हाल ही में, प्रधान मंत्री ने ‘बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ लिमिटेड’ पहल का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने महिला सशक्तिकरण के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के वित्तीय समावेशन के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
पहल के बारे में
- उद्देश्य: जीविका (Jeevika) सदस्यों के लिए आसान और वहनीय ब्याज दरों पर डिजिटल तरीके से फंड उपलब्ध कराना। इस प्रकार, बिहार की ग्रामीण महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना।
- जीविका: यह बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना (BRLP) है, जिसका लक्ष्य गरीबी कम करना है। यह योजना SHGs को समर्थन देकर ग्रामीण महिलाओं की उद्यमिता को बढ़ावा देती है।
- इसका उद्देश्य उच्च ब्याज दर वसूलने वाली सूक्ष्म वित्त संस्थाओं (MFI) पर निर्भरता को कम करना है।
महिला सशक्तीकरण में SHGs की भूमिका
- आर्थिक सशक्तीकरण: SHGs महिलाओं को औपचारिक ऋण, रोजगार और आय प्राप्त करने का अवसर प्रदान करते हैं। इससे महिलाएं अपने परिवार के फैसलों में भागीदारी कर पाती हैं। उदाहरण: SHG-बैंक लिंकेज कार्यक्रम।
- सामाजिक सशक्तीकरण: SHGs में महिलाओं का सामूहिक जुड़ाव आत्मविश्वास और सामाजिक सहयोग बढ़ाता है। इससे महिलाएं समाज में फैली लैंगिक असमानता और भेदभाव से लड़ पाती हैं। SHGs स्वास्थ्य सेवा और बाल विकास में महिलाओं को लाभान्वित करते हैं। उदाहरण के लिए- केरल में कुदुम्बश्री।
- राजनीतिक सशक्तीकरण: SHGs महिलाओं को अपने अधिकारों और हितों की वकालत करने तथा जमीनी स्तर पर नीतियों के कार्यान्वयन में भाग लेने में सक्षम बनाते हैं। ये उन्हें राजनीतिक नेतृत्व और निर्णयकारी भूमिकाओं में भी सशक्त बनाते हैं।
चुनौतियां: सीमित वित्तीय संसाधनों के कारण उद्यमों का विस्तार मुश्किल हो जाता है; परिवार और समुदाय में पिछड़े दृष्टिकोण (जैसे परिवार की ओर से विरोध); प्रमुख समूहों का एकाधिकार जिससे समान लाभ पाने में बाधा आती है, आदि।
महिला सशक्तिकरण के लिए SHGs के माध्यम से प्रमुख पहलें
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