“इमेजिन ए वर्ल्ड विद मोर वीमेन इन साइंस” अभियान | Current Affairs | Vision IAS
Monthly Magazine Logo

Table of Content

संक्षिप्त समाचार

Posted 10 Apr 2025

Updated 14 Apr 2025

25 min read

“इमेजिन ए वर्ल्ड विद मोर वीमेन इन साइंस” अभियान

यूनेस्को ने “इमेजिन ए वर्ल्ड विद मोर वीमेन इन साइंस” अभियान शुरू किया।

  • यह अभियान अंतर्राष्ट्रीय महिला एवं बालिका विज्ञान दिवस की 10वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। साथ ही, यह #EveryVoiceInScience का उपयोग करके अलग-अलग दृष्टिकोणों के सकारात्मक प्रभाव को भी उजागर करता है।
  • ज्ञातव्य है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 2015 में 11 फरवरी को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला एवं बालिका विज्ञान दिवस’ के रूप में घोषित किया था।

विज्ञान में लैंगिक असमानता 

  • वैश्विक स्तर पर:
    • कम भागीदारी: वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक समुदाय में महिलाओं की भागीदारी केवल एक तिहाई है।
    • नेतृत्व में कमी: 10 में से केवल 1 महिला ही STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग व गणित) क्षेत्रों में नेतृत्वकारी भूमिका में है।
  • भारत में:
    • STEMM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा) में महिलाओं का नामांकन 43% है।
    • भारत में महिला वैज्ञानिकों की संख्या 18.6% है, जबकि 25% शोध परियोजनाएं महिलाएं चला रही हैं।

चुनौतियां

  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक मानदंड, जैसी प्रतिबंधात्मक लैंगिक भूमिकाएं, 
  • रोल मॉडल की कमी, जैसे विज्ञान के क्षेत्र में विख्यात महिलाओं की कम संख्या,
  • कार्यस्थल असमानता, जैसे पक्षपातपूर्ण वर्क कल्चर आदि।

उठाए जाने वाले कदम

  • Tags :
  • इमेजिन ए वर्ल्ड विद मोर वीमेन इन साइंस
  • STEMM
  • #EveryVoiceInScience

स्वावलंबिनी (SWAVALAMBINI)

केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने नीति आयोग के सहयोग से स्वावलंबिनी का शुभारंभ किया।

स्वावलंबिनी के बारे में

  • यह महिला उद्यमिता कार्यक्रम है, जिसे आरंभ में पूर्वोत्तर क्षेत्रों के उच्चतर शिक्षा संस्थानों (HEIs) में शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम को अब देश के अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जा रहा है।
  • कार्यान्वयन: नीति आयोग के साथ संयुक्त साझेदारी में राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान द्वारा।
  • इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र के चुनिंदा उच्चतर शिक्षा संस्थानों में छात्राओं को आवश्यक उद्यमशीलता सोच, संसाधन और मार्गदर्शन प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाना है, ताकि वे सफल उद्यमी बन सके।
  • यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को अपनी उद्यमिता सोच को सतत संभावनाओं में बदलने में मदद करने के लिए छह महीने का मार्गदर्शन और सहायता भी प्रदान करता है।
  • Tags :
  • उद्यमशीलता
  • स्वावलंबिनी
  • MSDE

वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट

ASER बच्चों की स्कूली शिक्षा और सीखने की स्थिति का एक राष्ट्रव्यापी ग्रामीण परिवार-आधारित सर्वेक्षण है। यह निम्नलिखित का परीक्षण करती है-

  • 3-16 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की स्कूली शिक्षा की स्थिति; तथा 
  • 5-16 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सरल पठन सामग्री को पढ़ने और बुनियादी अंकगणितीय क्षमता का परीक्षण।

ASER सर्वेक्षण 2005 से 2014 तक प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता था। 2014 के बाद से यह एक साल के अंतराल पर आयोजित किया जाता रहा है।

इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

  • सीखने में मौजूदा अंतराल का कम होना: ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा 3 और 5 के छात्रों के बीच बुनियादी पठन सामग्री पढ़ने और अंकगणितीय क्षमता में सुधार हुआ है, जो महामारी के बाद हुए नुकसान से उबरने का संकेत देता है।
    • 2022 से सभी प्रारंभिक कक्षाओं (कक्षा I-VIII) के बच्चों में पढ़ने की क्षमता और अंकगणितीय क्षमता दोनों में सुधार हुआ है। इसमें भी अंकगणितीय क्षमता में सुधार पिछले एक दशक में सबसे अधिक रहा है।
  • डिजिटल साक्षरता: 2024 में पहली बार इसमें 14-16 आयु वर्ग के बीच 'डिजिटल साक्षरता' का एक नया घटक शामिल किया गया था। 
  • स्मार्टफोन तक लगभग सार्वभौमिक पहुंच: लगभग 90% लड़कियों और लड़कों के घर में स्मार्टफोन है।
  • स्मार्टफोन के स्वामित्व में लैंगिक अंतराल: 36.2% लड़कों के पास स्मार्टफोन है, जबकि केवल 26.9% लड़कियों के पास स्मार्टफोन है।
  • स्मार्टफोन का शिक्षा की बजाये सोशल मीडिया के लिए अधिक उपयोग: केवल 57% किशोर/ किशोरियां शैक्षिक या पढ़ाई के उद्देश्य से स्मार्ट डिवाइस का उपयोग करते हैं, जबकि लगभग 76% सोशल मीडिया के लिए इसका उपयोग करते हैं।
  • स्कूल की अवसंरचना: ASER के अनुसार शिक्षा के अधिकार के सभी संकेतकों में मामूली सुधार हुआ है, जिसमें बालिकाओं के लिए कार्यशील शौचालय, पेयजल सुविधाएं आदि शामिल हैं।
  • Tags :
  • ASER
  • वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट
  • प्रथम फाउंडेशन

WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अपनी पहली वैश्विक संधि “WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (WHO FCTC)” के 20 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। 

WHO FCTC के बारे में 

  • उत्पत्ति: इसे 2003 में अपनाया गया था और 2005 में लागू किया गया था। 
  • उद्देश्य: तम्बाकू नियंत्रण के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करना। इसमें बड़ी चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनियां, धूम्रपान-मुक्त कानून और उच्च कर शामिल हैं।
  • भारत की भूमिका: भारत ने 2004 में इस संधि की पुष्टि की थी। भारत दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र का क्षेत्रीय समन्वयक रहा है। 
  • प्रभाव: 5.6 बिलियन लोग कम-से-कम एक तंबाकू नियंत्रण नीति के अधीन आते हैं। इससे वैश्विक धूम्रपान दर में गिरावट आई है। 
  • Tags :
  • WHO
  • WHO FCTC
  • फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल
Download Current Article
Subscribe for Premium Features