एक अध्ययन के अनुसार, भारतीय प्लेट पर दक्कन में घटित ज्वालामुखी गतिविधियों के प्रति उष्णकटिबंधीय वनस्पतियां रेजिलिएंट रहीं | Current Affairs | Vision IAS
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    एक अध्ययन के अनुसार, भारतीय प्लेट पर दक्कन में घटित ज्वालामुखी गतिविधियों के प्रति उष्णकटिबंधीय वनस्पतियां रेजिलिएंट रहीं

    Posted 14 Jan 2025

    10 min read

    यह अध्ययन बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान (BSIP) द्वारा किया गया है।

    इस अध्ययन के मुख्य निष्कर्षों पर एक नजर:

    • जलवायु संबंधी तनावों को सहने में उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों की उच्च क्षमता: दक्कन में घटित ज्वालामुखीय गतिविधियों का उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा था।
      • हालांकि, ज्वालामुखी विस्फोट के कारण वायुमंडल में पहुंची जहरीली ग्रीनहाउस गैसों के चलते ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हुई। इस वजह से क्रेटेशियस-पैलियोजीन (K-Pg) युग में प्रजातियों की सामूहिक विलुप्ति हुई थी।
        • गौरतलब है कि फेनेरोज़ोइक इओन (Eon) में 'पांच बड़ी' सामूहिक विलुप्ति (Big Five Mass Extinctions) की घटना हुई थी। इनमें से क्रेटेशियस-पैलियोजीन सामूहिक विलुप्ति की सबसे हालिया घटना है। 
        • यह घटना क्रिटेशियस काल के अंत और टर्शियरी काल की शुरुआत में घटित हुई थी। 
    • इस घटना की वजह से डायनासोर सहित कई स्थलीय जीव पृथ्वी से विलुप्त हो गए थे।
    • इस अध्ययन की प्रासंगिकता: अध्ययन में कहा गया है कि यदि उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों को नुकसान न पहुंचाया जाए, तो वे अनुकूल जलवायु परिस्थितियों में शीघ्र ही फिर से बहाल हो सकते हैं। 

    दक्कन में घटित ज्वालामुखी गतिविधियों के बारे में 

    • यह लगभग 66 मिलियन वर्ष पहले घटित हुई ज्वालामुखीय विस्फोट की एक प्रमुख घटना थी। 
    • यह क्रेटेशियस-पैलियोजीन काल से पहले और उसके बाद भी कई लाख वर्षों तक जारी रही थी। 

    दक्कन ट्रैप के बारे में

    • दक्कन में घटित ज्वालामुखीय गतिविधियों ने पृथ्वी पर सबसे लंबी लावा प्रवाह श्रृंखला बनाई, जो बेसाल्ट लावा से बनी थी। यह लावा प्रवाह 1500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक फैला था।
    • यह घटना उस समय घटित हुई जब भारतीय प्लेट उत्तर की ओर बढ़ते हुए रीयूनियन हॉटस्पॉट के ऊपर से गुजरी थी। यह हॉटस्पॉट अब रीयूनियन द्वीप के रूप में मौजूद है।
    • यह हॉटस्पॉट आज भी सक्रिय है और इसमें हालिया उदगार 2007 में हुआ था।
    • यह पश्चिम-मध्य भारतीय उपमहाद्वीप के 500,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
    • बेसाल्ट के अपक्षय के कारण काली मिट्टी यानी रेगुर मिट्टी का निर्माण हुआ है।
    • Tags :
    • ग्लोबल वार्मिंग
    • दक्कन में घटित ज्वालामुखीय गतिविधियां
    • दक्कन ट्रैप
    • क्रेटेशियस-पैलियोजीन (K-Pg)
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