सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, संसद ने खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2025 पारित कर दिया।
अन्य संबंधित तथ्य

- उपर्युक्त संशोधन अधिनियम के माध्यम से खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन किए गए हैं।
- इससे पहले इस अधिनियम में 2023 में संशोधन किए गए थे, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख प्रावधान शामिल किए गए थे:
- 24 क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक खनिजों की एक नई सूची पेश की गई जिसका उद्देश्य इन खनिजों के अन्वेषण और उत्पादन में तेजी लाना है।
- ऐसे खनिजों के संबंध में खनन अधिकारों की नीलामी के लिए केंद्र सरकार को सशक्त बनाया गया।
- क्रिटिकल मिनरल्स और गहराई में पाए जाने वाले खनिजों (डीप-सीटेड मिनरल्स) के लिए अन्वेषण लाइसेंस प्रस्तुत किए गए।
- यह अधिनियम भारत में क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक खनिजों की उपलब्धता को बढ़ाएगा।
भारत के लिए क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक खनिज क्यों महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं?
- इन खनिजों की आपूर्ति पर चीन का वर्चस्व: चीन का वर्तमान में दुर्लभ मृदा-तत्वों (रेयर अर्थ एलिमेंट्स) के 60-70% उत्पादन और 80-90% वैश्विक प्रसंस्करण क्षमता पर नियंत्रण है।
- स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने और जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण: जैसे, सिलिकॉन, टेल्यूरियम, इंडियम और गैलियम का उपयोग फोटोवोल्टिक (PV) सेल में किया जाता है। इसी तरह डिस्प्रोसियम और नियोडिमियम जैसे रेयर अर्थ एलिमेंट्स का उपयोग पवन टर्बाइन्स में स्थायी मैग्नेट बनाने में किया जाता है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग: लिथियम, निकल और कोबाल्ट जैसे पदार्थ लिथियम-आयन बैटरी और एडवांस्ड एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स में उपयोग किए जाते हैं। इसके अलावा, ये पदार्थ राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (National Electric Mobility Mission Plan: NEMMP) की सफलता के लिए भी आवश्यक हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा क्षमताएं: क्रिटिकल खनिज संचार और निगरानी प्रणालियों से लेकर हथियार एवं प्रोटेक्टिव गियर जैसी सैन्य क्षमताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- डिजिटल संप्रभुता सुरक्षित करना: डिजिटल अर्थव्यवस्था और तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए इन खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना जरूरी है।
- उदाहरण के लिए- माइक्रोचिप्स के निर्माण के लिए सिलिकॉन जरूरी है, जबकि कोबाल्ट मेमोरी बढ़ाने वाले और लॉजिक डिवाइसेज़ के लिए जरूरी है।
- सतत विकास लक्ष्य (SDG) से लाभ प्राप्त करने में तेज़ी लाने के लिए: ये खनिज विदेशी और घरेलू निवेश को आकर्षित करने, रोजगार के अवसर पैदा करने, तथा सरकार के राजस्व, निर्यात और विकास को बढ़ावा देने में सक्षम है।
- उदाहरण के लिए- UNDESA के अनुसार, चिली ने निर्धनता उन्मूलन (SDG 1) और बेहतर स्वास्थ्य-देखभाल सेवाओं (SDG 3) की सहायता के लिए तांबे के उत्पादन से प्राप्त राजस्व का उपयोग किया।
प्रमुख संशोधन और उनका महत्त्व
संशोधन | विवरण | महत्व |
राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण और विकास न्यास (National Mineral Exploration and Development Trust: NMEDT) |
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अन्य खनिजों को खनन पट्टे में शामिल करना |
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सन्निहित क्षेत्र (Contiguous area) का समावेश |
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मिनरल एक्सचेंज की स्थापना |
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कैप्टिव माइंस की बिक्री पर सीमा हटाना |
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निष्कर्ष
भारत का हरित ऊर्जा की ओर कदम काफी हद तक क्रिटिकल खनिजों की निरंतर आपूर्ति पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे भारत अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इन आवश्यक खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होता जा रहा है।