सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO), कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और इनसीड (INSEAD) बिजनेस स्कूल ने संयुक्त रूप से वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII), 2024 जारी किए।
वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) 2024 के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- थीम: सामाजिक उद्यमिता के वादे को साकार करना (Unlocking the Promise of Social Entrepreneurship)।
- नवाचार यानी इनोवेशन को मापने वाले मानदंडों में शामिल हैं: संस्थान, मानव पूंजी और अनुसंधान, अवसंरचना, ऋण (क्रेडिट), निवेश, लिंकेज; रचनात्मकता, ज्ञान की प्राप्ति और प्रसार; और रचनात्मक आउटपुट।
- शीर्ष रैंकिंग: पिछले वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी स्विट्जरलैंड प्रथम स्थान पर है। उसके बाद स्वीडन, संयुक्त राज्य अमेरिका और सिंगापुर का स्थान है।
- भारत की स्थिति:
- भारत विश्व की 133 अर्थव्यवस्थाओं में 39वें स्थान पर है। 2023 में भारत 40वें स्थान पर था। इस तरह भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार हुआ है। भारत का स्कोर 38.3 है।
- ज्ञान और प्रौद्योगिकी आउटपुट, रचनात्मक आउटपुट, संस्थान और व्यावसायिक आधुनिकता के मामले में भारत निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं तथा मध्य और दक्षिण एशिया क्षेत्र में पहले स्थान पर है।
- बेंगलुरु, दिल्ली, चेन्नई और मुंबई विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के शीर्ष 100 क्लस्टर्स में शामिल हैं।
सामाजिक उद्यमिता और उद्यम
- सामाजिक उद्यमिता वास्तव में गरीबी, पर्यावरणीय संधारणीयता और सामाजिक अन्याय जैसी अनेक समस्याओं का समाधान करते हुए आर्थिक संपदा का सृजन है।
- यह लाभकारी उद्यमियों की दक्षता, नवाचार और संसाधनों को गैर-लाभकारी संगठनों के जज़्बे, मूल्यों, मिशन और चिंताओं के साथ जोड़ती है।
परंपरागत कंपनियों और सामाजिक उद्यमों के बीच अंतर
| परंपरागत कंपनी | सामाजिक उद्यम |
मिशन/ अभिप्रेरणा |
| सामाजिक समस्याओं का समाधान करने के लिए रचनात्मक समस्या समाधान के माध्यम से सामाजिक मूल्य का सृजन करना, ताकि आर्थिक मूल्य सृजित/ प्राप्त किया जा सके।
|
नवाचार प्रक्रियाओं का लक्ष्य | प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले आर्थिक और बाजार बढ़त हासिल करना तथा बाजार में अपनी उपस्थिति को बढ़ाना। | समावेशी और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना, जिसमें समुदाय की भागीदारी हो और सामाजिक लाभ को अधिकतम किया जाए, जैसे कि ओपन-सोर्स नॉलेज। |
अधिशेष का उपयोग | हितधारकों के आर्थिक लाभ को बढ़ाने के लिए अधिशेष का उपयोग करना। | सामाजिक समस्या को सुलझाने और सामाजिक मिशन को आगे बढ़ाने के लिए पुनः निवेश करना। |
भविष्य में होने वाले अपेक्षित बदलाव | लाभ अधिकतम करने के आधार पर बाजार की जरूरतों के अनुसार विकास करना। | समावेशी बाजार के निर्माण, वंचित समुदायों के उत्थान और सामाजिक प्रभाव को प्राथमिकता देना। |
सामाजिक उद्यमिता और सामाजिक उद्यमों की क्षमता/ महत्त्व
- आर्थिक संवृद्धि: अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 11 मिलियन सामाजिक उद्यम और 30 मिलियन सामाजिक उद्यमी हैं। ये वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर का योगदान करते हैं।
- भारत में सामाजिक उद्यमों के लिए अनुमानित बाजार अवसर और क्षमता 2025 तक 8 बिलियन डॉलर होने की संभावना व्यक्त की गई है।
- विशेषज्ञता के माध्यम से नीति को प्रभावित करना: 800 से अधिक सामाजिक उद्यमियों के एक अध्ययन के अनुसार, 63 प्रतिशत ने विधायी बदलाव में योगदान दिया है या नीति को प्रभावित किया है और 62 प्रतिशत ने नीति निर्माताओं को अनुसंधान में सहयोग और/या डेटा प्रदान किया है।
- उदाहरण के लिए- इथियोपियाई नीति निर्माताओं ने टेबिटा (Tebita) एम्बुलेंस के साथ सहयोग किया ताकि आपातकालीन चिकित्सा सेवा मानक और लाइसेंसिंग प्रणाली बनाई जा सके। टेबिटा एम्बुलेंस एक सामाजिक उद्यम है।
- सतत विकास: यह सतत विकास सुनिश्चित करने और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को पूरा करने के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान करता है।
- उदाहरण के लिए- SELCO भारत स्थित एक सामाजिक उद्यम है। यह वंचित परिवारों और व्यवसायियों को संधारणीय ऊर्जा समाधान प्रदान करता है।
- जागरूकता और सहभागिता: ये आर्थिक विकास के साथ-साथ सामूहिक सहभागिता के जरिए सामाजिक समस्याओं का समाधान करने की आवश्यकता के बारे में लोगों को शिक्षित करने का अवसर प्रदान करते हैं।
- कंपनियों में सामाजिक नवाचार को एकीकृत करना: ये पारंपरिक कंपनियों को कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) से कॉर्पोरेट सामाजिक नवाचार की ओर उन्मुख करने में सहायता करते हैं।
- सामाजिक परिवर्तन: ये समाज के वंचित और अभावग्रस्त वर्गों को सशक्त बनाने और पारंपरिक व्यवसाय मॉडल के कारण बढ़ती आर्थिक असमानता का समाधान करते हैं।

सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा की गई पहलें
|

निष्कर्ष
सामाजिक उद्यमिता और उद्यम वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। इसके लिए ये व्यावसायिक नवाचार को सामाजिक लक्ष्यों के साथ जोड़ते हैं। सहायक नीतियों, अवसंरचना में निवेश और वित्त-पोषण के जरिए ऐसा अनुकूल परिवेश बनाया जा सकता है जहां सामाजिक उद्यम विकसित हो सके, संधारणीय विकास को बढ़ावा मिले और वैश्विक स्तर पर स्थायी सकारात्मक प्रभाव पैदा हो।
