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देश भर में दादाभाई नौरोजी की 200वीं जयंती मनाई गई | Current Affairs | Vision IAS
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देश भर में दादाभाई नौरोजी की 200वीं जयंती मनाई गई

Posted 04 Sep 2025

1 min read

दादाभाई नौरोजी एक भारतीय पारसी विद्वान, व्यापारी और राजनीतिज्ञ थे। उन्हें "ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया” और "ऑफिसियल एम्बेसडर ऑफ इंडिया" के नाम से भी जाना जाता है।

  • वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्य और तीन बार अध्यक्ष (1886, 1893 और 1906) रहे थे।

दादाभाई नौरोजी के प्रमुख योगदान (1825–1917)

सामाजिक सुधार

  • महिला शिक्षा को बढ़ावा: उन्होंने 1848 में लिटरेरी एंड साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना की थी। इस संस्था ने 1849 तक बालिकाओं के लिए 6 स्कूल स्थापित किए थे।
  • सुधारवादी विचारों का प्रसार: उन्होंने रास्त गोफ्तार समाचार-पत्र की शुरुआत की थी। पारसी समाज में सुधार के लिए रहनुमाई मज़दायासन सभा (1851) की सह-स्थापना की थी।

आर्थिक योगदान

  • धन के बहिर्गमन का सिद्धांत: उन्होंने ही सबसे पहले यह बताया था कि कैसे ब्रिटिश नीतियों ने कराधान, वेतन, पेंशन और विप्रेषण (remittances) के नाम पर भारत की संपत्ति को ब्रिटेन भेजा है।
  • प्रमुख साहित्यिक कृतियां: पॉवर्टी ऑफ इंडिया (1876)पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया (1901) आदि।
  • औपनिवेशिक शोषण को उजागर किया: ईस्ट इंडिया एसोसिएशन जैसे मंचों के माध्यम से अंग्रेजों की औपनिवेशिक शोषणकारी नीतियों को उजागर किया।

राजनीतिक योगदान

  • उदारवादी नेता: उन्होंने याचिका, प्रार्थना और विरोध जैसे संवैधानिक एवं शांतिपूर्ण साधनों का समर्थन किया था।
    • उन्होंने 1865 में लंदन इंडियन सोसाइटी और 1866 में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की थी।
  • ब्रिटिश संसद में पहले भारतीय सांसद: 1892 के आम चुनाव में फिन्सबरी सेंट्रल से लिबरल पार्टी के लिए चुने गए थे।
  • स्वराज: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के 1906 के अधिवेशन में स्वराज को एक ठोस राजनीतिक लक्ष्य घोषित किया था।
  • मार्गदर्शन: नौरोजी ने बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले और महात्मा गांधी जैसे भविष्य के कांग्रेसी नेताओं को सलाह देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • Tags :
  • Drain of Wealth Theory
  • Dadabhai Naoroji
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