आपदाएं घटित होती हैं।
- यह परस्पर क्रिया तब और तीव्र हो जाती है, जब अतिरिक्त परिसंचरण, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों से नमी सोखकर उसे हिमालय की तराई तक ले आती हैं।
मानसून ट्रफ (Monsoon Trough) और उसका प्रभाव

- मानसून ट्रफ उत्तर-पश्चिम भारत से बंगाल की खाड़ी तक फैला एक लम्बा निम्न दाब क्षेत्र है। यह मानसूनी हवाओं की एक अर्ध-स्थायी (semi-permanent) विशेषता की तरह काम करता है।
- जब यह ट्रफ दक्षिण की ओर खिसकता है, तो आमतौर पर पूरे भारत में सक्रिय मानसून की स्थिति देखने को मिलती है।
- उपर्युक्त परस्पर क्रिया के दौरान, मानसून ट्रफ का पश्चिमी छोर अपनी सामान्य स्थिति पर था, जबकि पूर्वी छोर अपनी सामान्य अवस्थिति से थोड़ा दक्षिण की ओर था।
पश्चिमी विक्षोभ और उनके प्रभाव
- पश्चिमी विक्षोभ निम्न-दाब प्रणालियां हैं, जो आमतौर पर सर्दियों में पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ती हुई उत्तरी भारत पर अपना प्रभाव दिखाती हैं तथा अपने साथ बादल तथा वर्षा लेकर आती हैं।
- ये सामान्यतः भूमध्य सागर (Mediterranean) क्षेत्र से उत्पन्न होते हैं।
- जब इनका अभिसरण मानसूनी प्रणाली से होता है, तो मौसम बहुत अस्थिर हो जाता है। इससे वर्षा की गतिविधि में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलती है।
- पश्चिमी विक्षोभ उत्तर-पश्चिम भारत में एक चक्रवाती परिसंचरण (cyclonic circulation) के रूप में दिखाई देता है।