पुनर्गठित कौशल भारत कार्यक्रम (RESTRUCTURED SKILL INDIA PROGRAMME) | Current Affairs | Vision IAS
Monthly Magazine Logo

Table of Content

पुनर्गठित कौशल भारत कार्यक्रम (RESTRUCTURED SKILL INDIA PROGRAMME)

Posted 10 Apr 2025

Updated 11 Apr 2025

45 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कौशल भारत कार्यक्रम (SIP) को जारी रखने और इसके पुनर्गठन को मंजूरी प्रदान की है।

अन्य संबंधित तथ्य 

  • इस कार्यक्रम की अवधि को 2026 तक बढ़ा दिया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक के लिए इसका कुल परिव्यय (आवंटित राशि) 8,800 करोड़ रुपये है।
  • इस कार्यक्रम का पुनर्गठन तीन प्रमुख घटकों को मिलाकर किया गया है। ये तीन घटक हैं:-
    • प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना 4.0 (PMKVY 4.0)
    • प्रधान मंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना (PM-NAPS)
    • जन शिक्षण संस्थान (JSS) योजना 

स्किल इंडिया मिशन के बारे में

  • इसे 2015 में केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के तहत शुरू किया गया था। यह केंद्रीय क्षेत्रक की एक योजना है।
  • उद्देश्य: कौशल विकास को मजबूत संस्थागत फ्रेमवर्क प्रदान करना तथा इसे बड़े स्तर पर लागू करना। साथ ही इसका उद्देश्य प्रत्येक वर्ष 1 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण देना भी है
  • कौशल विकास निम्नलिखित के जरिए प्रदान किया जाता है:
    • अल्पकालिक प्रशिक्षण: प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और जन शिक्षण संस्थान (JSS) योजना के माध्यम से अल्पावधि का प्रशिक्षण दिया जाता है।  
    • दीर्घकालिक प्रशिक्षण: औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITIs) के माध्यम से संचालित शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (CTS) के तहत लंबी अवधि का प्रशिक्षण दिया जाता है।  
  • अन्य योजनाएं:
    • प्रधान मंत्री कौशल केंद्र (PMKK): इसकी शुरुआत उत्कृष्ट प्रशिक्षण को मानकीकृत करने के लिए की गई है।
    • प्रधान मंत्री युवा योजना (PM YUVA): यह उद्यमिता को बढ़ावा देती है।
    • प्रधान मंत्री विश्वकर्मा योजना: इसके तहत पारंपरिक कारीगरों को आधुनिक कौशल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
    • आजीविका संवर्धन हेतु कौशल अर्जन और ज्ञान जागरूकता (SANKALP)

 

 

                    पुनर्गठित योजनाओं के बारे में 

पुनर्गठित कौशल भारत कार्यक्रम

  • यह कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत केंद्रीय क्षेत्रक की एक संयुक्त योजना है।
  • उद्देश्य: व्यवस्थित कौशल विकास, ऑन जॉब ट्रेनिंग और समुदाय-आधारित शिक्षा प्रदान करना, ताकि बेहतर वोकेशनल एजुकेशन प्राप्त हो सके।
  • कौशल का औपचारिक प्रमाणन: सभी प्रमाण-पत्रों को राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF) से जोड़ा गया है। इन प्रमाण-पत्रों को डिजिलॉकर और राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCrF) के साथ भी एकीकृत किया गया है। इससे इन्हें डिजिटल माध्यम से कहीं भी एक्सेस किया जा सकता है।

प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना 4.0 (PMKVY 4.0)

  • इस योजना के तहत अल्पकालिक प्रशिक्षण (STT) के जरिए NSQF के अनुरूप मांग-आधारित कौशल प्रशिक्षण तथा रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (RPL) के जरिए रीस्किलिंग और अपस्किलिंग की जा रही है।
  • लक्षित लाभार्थी: 15-59 वर्ष
  • फ्यूचर स्किल्स: AI, 5G तकनीक, साइबर सुरक्षा, ग्रीन हाइड्रोजन, ड्रोन तकनीक जैसी नई प्रौद्योगिकियों पर 400 से अधिक नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं।
  • कौशल केंद्र: IITs, NITs, जवाहर नवोदय विद्यालय (JNVs), CIPET जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में कौशल केंद्र स्थापित किए गए हैं।
  • इंटरनेशनल मोबिलिटी इनिशिएटिव्स: माइग्रेशन एंड मोबिलिटी पार्टनरशिप एग्रीमेंट्स (MMPAs), इसका उद्देश्य है; सेक्टोरियल स्किल गैब स्टडीज और डोमेन स्किल्स, सॉफ्ट स्किल्स आदि में प्रशिक्षण के माध्यम से भारतीय वर्कर्स को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त कौशल प्रदान करना।
    • भारत ने 10 देशों के साथ MMPAs पर हस्ताक्षर किए हैं। इन देशों में फ्रांस, जर्मनी, इजरायल आदि शामिल हैं।
    • विदेशों में कुशल श्रमिकों की मांग को पूरा करने के लिए 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर्स स्थापित किए जाएंगे।
  • सभी सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय: कौशल विकास से जुड़ी पहलों का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सभी मंत्रालयों के बीच सहयोग और "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" का तरीका अपनाया गया है।
    • उदाहरण के लिए- पी.एम. विश्वकर्मा योजना, पी.एम. सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना, नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, नल जल मित्र जैसी योजनाओं के साथ समन्वय किया जा रहा है।

जन शिक्षण संस्थान (JSS) योजना

  • उद्देश्य: यह समुदाय-केंद्रित कौशल विकास पहल है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षित, नव-साक्षर और स्कूल छोड़ चुके लोगों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इस योजना में हर क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से कौशल की पहचान की जाती हैं और उसी के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • लक्षित लाभार्थी: 15-45 वर्ष
  • समावेशी: इस योजना का मुख्य ध्यान महिलाओं, ग्रामीण युवाओं और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के प्रशिक्षण पर है।
    • JSS को समावेशी कौशल को बढ़ावा देने के लिए पी.एम. जनमन (PM JANMAN) और  "अंडरस्टैंडिंग ऑफ लाइफलॉन्ग लर्निंग ऑफ ऑल इन सोसाइटी "(ULLAS )  जैसी पहलों से जोड़ा गया है।

प्रधान मंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना (PM-NAPS)

  • इसका उद्देश्य देश भर में प्रशिक्षुता प्रशिक्षण यानी अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग को बढ़ावा देना है। इसके तहत प्रशिक्षुओं को व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से विनिर्माण और सेवा, दोनों में उद्योग-विशिष्ट कौशल प्रदान किया जा रहा है।
    • इसका संचालन अप्रेंटिसशिप एक्ट, 1961 के अनुसार किया जा रहा है।
  • लक्षित लाभार्थी: 14-35 वर्ष
  • प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने के लिए सरकार  कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान कर रही है।
    • केंद्र सरकार प्रत्येक प्रशिक्षु के मासिक प्रशिक्षण भत्ते का 25% (अधिकतम 1,500 रुपये प्रतिमाह) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से उद्योगों को प्रदान करती है।
  • फ्यूचर स्किल्स: AI, इंडस्ट्री 4.0 प्रौद्योगिकी जैसे नए क्षेत्रों में अप्रेंटिसशिप के अवसर प्रदान किए जा रहे है।
  • समावेशिता: MSMEs जैसे लघु उद्यमों, आकांक्षी जिलों तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र जैसे वंचित क्षेत्रों में प्रशिक्षुओं के नामांकन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

 

स्किल इंडिया मिशन के पुनर्गठन की आवश्यकता क्यों थी?

  • एक ही विषय से जुड़ी योजनाओं के बीच समन्वय का अभाव: PM-NAPS, PMKVY, JSS जैसी योजनाएं कौशल विकास से संबंधित हैं, लेकिन इनके बीच तालमेल के कमी है। इसके कारण ये बेहतर परिणाम नहीं दे पाती है तथा लोगों को इन योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
  • प्रशिक्षण संस्थानों और उद्योग जगत के बीच तालमेल नहीं: उद्योग-जगत की जरूरत अनुसार कौशल प्रशिक्षण नहीं दिए जाने से प्रशिक्षित लोगों के बेरोजगार रहने की संभावना अधिक रहती है।
    • उदाहरण के लिए- मार्च 2025 तक, PMKVY के तहत 31,55,984 लोग नामांकित हुए, लेकिन इनमें से केवल 14,45,166 को ही कौशल प्रमाण-पत्र मिला। जिन लोगों को प्रमाण-पत्र मिला भी उनमें से काफी कम लोग ही रोजगार प्राप्त करने में सफल हो पाए।
  • अन्य समस्याएं: 
    • अर्थव्यवस्था के अलग-अलग सेक्टर्स में तथा अलग-अलग जगहों पर प्रशिक्षित लोगों की मांग और उनकी उपलब्धता में भी तालमेल की कमी है। 
    • कौशल प्रशिक्षण और उच्चतर शिक्षा कार्यक्रमों के बीच विद्यार्थियों का स्थानांतरण  कम देखा जाता है, और वोकेशनल ट्रेनिंग को अलग-थलग माना जाता है। 
    • पढाई के दौरान अप्रेंटिसशिप कार्यक्रमों को बहुत कम शामिल किया जाता है।

कौशल विकास के समक्ष अन्य चुनौतियां

  • तेजी से बदलता जॉब मार्केट: जॉब मार्केट में लगातार बदलाव हो रहा है, जिसके लिए अपस्किलिंग और रीस्किलिंग जरूरी है। हालांकि, यह सुविधा सभी को सही तरीके से उपलब्ध नहीं है।
  • उत्कृष्ट कौशल विकास का अभाव: सुप्रशिक्षित  फैकल्टी, अच्छे पाठ्यक्रम, व्यावहारिक शिक्षण तरीकों का अभाव कौशल विकास को प्रभावित करते हैं।
    • इससे विदेशों में रोजगार प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
  • गवर्नेंस से जुड़ी समस्याएं: कई तरह की मूल्यांकन और प्रमाणन प्रक्रियाएं होने से बेहतर परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं और नियोक्ताओं में भी कौशल सर्टिफिकेट को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होती है। साथ ही, कुशल वर्कर्स को उनके कौशल के अनुसार पारिश्रमिक भी नहीं मिल पाता है।
  • बेहतर प्रशिक्षण अवसंरचना का अभाव: कौशल विकास प्रशिक्षण संस्थानों में संसाधनों और उचित रख-रखाव की कमी है।
  • लैंगिक भेदभाव: कौशल विकास और श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में कम है।

आगे की राह

  • डेटा आधारित उपाय: जॉब मार्केट को समझने के लिए कौशल का बेहतर तरीके से विश्लेषण करके उसमें सुधार करना चाहिए। साथ ही, जॉब मार्केट की नई जरूरतों को पूरा करने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए जाने चाहिए।
    • उदाहरण के लिए- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) ने उद्योग जगत के लीडर्स के नेतृत्व में 36 सेक्टर स्किल काउंसिल्स (SSCs) स्थापित किए हैं। SSCs अलग-अलग सेक्टर्स की कौशल विकास आवश्यकताओं की पहचान करते हैं तथा कौशल योग्यता मानकों का निर्धारण करते हैं।
  • अनुभव प्राप्ति आधारित लर्निंग को बढ़ावा देना: वोकेशनल एजुकेशन को बेहतर बनाने और अप्रेंटिसशिप के अवसरों का विस्तार करने की आवश्यकता है।
    • राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (NCVET) को और अधिक मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिए।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: कौशल विकास में उद्योगों और सिविल सोसाइटी की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ानी चाहिए। यह कार्य जागरूकता अभियान चलाकर, अप्रेंटिसशिप के अधिक अवसर प्रदान करके किया जा सकता है। 
  • विश्व की सर्वोत्तम पद्धतियों (बेस्ट प्रैक्टिसेज) से सीखना:
    • केन्या का टेक्निकल एंड वोकेशनल वाउचर्स प्रोग्राम (TVVP): इस प्रोग्राम में वाउचर्स के माध्यम से अधिक-से-अधिक व्यक्तियों को वोकेशनल एजुकेशन लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।  
    • अप्रेंटिसशिप लेवी, यूनाइटेड किंगडम: इसके अंतर्गत कंपनियों को प्रशिक्षुओं की भर्ती के लिए प्रोत्साहित करने हेतु, इन कंपनियों पर लगाई गई लेवी का उपयोग अप्रेंटिसशिप  ट्रेनिंग की फंडिंग के लिए किया जाता है।
  • Tags :
  • पुनर्गठित कौशल भारत कार्यक्रम
  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय
  • प्रधान मंत्री कौशल केंद्र
  • PM YUVA
Download Current Article
Subscribe for Premium Features