सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, CII और दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (FMS) ने "वर्क फ्रॉम होम: लाभ और लागत; भारतीय संदर्भ में एक अन्वेषणात्मक अध्ययन" शीर्षक से अपनी तरह का पहला अध्ययन प्रकाशित किया है।
इस अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- वर्क फ्रॉम होम (WFH) का जारी रहना: 68 प्रतिशत कंपनियों ने कोविड-19 महामारी के बाद भी वर्क फ्रॉम होम (WFH) कार्य पद्धतियों को जारी रखा है।
- कार्य का हाइब्रिड मॉडल: अध्ययन में शामिल की गई लगभग आधी कंपनियों ने हाइब्रिड कार्य पद्धतियों को बढ़ावा दिया है। इसका अर्थ है कि कर्मचारियों से सप्ताह में सीमित अवधि के लिए ऑफिस आने की अपेक्षा की जाती है।
- अल्पकालिक लाभ और दीर्घकालिक हानि: वर्क-फ्रॉम-होम अल्पावधि में नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों को वास्तविक लाभ प्रदान करता है। हालांकि, यह दीर्घकालिक रूप से सामाजिक, भावनात्मक और मानव संसाधन पूंजी के निर्माण एवं सततता से संबंधित कुछ हानियों का कारण भी बन सकता है।
- रिमोट वर्किंग की प्रभावशीलता: रिमोट वर्किंग पारंपरिक कार्यालयी कार्य शैली की तुलना में सहयोग पर आधारित कार्य संस्कृति, संवाद, और टीमवर्क जैसे कौशल को विकसित करने में कम प्रभावी हो सकती है।
कार्य का बदलता स्वरूप: वर्क-फ्रॉम-होम (WFH) की शुरुआत
- कोविड-19 महामारी: महामारी के कारण आवाजाही पर लगाए गए प्रतिबंधों ने रिमोट वर्क की आवश्यकता को बढ़ा दिया था।

- प्रौद्योगिकी का विकास: व्यक्तिगत तौर पर उपयोग किए जाने वाले उपकरणों व प्रणालियों और डिजिटल कनेक्टिविटी में हुई प्रगति ने रिमोट वर्क की संभावनाओं को साकार करने में सहायता की है।
- कहीं से भी काम करना: डिजिटल कनेक्टिविटी और संबंधित अवसंरचना के विकास के कारण, कई कामगार अपने गांव, ट्रैवल डेस्टिनेशन आदि जगहों से कार्य कर रहे हैं।
- उदाहरण के लिए- इससे डिजिटल नोमेड्स (स्थान विशेष से स्वतंत्र जीवन शैली) जैसी अवधारणाओं को बढ़ावा मिला है।
- वर्क फ्रॉम होम का समापन: हालांकि, महामारी के बाद कई नियोक्ता वैश्विक स्तर पर वर्क फ्रॉम होम व्यवस्थाओं को समाप्त कर रहे हैं।
- उदाहरण के लिए- स्टारबक्स, गूगल और अमेजन जैसी कंपनियों ने रिटर्न-टू-ऑफिस शेड्यूल के साथ वर्क फ्रॉम होम को खत्म कर दिया है।
वर्क फ्रॉम होम (WFH) से जुड़े लाभ
विवरण | वर्क फ्रॉम होम से जुड़े लाभ |
कर्मचारी |
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नियोक्ता/ कॉर्पोरेट |
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मैक्रो एनवायरनमेंट |
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पारिवारिक संबंध |
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महिलाएं |
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वर्क फ्रॉम होम से उत्पन्न चुनौतियां
कर्मचारियों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियां
- घर पर कार्यालय जैसा परिवेश निर्मित होना: वर्क फ्रॉम होम के कारण घर में भी ऑफिस जैसा माहौल बन जाता है। इससे घर भी ऑफिस का रूप ले लेता है तथा घर के कार्य और ऑफिस के कार्य के बीच समय का निर्धारण करना मुश्किल हो जाता है। इससे तनाव तो बढ़ता ही है, कार्य की क्षमता और गुणवत्ता भी कम हो जाती है।
- एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम से जीवन शैली के कई पहलू नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं, जैसे कि दैनिक शारीरिक गतिविधि में 33% की कमी आई है।

- कार्यस्थल की कमी: घर पर फोकस तरीके से काम करने के लिए अलग से जगह न होने से काम पर असर पड़ता है और को-वर्किंग स्पेस में काम करने से संबंधित लागत बढ़ सकती है।
- विश्राम और अवकाश की कमी: वर्क फ्रॉम होम हर समय काम करने का एक अस्वास्थ्यकर चक्र बना सकता है या 24/7 उपलब्ध रहने का दबाव बना सकता है। यह ऐसा महसूस करा सकता है कि आपको लगातार काम करने की ज़रूरत है।
नियोक्ताओं के समक्ष उत्पन्न चुनौतियां
- संगठन के भीतर संचार: सहकर्मियों के बीच अच्छे संबंध, टीमवर्क और सामूहिक समस्या-समाधान के लिए महत्वपूर्ण हैं। वर्चुअल इंटरैक्शन टीम बॉन्डिंग, कार्य संस्कृति और संगठन की सफलता पर प्रभाव डाल सकता है।
- प्रबंधन संबंधी पद्धतियां: जब कर्मचारी साइट/ कार्यस्थल पर काम नहीं कर रहे होते हैं, तो उनका प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन तथा नवाचार प्रभावित होते हैं। उदाहरण के लिए, उपस्थिति की निगरानी जैसी पारंपरिक पर्यवेक्षण विधियां कम प्रभावी हो जाती हैं।
- व्यावसायिक अलगाव: संगठनों के लिए यह सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है कि कर्मचारी कार्य परिवेश से अलग-थलग या अजनबी महसूस न करें। यह कर्मचारी के काम की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
- गोपनीयता संबंधी मुद्दे: वर्क फ्रॉम होम के कारण संगठनात्मक और क्लाइंट डेटा की सुरक्षा चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
- उदाहरण के लिए, भारत में साइबर सुरक्षा पर एक समर्पित कानून का अभाव है।
- नैतिकता संबंधी प्रश्न: एलन मस्क ने इस बात पर नैतिकता से जुड़ा सवाल उठाया है कि कुछ कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दी जाती है, जबकि फैक्ट्री वर्कर्स जैसे अन्य कर्मचारी ऑन-साइट काम जारी रखते हैं।
पारिवारिक रिश्तों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियां
- पारिवारिक तनाव: तनावपूर्ण कार्य परिवेश और तनावपूर्ण पारिवारिक संबंधों के मिश्रण से गंभीर तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लंबे समय तक घर के अंदर रहने से पारिवारिक संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है। उदाहरण के लिए, कोविड महामारी के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई थी।
- पारिवारिक जिम्मेदारियां: काम करते समय बच्चों की देखभाल या बुजुर्गों की देखभाल से संबंधित जिम्मेदारियां बढ़ने से कार्य बोझ बढ़ता है।
- मानसिक स्वास्थ्य: सामाजिक संपर्कों की कमी और काम एवं घर के तनाव के कारण मानसिक दबाव व चिंता बढ़ती है। इससे परिवार के सदस्यों के साथ व्यवहार पर असर पड़ता है। उदाहरण के लिए- काम संबंधी खराब दिन के कारण बच्चे पर जल्दी गुस्सा होना।
महिलाओं के समक्ष उत्पन्न चुनौतियां
- व्यावसायिक सफलता में बाधा: रिमोट वर्क करने वाली महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम आय अर्जित कर पाती हैं। साथ ही, अपना अधिकांश समय कार्यालय में बिताने वाले पुरुषों की तुलना में महिलाएं किसी प्रोजेक्ट या महत्वपूर्ण कार्य का श्रेय नहीं ले पाती हैं।
- दोहरा बोझ: महिलाओं को काम और पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं के दोहरे बोझ का सामना करना पड़ता है, जो वर्क फ्रॉम होम के कारण और भी बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, औपचारिक रूप से काम करने के बावजूद खाना बनाना एवं बच्चों की देखभाल करना महिलाओं का ही काम माना जाता है।
- पितृसत्तात्मक विचारों को मजबूत करना: लोचशील कामकाजी व्यवस्था संबंधी विकल्पों का चयन करने वाली महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज़्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ऐसी उम्मीद की जाती है कि वे काम से ज़्यादा परिवार को प्राथमिकता दें।
आगे की राह
- कार्य व्यवस्था में सुधार: कार्य के बदलते स्वरूप के कारण प्रबंधन पद्धतियों, प्रणालियों और धारणाओं में परिवर्तन की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, प्रदर्शन निगरानी तंत्र।
- हाइब्रिड इकोसिस्टम: यह पारंपरिक और रिमोट वर्क की सर्वोत्तम कार्य पद्धतियों को अपनाते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- नीतिगत विचार: सरकारों और संगठनों को कार्य के बदलते स्वभाव के अनुरूप स्पष्ट नीतियां विकसित करनी चाहिए। इन नीतियों में जवाबदेही व गोपनीयता जैसे पहलुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए।
- अवसंरचना संबंधी विकास: रिमोट वर्क के लिए सभी स्थानों पर विश्वसनीय कनेक्टिविटी का होना आवश्यक है। दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए- 'स्मार्ट विलेज', भारतनेट आदि।