डिजिटल कृषि मिशन (Digital Agriculture Mission: DAM) | Current Affairs | Vision IAS
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    डिजिटल कृषि मिशन (Digital Agriculture Mission: DAM)

    Posted 30 Oct 2024

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी। इसके लिए कुल 2,817 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। 

    डिजिटल कृषि मिशन (DAM) के बारे में

    • यह डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) की संरचना पर आधारित एक अंब्रेला योजना है। इसका उद्देश्य किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है।
    • यह मिशन कृषि में DPI को लागू करने की केंद्रीय बजट 2024-25 और 2023-24 की घोषणा के अनुरूप है।

    डिजिटल कृषि मिशन की मुख्य विशेषताएं

    • यह 2 आधारभूत पिलर्स पर आधारित है: 
      • एग्री स्टैक (किसान की पहचान): यह किसान-केंद्रित DPI है। इसका उद्देश्य किसानों के लिए सेवाओं और योजनाओं के वितरण को सुविधाजनक बनाना है। इसके 3 प्रमुख घटक हैं:  
        • किसानों की रजिस्ट्री: इसके तहत 'किसान ID' जारी की जाएगी। ये ID कार्ड राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बनाए जाएंगे। यह आधार नंबर के समान किसानों के लिए एक विश्वसनीय डिजिटल पहचान के रूप में कार्य करेगा। 
        • जियो-रेफ़रेंस्ड गाँव के नक्शे: यह किसान ID को किसानों से संबंधित डेटा से जोड़ेगा। इस तरह के डेटा में भूमि रिकॉर्ड, जनसांख्यिकी, पारिवारिक विवरण, आदि शामिल होंगे।
        • फसल बुआई रजिस्ट्री: यह मोबाइल-आधारित ग्राउंड सर्वे है। डिजिटल फसल सर्वेक्षण के माध्यम से किसानों द्वारा प्रत्येक मौसम में बोई गई फसलों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। 
      • कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (DSS): कृषि DSS एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो रिमोट सेंसिंग डेटा (उदाहरण के लिए- उपग्रह आधारित चित्र) को फसल, मृदा, मौसम और जल संसाधनों के डेटाबेस के साथ एकीकृत करता है। यह एकीकरण किसानों को स्पष्ट और विस्तृत भू-स्थानिक जानकारी प्रदान करता है, जिससे वे अधिक सटीक कृषि निर्णय ले सकते हैं।
    • मृदा प्रोफाइल मैपिंग: लगभग 142 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के लिए 1:10,000 स्केल पर विस्तृत मृदा प्रोफाइल मैपिंग की जाएगी। 
      • डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (DGCES) यह वैज्ञानिक रूप से डिजाइन किए गए क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट्स के आधार पर उपज का अनुमान प्रदान करेगा।
    • मुख्य लक्ष्य:  
      • तीन वर्षों में 11 करोड़ किसानों की डिजिटल पहचान जनरेट करना (वित्त वर्ष 2024-25 में 6 करोड़, वित्त वर्ष 2025-26 में 3 करोड़ और वित्त वर्ष 2026-27 में 2 करोड़)। 
      • डिजिटल फसल सर्वेक्षण 2 वर्षों में पूरे देश में शुरू किया जाएगा, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 में 400 जिले और वित्त वर्ष 2025-26 में सभी जिले शामिल होंगे। 

    डिजिटल कृषि के बारे में:  

    • किसानों द्वारा कृषि कार्यों में आधुनिक तकनीक के उपयोग को डिजिटल कृषि कहा जाता है। इससे कृषि कार्य को वैज्ञानिक और डेटा-आधारित बनाकर इसका बेहतर प्रबंधन किया जाता है। 
    • डिजिटल कृषि एक नवीनतम कृषि पद्धति है, जिसमें परिशुद्ध कृषि (Precision agriculture) और स्मार्ट फार्मिंग के तरीकों को अपनाया जाता है। यह फार्म-टू-फोर्क मूल्य श्रृंखला में डिजिटल तकनीकों, जैसे कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और बिग डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके फसल उत्पादन को अधिक कुशल और संधारणीय बनाती है। यह खेत की आंतरिक और बाहरी नेटवर्किंग के माध्यम से डेटा एकत्रित करती है और वेब-आधारित प्लेटफॉर्म पर उनका विश्लेषण करती है।
    • कृषि क्षेत्रक में डिजिटल तकनीकों के उदाहरण:  
      • वर्ष 2019 में भारत में टिड्डियों से निपटने के लिए ड्रोन का उपयोग: फसल के नुकसान को कम करने हेतु टिड्डियों के खिलाफ रसायनों के छिड़काव के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया था। 
      • 'एर्गोस' (Ergos) का ग्रेन बैंक मॉडल: यह मॉडल लघु और सीमांत किसानों को फसल कटाई के बाद की आपूर्ति श्रृंखला संबंधी गतिविधियों, जैसे कि भंडारण, परिवहन एवं बिक्री के लिए प्रभावी समाधान प्रदान करता है। 
      • Yuktix ग्रीनसेंस: यह कृषि क्षेत्र के लिए एक ऑफ-ग्रिड  रिमोट मॉनिटरिंग और एनालिटिक्स समाधान है, जो खेतों में फसल रोग, कीट और सिंचाई का प्रबंधन करने में किसानों की मदद करता है।

    डिजिटल कृषि मिशन का महत्त्व

    • यह किसानों को उपलब्ध डेटा और विश्लेषण के आधार पर निर्णय लेने में सहायता प्रदान करेगा। 
      • उदाहरण के लिए, DGCES-आधारित डेटा से फसल विविधीकरण और सिंचाई आवश्यकताओं पर निर्णय लेने में मदद मिलेगी, जो कृषि को संधारणीय बनाने में सहायता करेगा।
    • फसल क्षेत्र और उपज के बारे में सटीक डेटा से कृषि उत्पादन में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ेगी तथा फसल बीमा, ऋण वितरण जैसी सरकारी योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा।
    • यह फसल नुकसान को कम करेगा और किसानों की आय में वृद्धि करेगा। 
      • उदाहरण के लिए- आपदाओं के कारण होने वाले फसल नुकसान का सटीक आकलन करने और बीमा क्लेम की पुष्टि के लिए क्रॉप मैपिंग और फसल की निगरानी की जा सकेगी।
    • इस मिशन से लगभग 2.5 लाख प्रशिक्षित स्थानीय युवाओं और कृषि सखियों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इस प्रकार डिजिटल कृषि मिशन से कृषि में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की उम्मीद है।
    • इसके चलते किसानों तक कृषि संबंधी सेवाओं को बेहतर तरीके से पहुंचाया जा सकेगा।
      • डेटा एनालिटिक्स, AI और रिमोट सेंसिंग जैसी आधुनिक तकनीकों के उपयोग से कई लाभ प्राप्त होंगे, जैसे- सरकारी योजनाओं और फसल ऋण तक बेहतर पहुंच, रियल टाइम में कृषि संबंधी सलाह, आदि। 
      • कृषि संबंधी सेवाओं और लाभों को प्राप्त करने के लिए डिजिटल तरीके से सत्यापन किया जा सकेगा; कागजी कार्रवाई को कम किया जा सकेगा; और सरकारी कार्यालयों का बार-बार दौरा करने से निजात मिलेगी।
    • फसल के लिए योजना बनाने, फसल स्वास्थ्य, कीट प्रबंधन और सिंचाई के लिए बेहतर मूल्य श्रृंखला एवं सलाहकार सेवाएं किसानों को बेहतर उत्पादन और मुनाफा प्राप्त करने में मदद करेंगी।

    प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन में चुनौतियां

    • कृषि भूमि का विखंडन: भारत में औसत भूमि जोत का आकार 1.08 हेक्टेयर है। ऐसे में लघु आकार के खेतों में मौजूदा तकनीकों का उपयोग मुश्किल हो जाता है क्योंकि ये तकनीक बड़े खेतों के लिए अधिक उपयुक्त होती हैं।
    • शुरुआत में अधिक लागत: डिजिटल कृषि के लिए आवश्यक कंप्यूटिंग, भंडारण और प्रसंस्करण क्षमता की जरूरत होती है। शुरू में ही उच्च लागत के कारण इनका उपयोग सीमित हो जाता है।
    • पर्याप्त शोध का अभाव: भारत में कृषि क्षेत्र में तकनीकों के उपयोग और उनके प्रभाव तथा उनसे मिलने वाले लाभों पर डेटा की कमी है।
    • पर्याप्त अवसंरचना की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल अवसंरचना का विकास कम है जो कृषि के डिजिटलीकरण में बाधा बन सकती है। उदाहरण के लिए- सभी तक इंटरनेट की पहुंच का अभाव। 
    • डिजिटल साक्षरता का अभाव: यह स्थिति डिजिटल तकनीकों को अपनाने में बाधा डालती है क्योंकि किसानों का प्रायः नई तकनीकों पर बहुत कम भरोसा रहता है। यह स्थिति आधुनिक उपकरणों पर आधारित प्रभावी रख-रखाव और शिकायत निवारण में भी बाधा डालती है।
    • भाषा संबंधी बाधाएं: उपलब्ध तकनीकों में अलग-अलग स्थानीय भाषाओं का इस्तेमाल नहीं होने से इनके उपयोग में बाधा आती है।

    डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिए पहलें

    • इंडिया डिजिटल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम (IDEA) फ्रेमवर्क: इसका उद्देश्य किसानों का एकीकृत डेटाबेस बनाना है ताकि कृषि-केंद्रित नवीन समाधान विकसित किए जा सकें।
    • कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGP-A): इसका उद्देश्य किसानों को खेती से संबंधित आवश्यक जानकारी निःशुल्क उपलब्ध कराना है।
    • बाजार आधारित उपाय: जैसे कि राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (eNAM), एगमार्कनेट, आदि।
    • भूमि का नक्शा बनाने के लिए ड्रोन: स्वामित्व योजना के तहत इसका उपयोग किया गया; सेंसर आधारित स्मार्ट कृषि (SENSAGRI) कार्यक्रम, आदि।
    • "AI पर राष्ट्रीय रणनीति" कृषि को प्राथमिकता वाले क्षेत्रकों में से एक के रूप में मान्यता देती है (नीति आयोग)।
    • किसानों की सहायता हेतु विभिन्न ऐप्लिकेशन: प्रधान मंत्री-किसान मोबाइल ऐप, किसान सुविधा ऐप, बागवानी विकास के लिए HORTNET परियोजना, आदि।

    निष्कर्ष

    डिजिटल कृषि के लाभों को प्राप्त करने के लिए तकनीकों की वहनीयता, पहुंच, इस्तेमाल में आसानी, आसान रख-रखाव, समय पर शिकायत निवारण, अनुसंधान और विकास का मजबूत परिवेश, उचित नीतिगत समर्थन आदि उपायों पर ध्यान देना सर्वोपरि है। डिजिटल कृषि मिशन उपर्युक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने और किसानों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक सही कदम है।

    अन्य संबंधित सुर्ख़ियां

    केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री ने भू-स्थानिक प्लेटफॉर्म "कृषि-निर्णय सहायता प्रणाली (Krishi-DSS)" का शुभारंभ किया। यह फसल की स्थिति, मौसम के पैटर्न, जल संसाधनों और मृदा स्वास्थ्य पर रियल टाइम आधार पर जानकारी प्रदान करेगा।

    • इसे केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और अंतरिक्ष विभाग द्वारा विकसित किया गया है। इसमें RISAT-1A और अंतरिक्ष विभाग के भू-पर्यवेक्षण डेटा एवं अभिलेखीय प्रणाली के विज़ुअलाइज़ेशन (VEDAS) का उपयोग किया गया है।

    कृषि क्षेत्रक में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग:

    • रिमोट सेंसिंग और इमेजरी: कीटों और बीमारियों का शीघ्र पता लगाने, भूमि उपयोग मैपिंग, आदि में उपयोग। 
    • ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS): परिशुद्ध खेती, पशुधन ट्रैकिंग आदि में उपयोग।
    • संचार प्रौद्योगिकी: रियल टाइम आधार पर डेटा के प्रसार में उपयोग।
    • मौसम पूर्वानुमान और क्लाइमेट मॉडलिंग: अग्रिम चेतावनी प्रणाली, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की निगरानी, आदि में उपयोग।

    कृषि क्षेत्रक में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए की गई अन्य पहलें:

    • अंतरिक्ष, कृषि-मौसम विज्ञान और भूमि आधारित अवलोकन (FASAL) परियोजना का उपयोग करके कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। 
    • भू-सूचना विज्ञान का उपयोग करके बागवानी मूल्यांकन और प्रबंधन परियोजना पर समन्वित कार्यक्रम (CHAMAN/ चमन) शुरू किया गया है। 
    • उपज संबंधी अनुमान में सुधार के लिए 'किसान' (C[K]rop Insurance using Space technology And geoiNformatics) पहल शुरू की गई है। इस पहल का नाम "अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और भू-सूचना का उपयोग करके फसल बीमा" (किसान/ KISAN) है। 
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