यह रिपोर्ट सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने जारी की है। यह पर्यावरणीय लेखांकन से जुड़ा लगातार 8वां संस्करण है।
- यह वन लेखांकन पर आधारित पहली समर्पित रिपोर्ट है । इसे संयुक्त राष्ट्र के "पर्यावरणीय आर्थिक लेखांकन प्रणाली (SEEA) फ्रेमवर्क" के आधार पर तैयार किया गया है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- भौतिक परिसंपत्ति लेखा (Physical Asset Account):
- वनावरण (2010-11 से 2021-22): यह 17,444.61 वर्ग किमी (22.50%) बढ़ा है। अब कुल वन क्षेत्र 7.15 लाख वर्ग किमी. तक पहुंच गया है, जो भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 21.76% है।
- सबसे ज्यादा बढ़ोतरी वाले राज्य: केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु।
- विस्तार लेखा (Extent Account):
- वन विस्तार (2013–2023): पुनर्वर्गीकरण और सीमाओं के समायोजन के कारण 3,356 वर्ग किमी की निवल वृद्धि दर्ज की गई है।
- रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया (RFA) में सबसे अधिक वृद्धि वाले राज्य: उत्तराखंड (6.3%), ओडिशा (1.97%), और झारखंड (1.9%)।
- स्थिति लेखा (Condition Account): यह लेखा पारितंत्र की गुणवत्ता को आंकता है और "ग्रोइंग स्टॉक" (जीवित वृक्षों में उपयोगी लकड़ी की मात्रा) पर केंद्रित है।
- ग्रोइंग स्टॉक (2013–23): 305.53 मिलियन घनमीटर (7.32%) बढ़ा है।
- शीर्ष योगदानकर्ता राज्य: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना।
- सेवा लेखा (Service Accounts):
- प्रोविजनिंग सेवाएं (काष्ठ और गैर-काष्ठ उत्पाद): वित्त-वर्ष 2021-22 में इनका मूल्य GDP का लगभग 0.16% हो गया।
- शीर्ष राज्य: महाराष्ट्र, गुजरात और केरल।
- विनियमन सेवाएं (कार्बन प्रतिधारण): 2021-22 में मूल्य बढ़कर GDP का लगभग 2.63% हो गया।
- शीर्ष राज्य: अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और असम।
- प्रोविजनिंग सेवाएं (काष्ठ और गैर-काष्ठ उत्पाद): वित्त-वर्ष 2021-22 में इनका मूल्य GDP का लगभग 0.16% हो गया।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन प्रणाली (SEEA) के बारे में
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