सकल घरेलू ज्ञान उत्पाद | Current Affairs | Vision IAS
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संक्षिप्त समाचार

Posted 10 Apr 2025

Updated 13 Apr 2025

17 min read

सकल घरेलू ज्ञान उत्पाद

हाल ही में, केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने “सकल घरेलू ज्ञान उत्पाद (GDKP) मापन के वैचारिक फ्रेमवर्क” पर एक सत्र आयोजित किया था।

  • इससे पहले, GDKP पर 2021 में चर्चा की गई थी। उस समय नीति आयोग ने GDKP के कांसेप्ट नोट पर एक प्रस्तुति दी थी। 
  • सकल घरेलू ज्ञान उत्पाद (GDKP) भारत की आर्थिक संवृद्धि में ज्ञान-आधारित सेक्टर्स, इनोवेशन और बौद्धिक संपदा के योगदान को दर्शाएगा।
  • GDKP देश के आर्थिक और सामाजिक जीवन पर ज्ञान के प्रभाव का आकलन करेगी।  
  • सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, GDKP के प्रस्ताव का मूल्यांकन करने और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के योगदान की गणना (माप) के लिए दिशानिर्देश तैयार करने हेतु एक तकनीकी समिति गठित करेगा।

GDKP को मापने की आवश्यकता क्यों है?

  • अर्थव्यवस्था के सटीक आकलन में आर्थिक संकेतकों का विस्तार हेतु: GDKP ज्ञान-आधारित सेक्टर्स, इनोवेशंस और बौद्धिक संपदाओं के योगदान को बेहतर तरीके से मापने में मदद करेगी। इससे पारम्परिक आर्थिक संकेतकों के परे देश की प्रगति को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। 
  • GDP के आकलन में पूरक की भूमिका: GDKP, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का और अधिक बेहतर अनुमान लगाने में मदद करेगी।
  • वैश्विक मानकों के अनुरूप: विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाएं पहले से ही अमूर्त परिसंपत्तियों, डिजिटल इनोवेशंस और बौद्धिक पूंजी (Intellectual capital) को मापने के लिए संकेतक विकसित कर रही हैं। भारत भी अपने GDKP फ्रेमवर्क को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना चाहता है।
  • देश के प्रमुख आर्थिक सेक्टर्स के लिए नीति निर्माण में मदद मिलेगी: GDKP का अच्छी तरह से परिभाषित फ्रेमवर्क सरकार को शिक्षा, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता विकास के लिए प्रभावी नीतियां बनाने में मदद करेगा।
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  • ज्ञान-आधारित सेक्टर्स

RBI ने रेपो रेट में कटौती की

RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती कर इसे 6.25% कर दिया।

  • मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने लगभग पांच साल के अंतराल के बाद तरलता समायोजन सुविधा (LAF) के तहत नीतिगत रेपो रेट में कटौती का निर्णय लिया।

अन्य महत्वपूर्ण निर्णय

  • RBI ने मौद्रिक नीति पर अपना रुख 'तटस्थ' ही बनाए रखा है।
    • तटस्थ रुख यह दर्शाता है कि RBI मौजूदा आर्थिक स्थितियों के आधार पर नीतिगत दरों को समायोजित करने में लचीलापन बनाए हुए है।
  • वित्त वर्ष 2026 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान है।
  • खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव में महत्वपूर्ण "नरमी या कमी" आने की संभावना है, जबकि कोर मुद्रास्फीति में वृद्धि होने की उम्मीद है, लेकिन यह मध्यम बनी रहेगी।

MPC के निर्णयों का औचित्य

  • मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है। साथ ही, संवृद्धि दर में 2024-25 की दूसरी तिमाही के दौरान निचले स्तर से सुधार होने की उम्मीद है।
  • वैश्विक वित्तीय बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता का जोखिम बना हुआ है और
  • प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के साथ-साथ वैश्विक व्यापार नीतियों के बारे में अनिश्चितताएं जारी रहेंगी।

तरलता समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility: LAF) के बारे में

  • यह एक मौद्रिक नीति उपकरण है। इसका उपयोग केंद्रीय बैंकों द्वारा बैंकिंग प्रणाली में तरलता का प्रबंधन करने के लिए किया जाता है। इसमें रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट शामिल हैं।
    • रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक, वाणिज्यिक बैंकों को पूंजी की कमी की स्थिति में उन्हें धन उधार देता है। इसके विपरीत, रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी अधिशेष धनराशि को केंद्रीय बैंक के पास रख सकते हैं।
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  • तरलता समायोजन सुविधा
  • मौद्रिक नीति समिति
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