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प्रधान मंत्री के अनुसार, भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र देश की आर्थिक संवृद्धि में अब परिधीय नहीं बल्कि केंद्रीय भूमिका निभा रहा है | Current Affairs | Vision IAS
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प्रधान मंत्री के अनुसार, भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र देश की आर्थिक संवृद्धि में अब परिधीय नहीं बल्कि केंद्रीय भूमिका निभा रहा है

Posted 15 Sep 2025

1 min read

पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) के लिए ‘एक्ट ईस्ट विज़न’ का उल्लेख करते हुए प्रधान मंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के एक सीमांत क्षेत्र से संवृद्धि के अग्रदूत बनने तक के परिवर्तन को रेखांकित किया।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए उठाए गए कदम

  • एक्ट ईस्ट पॉलिसी: एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत पूर्वोत्तर को दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भारत के प्रवेश द्वार के रूप में देखा गया है। इसके लिए EAST (एम्पावर, एक्ट, स्ट्रेंथ, ट्रांसफॉर्म) फॉर्मूला लागू किया गया है, जो कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका जैसे क्षेत्रों को कवर करता है।
  • अवसंरचना विकास
    • रेलवे: बैराबी-सैरंग लाइन जैसे प्रोजेक्ट्स के माध्यम से स्वतंत्रता के बाद पहली बार आइजोल (मिजोरम) को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ा गया है।
    • राजमार्ग: जुलाई 2025 तक 16,207 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया है। इसमें थेनज़ॉल-सियालसुक रोड और चिम्तुइपुई नदी पुल शामिल हैं।
    • डिजिटल और हवाई कनेक्टिविटी: भारतनेट कार्यक्रम के जरिए ग्राम पंचायतों की कनेक्टिविटी को मजबूत किया जा रहा है। उड़ान (UDAN) योजना ने हवाई मार्गों का विस्तार किया है। इससे कम सेवा प्रदान करने वाले हवाई अड्डों और हेलीपोर्ट्स को जोड़ा गया है।
  • वित्तीय सहायता और विकास योजनाएं: पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए एक अलग मंत्रालय (MDoNER) बनाया गया है। यह मंत्रालय PM-DevINE जैसी योजनाओं के माध्यम से अवसंरचना, कनेक्टिविटी और संचार परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • गवर्नेंस और पारदर्शिता: पूर्वोत्तर विकास सेतु (PVS) पोर्टल ने परियोजनाओं की मंजूरी एवं निगरानी को तेज, अधिक कुशल व पारदर्शी बनाया है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के आगे के विकास के लिए दूर की जाने वाली चुनौतियां

  • कनेक्टिविटी: दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियां, बाढ़, सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता आदि।
  • सुरक्षा: विद्रोह (जैसे- ULFA, NSCN), नृजातीय संघर्ष (जैसे- असम–मिजोरम 2021, मणिपुर 2023), और छिद्रिल सीमाओं के कारण पलायन एवं तस्करी।
  • अर्थव्यवस्था: निर्वाह कृषि, कमजोर उद्योग, कम निवेश, युवाओं का बड़े पैमाने पर पलायन आदि।
  • समाज: जनजातीय पहचान संबंधी चिंताएं, प्रवास से उत्पन्न जनसांख्यिकीय दबाव (जैसे- असम में NRC का मुद्दा) आदि।
  • Tags :
  • The North East
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