नालंदा विश्वविद्यालय
भूटान के प्रधान मंत्री ने नालंदा विश्वविद्यालय की यात्रा की।
प्राचीन नालंदा महाविहार के बारे में
- स्थापना: 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त ने की थी।
- स्वरूप: यह बिहार के राजगीर में स्थित था। यह प्राचीन भारत में उच्चतर शिक्षा के प्रमुख केंद्रों में से एक था। प्राचीन भारत में उच्चतर शिक्षा के अन्य बड़े केंद्र तक्षशिला और विक्रमशिला थे।
- नालंदा विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था।
- वर्तमान में यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
- संरक्षक: इसे कन्नौज के राजा हर्षवर्धन (7वीं शताब्दी ईस्वी) और पाल शासकों (8वीं-12वीं शताब्दी ईस्वी) सहित कई अन्य शासकों ने संरक्षण दिया था।
- विद्वान: यहां चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत, मंगोलिया, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया से कई विद्वान अध्ययन के लिए आते थे।
- चीन के विद्वान झुआन ज़ांग (ह्वेनसांग) ने नालंदा की वास्तुकला, परिवेश और विद्वत्तापूर्ण परम्पराओं को दर्ज किया था।
- पतन:
- 9वीं शताब्दी से पाल शासकों के संरक्षण में बौद्ध धर्म में तांत्रिक परंपरा के विकास को बढ़ावा देने के कारण इसका पतन आरंभ हुआ।
- 1200 ई. के आसपास बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट कर दिया।
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- Nalanda
- Gupta dynasty
इक्विटी डेरिवेटिव्स
सेबी ने इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स में इंट्राडे पोजीशन पर निगरानी रखने के लिए एक नया फ्रेमवर्क पेश किया है।
- 1 अक्टूबर से प्रभावी: SEBI ने प्रत्येक इकाई के लिए इंडेक्स ऑप्शंस में नेट इंट्राडे पोजीशन को 5,000 करोड़ रुपये तक सीमित कर दिया है। इसका उद्देश्य निवेशकों के वित्तीय जोखिम को कम करना है।
इक्विटी डेरिवेटिव्स के बारे में
- डेरिवेटिव्स: यह ट्रेडिंग बाजार का एक प्रकार का वित्तीय उत्पाद है। इसका मूल्य उस इंडेक्स में शामिल यानी अंडरलाइंग एसेट्स के मूल्य से तय होता है।
- अंडरलाइंग एसेट्स में इक्विटी शेयर या खुद इंडेक्स (जैसे निफ़्टी), कीमती धातुएं, कमोडिटीज, करेंसी, ब्याज दरें आदि हो सकती हैं।
- इक्विटी डेरिवेटिव्स ऐसे उत्पाद होते हैं जिनका मूल्य आंशिक रूप से एक या अधिक अंडरलाइंग इक्विटी एसेट्स वर्ग से तय होता है।
- फ्यूचर्स और ऑप्शंस कारोबार किये जाने वाले सबसे आम इक्विटी डेरिवेटिव्स उत्पाद हैं।
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- SEBI
- Equity Derivatives
कॉफी
कर्नाटक के कॉफी उत्पादक क्षेत्र (चिकमगलुरु, कूर्ग और हसन) में लम्बे समय तक होने वाली बारिश और ठंड के कारण कॉफी के बागानों को नुकसान पहुंचा है।
कॉफी की खेती के बारे में:
- भारत में कॉफी की खेती की शुरुआत बाबा बुदन ने 17वीं शताब्दी में चिकमंगलूर (कर्नाटक) में की थी।
- खेती के लिए अनुकूल दशाएं- उष्णकटिबंधीय जलवायु, तापमान 15-28 डिग्री सेल्सियस, वर्षा 150-250 सेंटीमीटर, अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी, छायादार क्षेत्र।
- अन्य दशाएं: इसकी खेती के लिए पहाड़ी ढलान अधिक उपयुक्त होते हैं।
- विश्व में अग्रणी कॉफी उत्पादक देश: ब्राजील दुनिया का सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक देश है। भारत अब सातवां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक देश है।
- भारत: भारत मुख्य रूप से अरेबिका और रोबस्टा कॉफी का उत्पादक और निर्यातक है।
- कॉफी के बागान: मुख्यतः नीलगिरि क्षेत्र, जिसमें कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं।
- उत्पादन राज्य: शीर्ष उत्पादक राज्य कर्नाटक (70%) है। इसके बाद केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पूर्वोत्तर क्षेत्र का स्थान आता है।
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- Coffee
- Arabica
भारतीय शीशम (Dalbergia latifolia)
एक अध्ययन में पाया गया कि दक्षिण भारत में शीशम वृक्षों का सबसे कम घनत्व तमिलनाडु में है।
भारतीय शीशम के बारे में
- यह मुख्य रूप से एकल तने वाला पर्णपाती वृक्ष है, जिसके गुम्बदाकार वितान (क्राउन) पर हरे-भरे पत्ते होते हैं। हालांकि, आर्द्र इलाकों में इनके पत्ते नहीं गिरते हैं।
- इसकी छाल पतली, धूसर (ग्रे) रंग की होती है, जिसमें अनियमित रूप में छोटी-छोटी दरारें मौजूद होती हैं।
- आवश्यक औसत वार्षिक वर्षा: 750-5000 मिलीमीटर,
- खेती के लिए आदर्श मृदा: लैटेराइट, जलोढ़, काली मिट्टी आदि।
- स्थानिक (नेटिव): भारत, इंडोनेशिया।
- इसके पेड़ केन्या, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, नाइजीरिया, फिलीपींस, श्रीलंका, वियतनाम में भी उगाए जाते हैं।
- उपयोग: मधुमक्खी पालन में, इमारती लकड़ी में, दवाइयां बनाने में (दस्त, कृमि, अपच और कुष्ठ रोग के इलाज हेतु)।
- Tags :
- Indian Rosewood
- Deciduous Tree
ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट
'ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट' नक्सलियों के खिलाफ चलाया गया अब तक का सबसे बड़ा अभियान है। यह अभियान छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर चलाया गया।
नक्सल-विरोधी अन्य मिशन
- मिशन संकल्प: यह छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा और आसपास की पहाड़ियों पर शुरू किया गया था।
- ऑपरेशन ग्रीन हंट: यह 2009 के अंत में शुरू किया गया था। यह पांच राज्यों - पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में चलाया गया था।
- Tags :
- Operation Black Forest
- Naxal mission
Articles Sources
गिद्ध
असम के एक फाउंडेशन ने भारत का पहला गिद्ध संरक्षण पोर्टल लॉन्च किया।
गिद्धों के बारे में
- भारत में गिद्धों की 9 प्रजातियां पाई जाती है: स्लेडर-बिल्ड वल्चर, व्हाइट-रंप्ड वल्चर, रेड-हेडेड वल्चर, हिमालयन ग्रिफ़ॉन वल्चर, इजिप्शियन वल्चर, सिनेरियस वल्चर, इंडियन वल्चर, बियर्डेड वल्चर, यूरेशियन ग्रिफॉन वल्चर।
- महत्व: गिद्ध मृत जानवरों का मांस भक्षण करके वातावरण को साफ-सुथरा रखते हैं।
- गिद्धों के समक्ष खतरे: डिक्लोफेनाक जैसे विषाक्त नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) से इलाज किए गए मृत मवेशियों का भक्षण, पर्यावास को नुकसान, बिजली के तारों से झटका लगना, भोजन की कमी और मानवीय गतिविधियां।
- संरक्षण हेतु पहलें: गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र (VCBC) - रानी (असम) और पिंजौर (हरियाणा) में स्थापित; भारत में गिद्ध संरक्षण के लिए कार्य योजना 2020-2025, आदि।
- Tags :
- Vultures
- Vulture Conservation
इंटरस्टेलर डस्ट ग्रेन
खगोलविदों को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि इंटरस्टेलर डस्ट ग्रेन आकाशगंगा में चुंबकीय क्षेत्रों के साथ एक दिशा में व्यवस्थित हो जाते हैं।
इंटरस्टेलर डस्ट ग्रेन के बारे में
- इंटरस्टेलर डस्ट ग्रेन लाल दानव (Red giants) जैसे तारों की ठंडी बाहरी परतों में बनते हैं।
- ये विकिरण दबाव, तारकीय पवनों, या तारकीय विस्फोटों के माध्यम से अंतरिक्ष में मुक्त होते हैं।
- संरचना: इन कणों में अमॉर्फस सिलिकेट और कार्बनयुक्त पदार्थ पाए जाते हैं।
- तारा निर्माण में भूमिका: इंटरस्टेलर डस्ट गैस के बादलों को ठंडा और घना बना देती है, जिससे गुरुत्वाकर्षण के कारण वे सिकुड़कर नए तारों का निर्माण कर देते हैं।
- Tags :
- Interstellar Dust Grain
- Star Formation