राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने ‘भारत की जेल सांख्यिकी (PSI) 2023’ रिपोर्ट जारी की | Current Affairs | Vision IAS
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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने ‘भारत की जेल सांख्यिकी (PSI) 2023’ रिपोर्ट जारी की

Posted 30 Sep 2025

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भारत में अपराधों में 7.2% की वृद्धि देखी गई, साइबर और शहरी अपराधों में वृद्धि हुई, जबकि पारंपरिक अपराधों में गिरावट आई; तेजी से डिजिटलीकरण और शहरीकरण की चुनौतियों के बीच कमजोर समूहों को अपराधों में वृद्धि का सामना करना पड़ा।

NCRB की भारत की जेल सांख्यिकी (PSI) 2023 रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि भारत में कैदी सुधारगृह सुविधाएं लगातार संकट की स्थिति में हैं। रिपोर्ट में इन सुधार-गृहों के शासन में सुधारों की आवश्यकता जताई गई है।

भारत की जेल-प्रणाली से जुड़ी प्रमुख समस्याएं

  • लगातार ‘क्षमता से अधिक कैदी’:  राष्ट्रीय स्तर पर जेलों की निर्धारित क्षमता के मुकाबले कैदियों की मौजूदगी यानी ऑक्यूपेंसी रेट 120.8% है। इसका मतलब है कि देश भर की जेलों में क्षमता से औसतन 20.8% फीसदी अधिक कैदी रह रहे हैं। 
  • विचाराधीन कैदी से जुड़ा संकट: कुल कैदियों में से 73.5% विचाराधीन कैदी हैं, जो न्याय मिलने में देरी को दर्शाता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य और मौतें: हिरासत में अप्राकृतिक मौतों की बढ़ती घटनाएँ कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य-देखभाल की उपेक्षा को दर्शाती हैं। इन मौतों में अधिकतर मामलें आत्महत्या से संबंधित हैं। 
  • महिला कैदियों के लिए अलग सुविधाओं की कमी: कुल कैदियों में 4.1% महिलाएं हैं। जेलों में उनके लिए अलग से सुविधाओं, स्वच्छता और पर्याप्त चिकित्सीय देखभाल की कमी है।

जेल सुधारों के लिए शुरू की गई पहलें

  • मॉडल प्रिजन एंड करेक्शनल सर्विसेज एक्ट, 2023: यह कानून दंडात्मक औपनिवेशिक व्यवस्था की बजाय सुधार, पुनर्वास और अधिकार-आधारित जेल-प्रणाली की ओर बड़े बदलाव का सूचक है।
  • विचाराधीन कैदी समीक्षा समितियां: ये सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित जिला-स्तरीय संस्था हैं। ये विचाराधीन कैदियों के मामलों की समीक्षा करती हैं और रिहाई या जमानत जैसी कार्रवाई की सिफारिश करती हैं।
  • ई-प्रिज़न्स प्रोजेक्ट: यह कैदियों का रिकॉर्ड रखने के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है। यह पारदर्शिता, निगरानी और दक्षता में सुधार करता है।
  • फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स (FASTER) प्रणाली: यह प्रणाली जमानत जैसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का तेजी से कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों के पास इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संचार सुनिश्चित करती है।

आगे की राह (न्यायमूर्ति अमिताव रॉय समिति की सिफारिशें)

  • शीघ्र सुनवाई (Speedy Trials): छोटे अपराधों और 5 साल से अधिक समय से लंबित मामलों में निर्णय के लिए विशेष फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना की जानी चाहिए।
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग: बुजुर्ग और बीमार कैदियों को अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रस्तुत होने की सुविधा दी जानी चाहिए।
  • महिला व ट्रांसजेंडर कैदियों को ध्यान में रखकर जेल में सुधार: महिलाओं के लिए अलग जेलों और मेडिकल वार्ड्स की व्यवस्था की जानी चाहिए; ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाई जानी चाहिए।
  • कैदियों को अलग-अलग रखना: जेलों में विचाराधीन कैदियों, दोषी कैदियों और पहली बार अपराध करने वालों को अलग-अलग रखना चाहिए ताकि जेल में हिंसा को कम किया जा सके।
  • Tags :
  • Crime and Criminal Tracking Network & Systems (CCTNS)
  • Crime in India 2023 Report
  • National Crime Records Bureau (NCRB)
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