यह इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) के साथ भारत का तीसरा और PMS के लिए दूसरा खोज अनुबंध है।
- पिछला अनुबंध: भारत के पास मध्य हिंद महासागर बेसिन में पॉलीमेटैलिक नॉड्यूल्स और हिंद महासागर रिज में PMS के लिए पहले से ही अनुबंध हैं।
- पॉलीमेटैलिक नॉड्यूल्स को मैंगनीज नॉड्यूल्स भी कहते हैं। ये चट्टान जैसी संरचनाएं होती हैं, जो लोहे और मैंगनीज हाइड्रॉक्साइड की संकेंद्रित परतों से बनी होती हैं।
- ये परतें शार्क के दांत या किसी खोल के चारों ओर संचित होने लगती हैं।
- वैश्विक पहला लाइसेंस: यह कार्ल्सबर्ग रिज में पॉलीमेटैलिक सल्फाइड नॉड्यूल्स की खोज के लिए दुनिया भर में दिया गया पहला लाइसेंस है।
- कार्ल्सबर्ग रिज: यह अरब सागर और उत्तर-पश्चिम हिंद महासागर में 3,00,000 वर्ग किमी का क्षेत्र है।
- यह भारतीय और अरबी टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच की सीमा बनाता है। यह सीमा रॉड्रिक्स द्वीप के पास से लेकर ओवेन फ्रैक्चर क्षेत्र तक विस्तारित है।
- अफनासी-निकितिन सागर (ANS): भारत ने ANS माउंट के लिए भी आवेदन किया है, जो अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ है।
- ANS मध्य हिंद महासागर में स्थित है। इस क्षेत्र पर श्रीलंका ने भी खोज अधिकारों के लिए दावा किया है।
पॉलीमेटैलिक सल्फाइड (PMS) के बारे में
- ये समुद्र नितल पर पाए जाने वाली तांबा, जस्ता, सोना और चांदी जैसी धातुओं के समृद्ध स्रोत हैं।
- ये निक्षेप उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां पृथ्वी के मेंटल से गर्म व खनिज-समृद्ध तरल पदार्थ समुद्र में निर्मुक्त होता है, जिससे धातु सल्फाइड्स का जमाव होता है।
इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) के बारे में
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