ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज कैंसर कोलैबोरेटर्स द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, साल 2050 में दुनिया भर में कैंसर के कम-से-कम 30.5 मिलियन नए मामले उत्पन्न होने की संभावना है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
- बदले जा सकने वाले जोखिम कारक: वर्ष 2023 में कम-से-कम 42% मौतें 44 संभावित रूप से बदले जा सकने वाले जोखिम कारकों के कारण हुई थी। इनमें तंबाकू का सेवन, अस्वस्थ आहार और हाई ब्लड शुगर शामिल हैं।
- यह रोकथाम (Prevention) के लिए व्यापक अनिवार्यता को दर्शाता है।
- विश्व में सबसे घातक कैंसर: क्रमश: फेफड़ों का कैंसर, स्तन कैंसर, पेट का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर।
- उच्च आय वाले देशों की तुलना में निम्न-आय और मध्यम-आय वाले देशों में मृत्यु दर में अधिक वृद्धि हुई है।
- भारत से संबंधित निष्कर्ष:
- कैंसर से होने वाली मौतों की दर के मामले में भारत 204 देशों में 168वें स्थान पर है।
- भारत में स्तन कैंसर और फेफड़ों का कैंसर सबसे बड़े योगदानकर्ता हैं।
कैंसर के मुख्य कारण
- व्यावसायिक जोखिम: कार्यस्थल से संबंधित जोखिम, वायु प्रदूषण आदि।
- संक्रमण: असुरक्षित यौन संबंध, HPV (सर्वाइकल कैंसर का जोखिम) आदि।
- जीवनशैली में बदलाव: मोटापा बढ़ना, उच्च रक्त शर्करा, ज़्यादा शराब का सेवन, खानपान में बदलाव (जो स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं)।
- सांस्कृतिक और भौगोलिक कारण:
- सुपारी/ पान का सेवन: मुख (ओरल) कैंसर की उच्च दर से सीधा संबंध।
- गर्म पेय पदार्थ: ग्रासनली (Oesophageal) का कैंसर।
- तंबाकू: सिगरेट व बीड़ी पीना और तम्बाकू चबाना – फेफड़ों व मुख का कैंसर।
भारत में कैंसर को रोकने के लिए पहलें
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