SEBI बोर्ड की बैठक में प्रमुख विनियमों में ढील दी गई तथा निवेश-अनुकूल माहौल को बेहतर बनाने और विनियामक जटिलता को कम करने के लिए SWAGAT-FI फ्रेमवर्क पेश किया गया।
SEBI बोर्ड की बैठक में लिए गए निर्णय:
- SWAGAT-FI फ्रेमवर्क: SEBI ने सिंगल विंडो ऑटोमैटिक एंड जनरलाइज्ड एक्सेस फॉर ट्रस्टेड फॉरेन इन्वेस्टर्स (SWAGAT-FI) फ्रेमवर्क पेश करने को मंजूरी दी, जो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) और विदेशी वेंचर कैपिटल निवेशकों (FVCIs) के लिए है।
- FPIs सार्वजनिक बाजारों में लिस्टेड प्रतिभूतियों (जैसे- इक्विटी, बॉन्ड, डेरिवेटिव आदि) में निवेश करते हैं, जबकि FVCIs वेंचर कैपिटल फंड में निवेश करते हैं।
- इंडिया मार्केट एक्सेस प्लेटफॉर्म: इसे एक डिजिटल गेटवे के रूप में लॉन्च किया गया है। यह भारत के शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों के लिए सहज प्रवेश और अनुपालन की सुविधा प्रदान करेगा।
- रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) का इक्विटी के रूप में पुनर्वर्गीकरण: यह म्यूचुअल फंड योजनाओं द्वारा REITs में निवेश को बढ़ाने में सक्षम करेगा।
- REITs व्यक्तियों को बड़े पैमाने पर, आय-सृजक रियल एस्टेट में निवेश करने की अनुमति देते हैं।
- बड़े जारीकर्ताओं (issuers) के लिए IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) मानदंडों में ढील दी गई। साथ ही, जारीकर्ताओं के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता को पूरा करने की समय सीमा बढ़ाई गई।
- IPO का अर्थ है, जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर जनता को बेचती है और यह स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने के लिए एक अनिवार्य शर्त है।
- वैकल्पिक निवेश कोष (AIFs) योजनाओं की एक अलग श्रेणी पेश की गई, जो अनन्य रूप से केवल प्रत्यायन प्राप्त निवेशकों (Accredited investors: AI) के लिए है।
- प्रत्यायन प्राप्त निवेशक एक ऐसा व्यक्ति या कंपनी है, जो विशिष्ट आय, नेट वर्थ या पेशेवर योग्यता मानदंडों को पूरा करता/ करती है। इससे उन्हें SEBI के साथ पंजीकृत नहीं होने वाली प्रतिभूतियों में निवेश करने की अनुमति मिलती है।