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काकोरी ट्रेन एक्शन के 100 साल (100 Years of Kakori Train Action) | Current Affairs | Vision IAS
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काकोरी ट्रेन एक्शन के 100 साल (100 Years of Kakori Train Action)

Posted 04 Sep 2025

Updated 08 Sep 2025

1 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

2025 में काकोरी ट्रेन एक्शन का शताब्दी वर्ष मनाया गया है।

काकोरी ट्रेन एक्शन के बारे में

  • यह घटना 9 अगस्त, 1925 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ के निकट काकोरी नामक गाँव में हुई थी। कई बार इसे काकोरी कांड या काकोरी ट्रेन लूट भी कहा जाता है। 
  • इसे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के दस क्रांतिकारियों द्वारा अंजाम दिया गया था। उन्होंने ब्रिटिश भारतीय रेलवे से संग्रह किए गए धन को लूटा था।
  • घटना के तहत उन्होंने शाहजहांपुर से लखनऊ जा रही 8-डाउन ट्रेन को काकोरी स्टेशन के पास रोक दिया। इस ट्रेन में ब्रिटिश सरकार का खजाना था।
  • प्रमुख नेता: राम प्रसाद बिस्मिलअशफाकउल्ला खानचंद्रशेखर आज़ाद, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी, और अन्य।
    • चंद्रशेखर आज़ाद ने 1931 में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में एक पुलिस मुठभेड़ में अपनी मृत्यु तक पूरे भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों को जारी रखा। 

घटना का परिणाम

  • ब्रिटिश प्रतिक्रिया: अंग्रेजों ने अपना दमन चक्र चलाते हुए बड़े स्तर पर तलाशी अभियान शुरू किया। इसके तहत एक महीने के भीतर दो दर्जन से अधिक गिरफ्तारियां हुईं और 40 से अधिक आरोपियों (क्रांतिकारियों से सहानुभूति रखने वाले लोग भी) को पकड़ा गया।
  • काकोरी षड्यंत्र केस: ब्रिटिश अधिकारियों ने HRA के 28 सक्रिय सदस्यों पर डकैती, षड्यंत्र, गैर-इरादतन हत्या और क्राउन के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया। इन गंभीर आरोपों से मामले की गंभीरता और अधिक बढ़ गई।
  • मृत्युदंड: राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई।
  • कैदियों का विरोध: विभिन्न जेलों में भेजे गए क्रांतिकारियों ने जेल की बदहाल स्थितियों का विरोध करने और राजनीतिक कैदी का दर्जा देने की मांग करने के लिए भूख हड़ताल की।

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन पर प्रभाव

  • भविष्य के क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा: काकोरी के शहीदों के साहस, विद्रोह और बलिदान ने नई पीढ़ी के क्रांतिकारियों- भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को प्रेरित किया।
  • राष्ट्रीय एकता: इस घटना ने अलग-अलग धर्म और क्षेत्र से आने वाले क्रांतिकारियों के क्रांतिकारियों के बीच एकता को उजागर किया। अशफाकउल्ला खान और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे नेता स्वतंत्रता संग्राम की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति का प्रतीक बने।
  • जन जागरूकता: इस हाई-प्रोफाइल मुकदमे और बाद में हुई फांसी ने व्यापक राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया। ब्रिटिश शासन की क्रूरता को उजागर किया और क्रांतिकारी लक्ष्यों के लिए आम जनता के समर्थन को बढ़ावा दिया।
  • सीधी कार्रवाई की ओर झुकाव: इस घटना ने स्वतंत्रता आंदोलन में एक नया मोड़ दिया। इसने यह संदेश दिया कि केवल अहिंसक आंदोलन ही नहीं, बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सीधी कार्रवाई करना भी ज़रूरी है।
  • क्रांतिकारी भावना और विरासत: इस घटना ने भारतीय क्रांतिकारियों की बहादुरी और सूझबूझ का परिचय दिया। इसे भारत के स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय के अधिकार की एक ऐसी साहसिक घोषणा के रूप में याद किया जाता है, जो बलिदान और दृढ़ संकल्प की भावना को दर्शाती है।
  • HRA का पुनर्गठन: 1928 में, इसके संस्थापकों को फांसी दिए जाने के बाद, HRA का पुनर्गठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के रूप में किया गया।

HRA और HSRA के बारे में

  • हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA)
    • इसका गठन 1924 में राम प्रसाद बिस्मिल, सचिंद्र नाथ सान्याल, जोगेश चंद्र चटर्जी, और अन्य क्रांतिकारियों ने किया था।
    • मूल सिद्धांत: सार्वभौमिक मताधिकार पर आधारित संयुक्त राज्य भारत का संघीय गणराज्य की स्थापना करना
    • इस संगठन ने एक संविधान (जिसे येलो पेपर के रूप में जाना जाता हैका मसौदा तैयार किया और 1925 में "क्रांतिकारी" नामक एक घोषणा-पत्र प्रकाशित किया। इस घोषणा-पत्र में महात्मा गांधी के अहिंसक तरीकों की आलोचना की गई और युवाओं से ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र क्रांति में शामिल होने का आग्रह किया गया।
    • भारत के कई शहरों में इसकी शाखाएं और बम निर्माण इकाइयां थीं।
  • हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA)
    • इसकी स्थापना 1928 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में की गई थी।
    • इसका विकास HRA से हुआ था। इस संगठन की विचारधारा का झुकाव स्पष्ट रूप से समाजवाद और मार्क्सवाद की ओर था
    • इसे चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, सुखदेव थापर, राजगुरु, और अन्य सहित क्रांतिकारियों द्वारा स्थापित किया गया था।
    • मूल सिद्धांत: भारतीय स्वतंत्रता की निरंतर मांग के साथ-साथ समाजवादी सिद्धांतों को अपनाना।

निष्कर्ष

काकोरी ट्रेन एक्शन भारत का स्वतंत्रता आंदोलन के परिदृश्य में एक अहम स्थान है। इसने न केवल औपनिवेशिक शोषण के आर्थिक आधार को चुनौती दी, बल्कि प्रतिरोध के लिए क्रांतिकारी तरीकों की ओर विचारधारा और संगठनात्मक बदलाव को भी रेखांकित किया। इसने बाद के क्रांतिकारी संगठनों जैसे HSRA को भी प्रेरित किया और भगत सिंह जैसे शख्सियतों को प्रभावित किया, जिससे अहिंसक प्रतिरोध के समानांतर सशस्त्र संघर्ष की निरंतरता सुनिश्चित हुई।

  • Tags :
  • Hindustan Republican Association
  • Hindustan Socialist Republican Association
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