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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एंटी-रैगिंग विनियमों के उल्लंघन पर कारण बताओ नोटिस जारी किया | Current Affairs | Vision IAS
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एंटी-रैगिंग विनियमों के उल्लंघन पर कारण बताओ नोटिस जारी किया

Posted 12 Jun 2025

12 min read

हाल ही में, UGC ने उन कई उच्चतर शिक्षा संस्थानों (HEIs) को नोटिस जारी किया है, जो एंटी-रैगिंग पर यूजीसी विनियम, 2009 का पालन करने में विफल रहे हैं। इन संस्थानों को 30 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। 

  • रैगिंग वास्तव में मौखिक या लिखित रूप में या किसी क्रियाकलाप के माध्यम से किया गया ऐसा कोई भी दुराचार है, जिसका उद्देश्य किसी फ्रेशर या जूनियर विद्यार्थी को तंग करना, उसके साथ गलत व्यवहार करना या उसे अपमानित करना है।

यूजीसी एंटी-रैगिंग विनियम, 2009 के मुख्य प्रावधान

  • दाखिले से पहले: संस्थानों को प्रवेश से संबंधित सभी डाक्यूमेंट्स में एंटी-रैगिंग चेतावनी शामिल करनी होगी। साथ ही, उन्हें विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों से हस्ताक्षरित शपथ-पत्र भी लेना होगा। 
  • दाखिले के समय: फ्रेशर विद्यार्थियों को उनके अधिकारों का उल्लेख करने वाला व्यापक विवरणी यानी लीफलेट प्रदान करना होगा। साथ ही, इन विद्यार्थियों को सीनियर्स के साथ संयुक्त जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेना होगा। 
  • समितियों की स्थापना और उनके कार्य: तीन प्रमुख संस्थाओं की अनिवार्य रूप से स्थापना करनी होगी। ये हैं- एंटी-रैगिंग कमेटी, एंटी-रैगिंग स्क्वाड और रैगिंग निगरानी सेल।
  • नियमों के उल्लंघन पर दंड: रैगिंग में शामिल विद्यार्थियों का संस्थान से निलंबन, निष्कासन या जुर्माना लगाना जैसे दंड शामिल किए गए हैं। 

भारत में एंटी-रैगिंग से संबंधित अन्य उपाय

  • एंटी-रैगिंग निगरानी समिति: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित इस समिति का उद्देश्य उच्चतर शिक्षण संस्थानों में रैगिंग को रोकना है।
  • राष्ट्रीय एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन: इस हेल्पलाइन के माध्यम से रैगिंग से संबंधित प्रश्नों, शिकायत पंजीकरण आदि के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
  • राघवन समिति (2007): इस समिति की प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित हैं:
    • रैगिंग को दंडात्मक अपराध बनाया जाए, 
    • रैगिंग को रोकने की सामूहिक जिम्मेदारी फैकल्टी और कर्मचारियों पर डालनी चाहिए, तथा 
    • रैगिंग से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए एंटी-रैगिंग संस्था होनी चाहिए।  
  • सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (2009): 
    • टोल-फ्री एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन/ कॉल सेंटर स्थापित करना चाहिए, 
    • रैगिंग को रोकने के लिए निगरानी एजेंसी के रूप में एक स्वतंत्र गैर-सरकारी एजेंसी की सेवा लेनी चाहिए, आदि। 
  • Tags :
  • UGC
  • यूजीसी एंटी-रैगिंग विनियम, 2009
  • राघवन समिति
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