भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India: FCI) | Current Affairs | Vision IAS
Monthly Magazine Logo

Table of Content

भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India: FCI)

Posted 26 Dec 2024

Updated 30 Dec 2024

15 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए FCI की कार्यशील पूंजी (Working capital) बढ़ाने हेतु 10,700 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश को मंजूरी दी है। 

अन्य संबंधित तथ्य 

  • FCI की स्थापना 100 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी (Authorised capital) और 4 करोड़ रुपये की इक्विटी के साथ हुई थी। हालांकि FCI की इक्विटी को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है।
  • हालिया इक्विटी निवेश के लाभ: 
    • यह FCI की ऑपरेशनल क्षमता को मजबूत करेगा। इससे वह अपने कार्यों को प्रभावी तरीके से पूरा कर सकेगा। 
    • इससे FCI को अल्पकालिक उधार लेने की कम जरूरत पड़ेगी। इससे ब्याज भुगतान की राशि एवं सरकारी सब्सिडी में कमी आएगी।

भारतीय खाद्य निगम (FCI) के बारे में 

  • परिचय: FCI केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्रक का एक उपक्रम है।
  • स्थापना: FCI खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत स्थापित एक वैधानिक संस्था है।
  • वित्त: FCI की शुरुआत 100 करोड़ की अधिकृत पूंजी से हुई, लेकिन बढ़ती जरूरतों के साथ इसकी इक्विटी बढ़ाई गई है।
  • मुख्य भूमिका: यह भारत सरकार की खाद्य नीतियों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार मुख्य एजेंसी है। 
  • कार्य: यह खाद्यान्न की खरीद, भंडारण, एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने, वितरण और बिक्री के लिए उत्तरदायी नोडल एजेंसी है।

भारतीय खाद्य निगम (FCI) की कार्य-प्रणाली

  • FCI, राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर, किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अनाज खरीदती है और समाज के कमजोर वर्गों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए सब्सिडी मूल्य पर अनाज वितरण सुनिश्चित करती है। 
  • FCI दो प्रकार की खरीद प्रणाली अपनाती है:
    • प्रत्यक्ष खरीद: FCI या राज्य सरकार एजेंसियां ​​(SGAs) सीधे किसानों से खाद्यान्न खरीदती हैं। इसके बाद FCI इन खाद्यान्नों का भंडारण और वितरण सुनिश्चित करती है।
    • विकेंद्रीकृत खरीद (Decentralized Procurement: DCP): राज्य एजेंसियां अनाज की खरीद, भंडारण और वितरण का प्रबंधन करती हैं और इसके बाद बचे अधिशेष अनाज को केंद्रीय पूल के लिए FCI को सौंप देती हैं।  

FCI की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए की गई पहलें

संरचनात्मक सुधार

  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) पहल: "एक राष्ट्र, एक MSP" के तहत सरकार किसानों से खरीदे गए अनाज का मूल्य सीधे उनके बैंक खातों में ऑनलाइन भेज रही है।
  • भंडारण केंद्रों का आधुनिकीकरण: FCI में अनाज के भंडारण के लिए पहले कवर एंड प्लिंथ भंडारण तकनीक का उपयोग होता था। 2014 में इसकी भंडारण क्षमता 30.25 लाख मीट्रिक टन (LMT) थी। अब इस विधि की जगह वैज्ञानिक रूप से प्रबंधित भंडारण डिपो और साइलो विधि को अपनाया जा रहा है।
  • स्टील साइलो: वर्तमान में 22.75 LMT क्षमता के स्टील साइलो कार्य कर रहे हैं। अतिरिक्त 41 LMT क्षमता के स्टील साइलो का निर्माण किया जा रहा है।
  • डिजिटल सुधार: इसके तहत निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित वीडियो निगरानी, ​​
    • अनाजों के स्रोत से वितरण स्थल की समस्त आपूर्ति श्रृंखला के प्रबंधन के लिए अन्न दर्पण पोर्टल, 
    • व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम, 
    • मिल टैगिंग एवं वेयरहाउस स्थान आवंटन के लिए वेयरहाउस इन्वेंटरी नेटवर्क और गवर्निंग सिस्टम (WINGS) ऐप।
  • Tags :
  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT)
  • आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA)
  • भारतीय खाद्य निगम (FCI)
  • विकेंद्रीकृत खरीद (DCP)
Download Current Article
Subscribe for Premium Features