सुर्ख़ियों में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) को शुरू करने को मंजूरी प्रदान की है।
NCMM के बारे में
- शुरुआत: केंद्रीय बजट 2024-25 में राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन शुरू करने का प्रस्ताव किया गया था।
- मुख्य उद्देश्य: देश और विदेशों में खनिज प्राप्ति सुनिश्चित करके भारत की क्रिटिकल मिनरल सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाना अर्थात इन खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- कवरेज: इस मिशन में मूल्य श्रृंखला के सभी चरण शामिल होंगे; जैसे कि खनिजों की खोज, खनन, उन्हें लाभकारी या उपयोगी बनाना (बेनेफिकेशन), प्रोसेसिंग और उत्पाद के अनुपयोगी हो जाने पर उनसे उपयोगी सामग्रियों की रिकवरी।
- मुख्य विशेषताएं:
- इस मिशन के तहत क्रिटिकल मिनरल्स की खोज के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा तथा माइन ओवरबर्डन और माइन टेलिंग्स से इन खनिजों की प्राप्ति को बढ़ावा दिया जाएगा।
- खनिज अयस्क तक पहुँचने के लिए हटाई गई चट्टान या मिट्टी की परत को 'ओवरबर्डन (Overburden)' कहा जाता है, जबकि "टेलिंग्स" (Tailings) का मतलब है अयस्क से मूल्यवान सामग्री निकालने के बाद बचा हुआ अपशिष्ट। इनमें खनिज के अंश होते हैं।
- इस मिशन का उद्देश्य क्रिटिकल मिनरल्स से संबंधित खनन परियोजनाओं के लिए फास्ट ट्रैक विनियामक मंजूरी प्रक्रिया स्थापित करना है।
- यह मिशन भारत के सार्वजनिक क्षेत्रक के उपक्रमों (PSUs) और निजी क्षेत्रक की कंपनियों को विदेशों में क्रिटिकल मिनरल्स परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करने और खनिज संसाधन संपन्न देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
- इस मिशन में देश के भीतर क्रिटिकल मिनरल्स के भंडार विकसित करने का प्रस्ताव है।
- इसमें खनिज प्रोसेसिंग पार्क स्थापित करने के प्रावधान भी शामिल है।
- यह मिशन अपतटीय क्षेत्रों यानी महासागर में पॉलिमेटेलिक नोड्यूल के खनन को भी बढ़ावा देगा। पॉलिमेटेलिक नोड्यूल में कोबाल्ट, रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे खनिज पाए जाते हैं।
- इस मिशन के तहत क्रिटिकल मिनरल्स की खोज के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा तथा माइन ओवरबर्डन और माइन टेलिंग्स से इन खनिजों की प्राप्ति को बढ़ावा दिया जाएगा।
- गवर्नेंस फ्रेमवर्क:
- "क्रिटिकल मिनरल्स पर अधिकार प्राप्त समिति" क्रिटिकल मिनरल्स से जुड़ी अलग-अलग गतिविधियों में समन्वय का कार्य करेगी।
- केंद्रीय खान मंत्रालय इस मिशन का प्रशासनिक मंत्रालय होगा।
नोट: यह मिशन समग्र सरकार आधारित अप्रोच (Whole-of-government approach) के अनुसार कार्य करेगा। इसका मतलब है कि यह मिशन अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सभी संबंधित मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, निजी कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करेगा।
क्रिटिकल मिनरल्स के बारे में
- परिभाषा: क्रिटिकल मिनरल्स ऐसे खनिज हैं जो किसी भी देश के आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। इन खनिजों की सीमित उपलब्धता या विश्व के कुछ चुनिंदा भौगोलिक स्थलों पर ही इनके भंडार, खनन या प्रोसेसिंग होने से इनकी निरंतर आपूर्ति पर खतरा बना रहता है। प्रायः इनकी आपूर्ति बाधित होने का डर बना रहता है।
आर्थिक महत्त्व + आपूर्ति पर खतरा = खनिजों की क्रिटीकेलिटी या महत्त्व |
- भारत सरकार ने देश के लिए 30 क्रिटिकल मिनरल्स की सूची जारी की है। इनमें बिस्मथ, कोबाल्ट, कॉपर, फास्फोरस, पोटाश, रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REE), सिलिकॉन, टिन, टाइटेनियम आदि शामिल हैं।
- वर्तमान में, भारत क्रिटिकल मिनरल्स की मांग की पूर्ति के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
क्रिटिकल मिनरल्स का महत्त्व | ||
पर्यावरण की दृष्टि से
| राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से
| आर्थिक और इलेक्ट्रॉनिक की दृष्टि से
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भारत के लिए क्रिटिकल मिनरल्स सुरक्षित करने की राह में बाधाएं
- देश में बहुत कम भंडार: भारत में कई क्रिटिकल मिनरल्स के भंडार मौजूद नहीं हैं, या देश की आवश्यकता की तुलना में उनकी उपलब्धता बहुत कम है।
- उदाहरण के लिए- वर्तमान में, देश में उत्पादन उद्देश्यों के लिए कोबाल्ट, निकल, लिथियम और नियोडिमियम के लिए कोई संचालित खनन पट्टा नहीं दिया गया है।
- क्रिटिकल मिनरल्स की खोज से जुड़ी चुनौतियां: कई क्रिटिकल मिनरल्स अत्यधिक गहराई में मौजूद होते हैं। इनकी खोज में निवेश की हानि का जोखिम होता है। साथ ही इन्हें निकालने के लिये उन्नत खनन तकनीकों की आवश्यकता होती है।
- जैसे: जम्मू-कश्मीर में 5.9 मिलियन टन लिथियम भंडार होने का अनुमान है, लेकिन इसे प्राप्त करना जोखिम भरा है।
- आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान: कई क्रिटिकल मिनरल्स का उत्पादन और उनकी प्रोसेसिंग विश्व के कुछ ही क्षेत्रों में केंद्रित है। इस वजह से विश्व भर में इनकी निरंतर आपूर्ति पर हमेशा खतरा बना रहता है।
- वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ एलिमेंट्स एवं क्रिटिकल मिनरल्स का लगभग 60% उत्पादन एवं 85% प्रसंस्करण चीन में होता है।
- 2024 में, चीन ने अमेरिकी को गैलियम, जर्मेनियम, एंटीमनी एवं कुछ अन्य क्रिटिकल मिनरल्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस तरह चीन ने क्रिटिकल मिनरल्स को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया (वेपनाइजेशन ऑफ क्रिटिकल मिनरल्स)।
- डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो विश्व में लगभग 70% कोबाल्ट की आपूर्ति करता है, लेकिन वहां राजनीतिक अस्थिरता के कारण इसकी आपूर्ति में हमेशा व्यवधान बना रहता है।
- वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ एलिमेंट्स एवं क्रिटिकल मिनरल्स का लगभग 60% उत्पादन एवं 85% प्रसंस्करण चीन में होता है।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएं: क्रिटिकल मिनरल्स के खनन एवं प्रोसेसिंग से अक्सर पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी वजह से स्थानीय आबादी समूह और पर्यावरण संरक्षण समूह क्रिटिकल मिनरल्स खनन से जुड़ी परियोजनाओं का विरोध करते हैं।
- इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (IRENA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 54% खनिज भंडार देशज समुदायों की भूमि के आस-पास स्थित हैं।
- रीसाइक्लिंग अवसंरचना का अभाव: इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट से प्राप्त क्रिटिकल मिनरल्स की रीसाइक्लिंग का कार्य देश में अभी भी शुरुआती चरण में हैं। रीसाइक्लिंग सेक्टर काफी हद तक असंगठित है और इसमें मुख्य रूप से अकुशल श्रमिक कार्य करते हैं।
क्रिटिकल मिनरल्स की प्राप्ति हेतु शुरू की गई अन्य पहलें
क्रिटिकल मिनरल्स की खोज और देश में उत्पादन
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और व्यापार समझौते
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भारत क्रिटिकल मिनरल्स की लंबे समय तक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कौन-से उपाय कर सकता है?
- देश में क्रिटिकल मिनरल्स के उत्पादन को बढ़ावा देना:
- अधिक निजी निवेश आकर्षित करने के लिए खनिज क्षेत्र के आवंटन की वैकल्पिक प्रक्रिया पर विचार करना चाहिए। जैसे कि- खनिज की खोज करने वाली कंपनियों को खनिजों के खनन का अधिकार भी देना।
- भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों, एक्सप्लोरेशन प्रौद्योगिकियों आदि में सार्वजनिक और निजी निवेश को बढ़ाना चाहिए।
- घरेलू स्तर पर प्रोसेसिंग क्षमताएं विकसित करना: प्रोसेसिंग फैसिलिटी में निवेश करने के लिए निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को प्रोत्साहित करने हेतु वित्तीय प्रोत्साहन, कर छूट और अन्य नीतिगत सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
- क्रिटिकल मिनरल्स प्रोसेसिंग पर केंद्रित विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) स्थापित किए जा सकते हैं।
- वैश्विक सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता: क्रिटिकल खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए खनिज संपन्न देशों और अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय साझेदारी को मजबूत करना चाहिए।
- व्यापक क्रिटिकल मिनरल्स रणनीति तैयार करना: यह रणनीति आपूर्ति से जुड़े जोखिमों, घरेलू नीतियों और सस्टेनेबिलिटी से जुडी प्राथमिक चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकती है।
- अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रकों में क्रिटिकल मिनरल्स की मांग का समय-समय पर विस्तृत आकलन करना चाहिए।
- अत्याधुनिक ई-अपशिष्ट रीसाइक्लिंग फैसिलिटी स्थापित करना, ई-अपशिष्ट रीसाइक्लिंग के बारे में जन जागरूकता एवं भागीदारी बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी "रीसाइकिल फॉर रिसोर्सेज" अभियान, जैसी पहलों के बारे में सोचना चाहिए।
- एक से अधिक देशों से आयात के बारे में सोचना चाहिए।
- राज्य सरकार की भूमिका: क्रिटिकल मिनरल्स के खनन क्षेत्रों के निकट परिवहन, बिजली और भंडारण जैसी अवसंरचनाओं का विकास करना चाहिए, आदि।
निष्कर्ष
भारत की आर्थिक संवृद्धि, एनर्जी ट्रांजीशन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए क्रिटिकल मिनरल्स की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना आवश्यक है। देश में ही इन खनिजों के खनन, रिफाइनिंग और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रभावी नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स स्ट्रेटेजी बनानी चाहिए। इससे इन खनिजों के आयात पर निर्भरता कम करने और लंबे समय तक इनकी निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।