अनुच्छेद 311(2)
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत तीन सरकारी कर्मचारियों को कथित रूप से आतंकवादियों से सांठगांठ के आरोप में बर्खास्त कर दिया।
अनुच्छेद 311(2) के बारे में
- इस अनुच्छेद के अनुसार अखिल भारतीय सेवाओं या केंद्र/ राज्य सरकार के तहत नागरिक सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों को तब तक बर्खास्त या निष्कासित या पदावनत नहीं किया जाएगा जब तक कि उन्हें प्रस्तावित कार्रवाई के विरुद्ध “कारण बताने का उचित अवसर” नहीं दिया गया हो।
- हालांकि निम्नलिखित परिस्थितियों में कारण बताने का उचित अवसर नहीं दिया जा सकता है:
- यदि कर्मचारी किसी अपराध में दोषी पाया गया हो।
- यदि सक्षम प्राधिकारी संतुष्ट हो कि जांच कराना व्यावहारिक नहीं है, हालांकि ऐसी स्थिति में कारणों को लिखित रूप में दर्ज करना अनिवार्य है।
- यदि राष्ट्रपति या राज्यपाल संतुष्ट हों कि राज्य की सुरक्षा के हित में जांच कराना उपयुक्त नहीं है।
नोट: अनुच्छेद 311 के अंतर्गत लिए गए निर्णय को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
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- अखिल भारतीय सेवा
केर्च पुल
यूक्रेन ने हाल ही में केर्च पुल को क्षतिग्रस्त करने की जिम्मेदारी ली है। इस पुल को जल के भीतर विस्फोट करके नुकसान पहुंचाया गया है।
- केर्च स्ट्रेट पर बने इस पुल की लंबाई 19 किलोमीटर है। यह पुल रूस और क्रीमिया प्रायद्वीप के बीच परिवहन नेटवर्क प्रदान करता है।
केर्च स्ट्रेट के बारे में
- अवस्थिति: केर्च स्ट्रेट आज़ोव सागर और काला सागर को जोड़ता है।
- स्ट्रेट या जलडमरूमध्य वास्तव में दो बड़े जल निकायों (समुद्रों) को जोड़ने वाला संकीर्ण जल निकाय होता है।
- महत्व: यह रूस से अनाज और कच्चे तेल, ईंधन तेल, LNG जैसे उत्पादों के निर्यात के लिए यह एक प्रमुख मार्ग है।
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राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI)
नई दिल्ली में DRI के नए मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि तस्करी और मादक पदार्थों के व्यापार की समस्या से निपटने के लिए समग्र और प्रौद्योगिकी आधारित अप्रोच अपनाना चाहिए।
राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) के बारे में
- यह भारत की शीर्ष तस्कर-रोधी एजेंसी है। यह निदेशालय केंद्रीय वित्त मंत्रालय के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अंतर्गत कार्य करती है।
- कार्य: यह सीमा-शुल्क अधिनियम 1962 और लगभग 50 से अधिक सहायक अधिनियमों को लागू करती है। इन अधिनियमों में शस्त्र अधिनियम (Arms Act), नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act), विदेशी मुद्रा और तस्करी रोकथाम अधिनियम (COFEPOSA), वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम आदि शामिल हैं।
- प्रमुख कार्य: यह संस्था तस्करी से संबंधित खुफिया जानकारी का संग्रह, विश्लेषण और साझा करती है तथा इनकी जांच और कार्रवाई करती है।
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- सीमा-शुल्क अधिनियम 1962
अंतर्राष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT)
ICRISAT ने "ICRISAT-साउथ-साउथ सहयोग के लिए उत्कृष्टता केंद्र” का शुभारंभ किया।
- यह पहल ICRISAT और ‘विकासशील देशों के लिए अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (RIS)’ के सहयोग से शुरू की गई है।
- साथ ही, ICRISAT ने दक्षिण/ DAKSHIN (डेवलपमेंट एंड नॉलेज शेयरिंग इनिशिएटिव) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
- DAKSHIN क्षमता निर्माण और विकास साझेदारी के माध्यम से साउथ-साउथ सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत की पहल है।
ICRISAT के बारे में
- मुख्यालय: हैदराबाद (तेलंगाना)
- स्थापना: इसकी स्थापना 1970 के दशक में CGIAR कंसोर्टियम के अंतर्गत एक गैर-लाभकारी अनुसंधान केंद्र के रूप में हुई थी।
- अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान पर परामर्शदात्री समूह (CGIAR) एक वैश्विक अनुसंधान समूह है, जो खाद्य सुरक्षा और संधारणीय कृषि को बढ़ावा देता है।
- उद्देश्य:
- अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लघु कृषकों का समर्थन करना।
- वैश्विक उपस्थिति: यह संस्था एशिया, उप-सहारा अफ्रीका, और अन्य शुष्क क्षेत्रों में भी कार्य करती है।
- उपलब्धियां:
- 2021 में अफ्रीका खाद्य पुरस्कार से सम्मानित।
- दुनिया की पहली अरहर (pigeon pea) हाइब्रिड किस्म विकसित की।
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थर्मोफिलिक बैक्टीरिया (Thermophilic Bacteria)
वैज्ञानिकों का मानना है कि गर्म जल-स्रोतों (Hot Springs) से प्राप्त थर्मोफिलिक बैक्टीरिया अधिक कारगर एंटीबायोटिक्स के अब तक अप्रयुक्त स्रोत हो सकते हैं।
थर्मोफिलिक बैक्टीरिया के बारे में
- परिभाषा: थर्मोफिल्स ऐसे सूक्ष्मजीव होते हैं जो 40°C से 90°C के तापमान पर भी अस्तित्व में रह सकते हैं।
- अधिक गर्मी सहन करने की क्षमता की वजह: ये बैक्टीरिया स्पोर (spores) बनाते हैं। यह एक निष्क्रिय और प्रतिरोधी अवस्था होती है, जो उन्हें चरम प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित रहने में मदद करती है।
- प्रमुख उपयोग:
- ज़ाइलोज़ (xylose) को इथेनॉल में रूपांतरित करने में सहायक
- क्रूड ऑयल डिग्रेडेशन में उपयोगी
- भारी धातुओं की रिकवरी में सहायक
- कृषि अपशिष्टों का शर्करीकरण (Saccharification) में सहायक
- डेयरी उत्पादों की स्वच्छता का संकेतक
- स्तन कैंसर के उपचार में उपयोगी
- टेक्सटाइल वाले अपशिष्ट जल से डाई को हटाने में उपयोगी।
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- बैक्टीरिया
- थर्मोफिलिक बैक्टीरिया
नैनोजाइम
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्ताओं ने एक कृत्रिम धातु-आधारित नैनोज़ाइम (वैनेडियम पेंटोक्साइड (V2O5) विकसित किया है। यह नैनोज़ाइम फुफ्फुसीय थ्रोम्बोम्बोलिज़्म (PTE) जैसी स्थितियों के कारण बनने वाले असामान्य रक्त के थक्के को रोकने में कारगर साबित हो सकती है।
- सामान्य स्थिति में, जब कोई रक्त वाहिका क्षतिग्रस्त होती है तो प्लेटलेट्स सक्रिय होकर रक्त का थक्का (clot) बनाती हैं। हालांकि, PTE जैसी बीमारियों में प्लेटलेट्स की अत्यधिक सक्रियता होती है, जिससे अत्यधिक थक्के (थ्रॉम्बोसिस) बन जाते हैं जिससे मृत्यु का खतरा उत्पन्न होता है।
नैनोजाइम के बारे में
- ये नैनोस्तर के पदार्थ हैं जिनमें प्राकृतिक एंजाइम्स जैसे गुणधर्म होते हैं।
- प्राकृतिक एंजाइम्स की तुलना में इनके कई विशेष लाभ हैं, जैसे: उच्च उत्प्रेरक क्षमता, कम लागत, अधिक स्थायित्व, आसानी से बड़े पैमाने पर उत्पादन आदि।
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- नैनोजाइम
- थ्रॉम्बोसिस
- नैनोस्तर
शुकर जीन
शोधकर्ताओं ने शुकर (स्पर्म) नामक एक नए जीन की खोज की है जो पुष्पीय पादप के विकास से जुड़ी अबोमिनेबल मिस्ट्री को समझने में मदद करता है। यह अध्ययन हैदराबाद स्थित CSIR-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) द्वारा किया गया है।
- CCMB आधुनिक जीव विज्ञान के अग्रणी क्षेत्रों में एक प्रमुख शोध संस्थान है।
शुकर जीन के बारे में
- यह जीन F-बॉक्स नामक जींस के एक समूह को नियंत्रित करता है। ये जीन उन प्रोटीन्स का निर्माण करते हैं जो स्वस्थ पराग के विकास में मदद करते हैं।
- शुकर और इसके F-बॉक्स जीन बहुत तेजी से विकसित होते हैं। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि पुष्पीय पादप पृथ्वी पर इतनी तेजी से और सफलतापूर्वक कैसे विकसित हुए। डार्विन ने पुष्पीय पादपों के इस तीव्र विकास को “अबोमिनेबल मिस्ट्री” कहा था।
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- शुकर जीन
- CCMB
- अबोमिनेबल मिस्ट्री
खुरधारी जीव (Ungulates)
भारतीय वन्यजीव संस्थान और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने भारत में पहली बार खुरधारी जीवों का सर्वेक्षण किया है।
- इस अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि बाघों के प्रमुख शिकार इन खुरधारी जानवरों की संख्या ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ में घट रही है।
खुरधारी जीवों के बारे में
- वर्गीकरण: ये मुख्यतः शाकाहारी स्तनधारी होते हैं। प्रमुख उदाहरण- चीतल, मृग, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, बार्किंग डियर, गौर और वाइल्ड बोअर आदि।
- पर्यावास: घास के मैदान, जंगल और पहाड़ी क्षेत्र।
- महत्त्व:
- ये बीजों का फैलाव करते है जिससे वन और घास के मैदानों की पुनर्बहाली में मदद मिलती है।
- मृदा स्वास्थ्य और पोषक तत्वों के चक्र को प्रभावित करते हैं।
- ये बाघ, तेंदुआ, ढोल (जंगली कुत्ता), लकड़बग्घा और सियार जैसे मांसाहारी जीवों के लिए आहार का प्रमुख स्रोत हैं।
- खतरे: पर्यावास का नुकसान, अवैध शिकार, चारागाहों के लिए पालतु पशुओं के साथ प्रतिस्पर्धा, वर्षा के पैटर्न में बदलाव इत्यादि।
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- खुरधारी जीव
- स्तनधारी
- शाकाहारी