भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने वीज़ा को पीछे छोड़ दिया है और यह (UPI) दुनिया की नंबर एक रियल-टाइम भुगतान प्रणाली बन गई है।
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के बारे में
- यह एक त्वरित भुगतान प्रणाली है, इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने विकसित किया है। NPCI, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधीन एक विनियमित संस्था है।
- यह इमीडिएट पेमेंट सर्विस (IMPS) के फ्रेमवर्क पर आधारित है।
- UPI के पीछे डिजिटल फाउंडेशन:
- प्रधान मंत्री जनधन योजना: इसके तहत 55 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं।
- आधार और डिजिटल पहचान: इसके माध्यम से सुरक्षित और डिजिटल प्रमाणीकरण सुनिश्चित किया गया है।
- कनेक्टिविटी और 5G क्रांति: डिजिटल सेवाओं को सुलभ बनाया गया है।
UPI भुगतान व्यवस्था को कैसे बदल रहा है?
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के रूप में काम करता है: यह ओपन-सोर्स तकनीक पर आधारित है और पहले के क्लोज्ड लूप सिस्टम (CLS) की तुलना में ग्राहकों को जोड़ने व एकीकरण की लागत को कम करता है।
- नोट: CLS एक ऐसा भुगतान नेटवर्क है, जिसमें सभी भागीदार (जैसे- भुगतान करने वाला, भुगतान प्राप्त करने वाला और लेन-देन को संचालित करने वाला सिस्टम) एक ही नेटवर्क के भीतर काम करते हैं।
- आसान एकीकरण: मौजूदा प्रणालियों (चाहे पुरानी हों या नवीन) को आसानी से जोड़ा जा सकता है। साथ ही, यह रियल-टाइम और बैच सेटलमेंट, दोनों प्रकार की सुविधा को सक्रिय रूप से समर्थन देती है।
- इंटरऑपरेबिलिटी: यह उपयोगकर्ताओं की “चुनने की स्वतंत्रता” बढ़ाती है और नए सेवा प्रदाताओं को आसानी से प्रवेश करने की सुविधा देती है।
- सीमा-पार भुगतान निपटान: प्लेटफॉर्म आधारित व्यवस्था के ज़रिए कई देशों के लिए सीमा-पार धन अंतरण (cross border transfers) की सुविधा देती है।
- वैश्विक विस्तार: यह सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस, फ्रांस और नामीबिया में संचालित हो रही है।
- भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में भुगतान की सुविधा देती है।