संयुक्त राष्ट्र ने सितंबर 2015 में सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को अपनाया था। इनका उद्देश्य 2030 तक गरीबी समाप्त करने; शिक्षा, स्वास्थ्य-देखभाल सुविधाओं, आदि को बढ़ावा देने के लिए सार्वभौमिक प्रयास करना है। इन लक्ष्यों को वैश्विक लक्ष्य (Global Goals) भी कहा जाता है।
SDGs के बारे में
- सतत विकास की अवधारणा को 1987 की ब्रंटलैंड कमीशन रिपोर्ट में परिभाषित किया गया था। इसके मुताबिक सतत विकास "ऐसा विकास है जो वर्तमान की आवश्यकताओं को इस प्रकार पूरा करे कि भविष्य की पीढ़ियाँ भी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम रहें।"
- ये 17 लक्ष्य (गोल्स) और 169 उप-लक्ष्यों (टार्गेट्स) का एक समूह हैं जो सामाजिक, आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संधारणीयता के बीच संतुलन की आवश्यकता का समर्थन करते हैं।
भारत ने SDGs को अपनी विकास योजना में कैसे एकीकृत किया?
- SDG इंडिया इंडेक्स शुरू करना: यह इंडेक्स राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रैंक करता है, प्रतिस्पर्धा के माध्यम से सुधार को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक डेटा का उपयोग करता है।
- SDGs का स्थानीयकरण: पंचायत उन्नति सूचकांक के माध्यम से, जिसका उपयोग 250,000 से अधिक ग्राम परिषदों द्वारा किया जाता है।
- SDGs का संस्थागतकरण: उदाहरण के लिए, कई राज्यों ने अरबों डॉलर के बजट को SDG उप-लक्ष्यों के साथ जोड़ा है।
- विशिष्ट कार्यक्रम चलाना: जैसे आकांक्षी जिला कार्यक्रम (ADP) पिछड़े क्षेत्रों के लिए, और संपूर्ण समाज दृष्टिकोण को अपनाना।
- सिविल सोसायटी, शिक्षाविदों और निजी क्षेत्र को शामिल करना: यह कार्य स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा के तीन दौरों के माध्यम से किया जाना चाहिए।
भारत की कुछ SDGs में प्रगति
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