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गोस्वामी तुलसीदास जी (Goswami Tulsidas ji) | Current Affairs | Vision IAS
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गोस्वामी तुलसीदास जी (Goswami Tulsidas ji)

Posted 04 Sep 2025

Updated 12 Sep 2025

1 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, चित्रकूट में गोस्वामी तुलसीदास जी की 500वीं जयंती मनाई गई।

गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में

  • जन्म: माना जाता है कि उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था।
  • वास्तविक नाम: रामबोला दुबे
  • पिता का नाम: आत्माराम
  • माता का नाम: हुलसी देवी
  • गुरु: श्री नरहरिदास जी

प्रमुख योगदान

  • साहित्यिक योगदान:
    • उन्होंने वाराणसी के गंगा के तट पर अस्सी घाट पर अवधी भाषा में रामचरितमानस ग्रंथ की रचना की।
      • रामचरितमानस यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर में दर्ज है।
    • उन्होंने ब्रज भाषा में विनय पत्रिका और कवितावली की रचना की।
    • उनकी प्रमुख रचनाओं में गीतावली, दोहावली, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, बरवै, हनुमान चालीसा आदि शामिल हैं।
  • भक्ति आंदोलन:
    • तुलसीदास, जगद्गुरु रामानंदाचार्य की परंपरा में रामानंदी संप्रदाय के एक सुधारक और दार्शनिक थे।
    • वह सगुण भक्ति परंपरा के एक वैष्णव हिंदू संत और कवि थे, जो भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति के लिए प्रसिद्ध थे।
      • सगुण भक्ति परंपरा: इसमें शिव, विष्णु (और उनके अवतार) तथा देवियों की पूजा उनके मानव रूपों में की जाती है।
      • उनका यह भी मानना था, कि निर्गुण (निराकार, गुणहीन और अमूर्त ईश्वर के प्रति भक्ति) और सगुण भक्ति धारा एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं; बल्कि, वे एक-दूसरे के पूरक हैं।
  • क्षेत्रीय बोलियों का प्रचार: उनकी प्रमुख रचनाओं में अवधी और ब्रज भाषाओं के उपयोग से इन बोलियों के क्षेत्रीय प्रचार-प्रसार में मदद मिली।
  • मंदिर निर्माण: उन्होंने वाराणसी में भगवान हनुमान को समर्पित प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर की स्थापना की।
  • रामलीला: यह तुलसीदास की रामचरितमानस पर आधारित रामायण का पारंपरिक नाट्य प्रदर्शन है। इसकी शुरुआत तुलसीदास के शिष्यों ने उनकी मृत्यु के बाद की थी।
    • इतिहासकारों का एक वर्ग मानता है कि रामलीला की परंपरा शुरू करने वाले पहले व्यक्ति तुलसीदास के शिष्य मेघा भगत थे, जिन्होंने इसे 1625 में शुरू किया था।
      • जबकि अन्य लोगों का मानना है कि यह रामनगर (बनारस) में 1200-1500 ई. के आस-पास शुरू हुआ था।
    • रामलीला यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में भी शामिल है।

तुलसीदास की शिक्षाएं

  • नवविधा भक्ति (नौ प्रकार की भक्ति): इसमें संतों और भक्तों की संगति में रहना, भगवान की लीलाओं में प्रेम से डूबना, गुरु की सेवा करना आदि सिद्धांत शामिल हैं।
  • सामाजिक सरोकार:
    • उन्होंने दो सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जिन्होंने सामाजिक एकीकरण और उनकी रचनाओं की सामान्य स्वीकार्यता को बढ़ावा दिया:
      • सामाजिक समानता: भगवान राम के लिए जाति-पाति का कोई महत्व नहीं, केवल भक्ति से ही मनुष्य उनका प्रिय बन सकता है। उन्होंने जाति व्यवस्था का विरोध करते हुए कहा: "कोई भी आपकी जाति या धर्म पर सवाल नहीं उठाएगा; यदि आप स्वयं को ईश्वर के प्रति समर्पित करते हैं, तो आप उसके हैं।"
      • शैव और वैष्णव का एकत्व: तुलसीदास ने शिव और राम को एक ही स्वरूप माना।
  • निराकार राम (अद्वैत विचार): उन्होंने अद्वैतवाद के सिद्धांत को अपनाया। इसके अनुसार,  परम सत्ता निराकार और गुणहीन है। उन्होंने निराकार रूप में राम की अवधारणा को भी स्वीकार किया।
  • कराधान पर विचार: उनका मानना था कि कर प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जैसे सूर्य पृथ्वी से जल खींचता है, जो बादलों में परिवर्तित होकर वर्षा के रूप में वापस पृथ्वी पर आकर समृद्धि लाता है। इसी तरह, करों का उपयोग लोगों के कल्याण और समृद्धि के लिए होना चाहिए।

निष्कर्ष

तुलसीदास का जीवन और रचनाएं भक्ति, विनम्रता और सामाजिक सद्भाव के सार को दर्शाती हैं। समानता, एकता और अटूट विश्वास का उनका संदेश पीढ़ियों को प्रेरित करता है। सभी विभाजनों से ऊपर भगवान के लिए प्रेम पर जोर देकर, उन्होंने आध्यात्मिक अभ्यास को नैतिक मार्गदर्शन और सामूहिक उत्थान की शक्ति में बदल दिया।

  • Tags :
  • Goswami Tulsidas
  • Vinay Patrika and Kavitavali
  • Ramanandi Sampradaya
  • Saguna bhakti tradition
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