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भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (INDIA’S RETAIL INFLATION) | Current Affairs | Vision IAS
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संक्षिप्त समाचार

Posted 04 Sep 2025

Updated 09 Sep 2025

2 min read

भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (INDIA’S RETAIL INFLATION)

जुलाई 2025 में, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 1.55% हो गई, जो पिछले 8 साल में सबसे निचला स्तर है। अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) द्वारा मापी गई यह मुद्रास्फीति जून 2017 के बाद सबसे कम वर्ष-दर-वर्ष मुद्रास्फीति दर दर्शाती है।

  • इसके अलावा, अखिल भारतीय उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) या खाद्य मुद्रास्फीति पर आधारित वर्ष-दर-वर्ष मुद्रास्फीति दर जुलाई 2025 में -1.76% रही। यह जनवरी 2019 के बाद सबसे कम है।

गिरावट के कारण

  • अनुकूल आधार प्रभाव: इसका अर्थ किसी संदर्भित वर्ष के आंकड़ों का मौजूदा संवृद्धि दर पर पड़ने वाला प्रभाव है। 
  • मुद्रास्फीति में गिरावट: दालें और उत्पाद, परिवहन व संचार, सब्जियां, अनाज एवं उत्पाद, शिक्षा जैसी मदों की कीमतों में कमी आई है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के बारे में

  • अर्थ: यह कुछ निश्चित वस्तुओं और सेवाओं के समूह के लिए समय के साथ उपभोक्ता द्वारा भुगतान की गई कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है।
  • महत्त्व: यह मुद्रास्फीति का एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मैक्रोइकॉनॉमिक (समष्टि अर्थशास्त्रीय) संकेतक है। इसका उपयोग सरकार और केंद्रीय बैंकों द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, राष्ट्रीय खातों में अपस्फीतिकारकों (Deflator) के रूप में, और कर्मचारियों के महंगाई भत्ते तय करने के लिए किया जाता है।
  • प्रकाशक: इसे प्रत्येक महीने की 12 तारीख को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • घटक: राष्ट्रीय स्तर पर चार प्रकार के CPI हैं:
    • औद्योगिक श्रमिकों (IW) के लिए CPI;
    • कृषि मजदूरों (AL) के लिए CPI;
    • ग्रामीण मजदूरों (RL) के लिए CPI; तथा  
    • शहरी गैर-मैनुअल कर्मचारियों (UNME) के लिए CPI  
  • CPI का आधार वर्ष: 2012 
  • थोक मूल्य सूचकांक (WPI) से तुलना: WPI थोक स्तर पर मुद्रास्फीति को मापता है और इसकी भारांश पद्धति CPI से अलग होती है।
    • CPI में खाद्य पदार्थों का भारांश अधिक होता है, जबकि WPI में ईंधन समूह का भारांश अधिक होता है।
  • Tags :
  • India’s Retail Inflation

स्मॉल फाइनेंस बैंक को यूनिवर्सल बैंक (SMALL FINANCE BANK UNIVERSAL LICENSE)

RBI ने एक दशक में पहली बार किसी बैंक को यूनिवर्सल लाइसेंस प्रदान किया। यह लाइसेंस AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को दिया गया है। RBI ने AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को एक लघु वित्त बैंक (SFB) से यूनिवर्सल बैंक में बदलने के लिए 'सैद्धांतिक' मंजूरी दी है।

  • यह एक ऐसा लाइसेंस है, जो किसी बैंक को व्यावसायिक और निवेश बैंकिंग सहित सभी प्रकार की बैंकिंग सेवाएं एक ही मंच पर उपलब्ध कराने की अनुमति देता है।
  • इससे पहले 2014 में बंधन बैंक और IDFC बैंक (जो बाद में IDFC फर्स्ट बैंक बना) को यह लाइसेंस मिला था।

स्मॉल फाइनेंस बैंक से यूनिवर्सल बैंक में बदलने के लिए पात्रता मानदंड:

  • स्थिति: कम-से-कम 5 वर्षों से अनुसूचित बैंक का दर्जा होना चाहिए।
  • स्टॉक लिस्टिंग: बैंक के शेयर किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने चाहिए।
  • नेट वर्थ: बैंक की न्यूनतम नेट वर्थ 1,000 करोड़ रुपये होनी चाहिए।
  • वित्तीय स्थिति:
    • लाभप्रदता: पिछले दो वित्त वर्षों में बैंक को निवल लाभ हुआ होना चाहिए।
    • परिसंपत्ति गुणवत्ता: पिछले दो वित्त वर्षों में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (G-NPA) और निवल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (N-NPA) क्रमशः 3% व 1% से कम या बराबर होनी चाहिए।
  • प्रमोटर संबंधी शर्तें: इस बदलाव के दौरान किसी भी नए प्रमोटर को जोड़ा नहीं जाएगा और न ही मौजूदा प्रमोटर्स में कोई बदलाव किया जाएगा।
  • प्राथमिकता: विविध ऋण पोर्टफोलियो वाले स्मॉल फाइनेंस बैंक को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • Tags :
  • Small Finance Bank Universal License
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