सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, वैश्विक स्तर पर विख्यात चिकित्सक व विद्वान रिचर्ड कैश का निधन हो गया। उन्होंने ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी (ORT) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी के बारे में

- ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी (ORT) के तहत डिहाइड्रेशन को रोकने या इस स्थिति को ठीक करने के लिए मुंह के माध्यम से उपयुक्त सॉल्यूशन्स दिए जाते हैं। इन सॉल्यूशन्स में ग्लूकोज, सोडियम क्लोराइड, सोडियम बाइकार्बोनेट और पोटेशियम क्लोराइड या साइट्रेट आदि शामिल होते हैं।
- ORT में शामिल हैं:
- रिहाइड्रेशन: पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की आपूर्ति करके शरीर में इसकी कमी को पूरा किया जाता है।
- मेंटेनेंस फ्लूइड थेरेपी: डिहाइड्रेशन दोबारा न हो, इसके लिए लगातार तरल और पोषक तत्व की आपूर्ति की जाती है।
- रिचर्ड कैश ने 1960 के दशक के अंत में बांग्लादेश में हैजा के रोगियों पर ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी (ORT) का पहला नैदानिक परीक्षण (Clinical trials) किया था।
- इससे प्रदर्शित किया कि कम लागत वाला यह उपाय प्रभावी और सुरक्षित रूप से इंट्रावेनस फ्लूइड (ड्रिप) की आवश्यकता को कम कर सकता है।
- दिलीप महालनोबिस एक भारतीय बाल रोग विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ थे। उन्होंने दस्त रोगों के इलाज के लिए ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) के उपयोग को बढ़ावा दिया और इसे लोकप्रिय बनाया।
- डायरिया और हैजा के उपचार में प्रभावी:
- डायरिया:
- बाल मृत्यु दर में कमी: ORT ने डायरिया से संबंधित बीमारियों से होने वाली मौतों में काफी कमी की है। 1990 के बाद से बाल मृत्यु दर में दो-तिहाई की कमी आई है।
- पोषण संबंधी प्रभाव: ORT बच्चों में डायरिया के चलते होने वाले पोषण संबंधी दुष्प्रभावों को कम करता है। यह बच्चों के विकास और वृद्धि को बनाए रखने में मदद करता है।
- हैजा: ORT हैजा के रोगियों के इलाज में काफी प्रभावी है। इसने हैजा से होने वाली मृत्यु दर को 50% से घटाकर 0.2% से भी कम कर दिया है।
- डायरिया:
- वयस्कों पर प्रभावशीलता: ओरल सॉल्यूशन लेने वाले रोगियों को अन्य तकनीकों की तुलना में इलाज के लिए 80% कम ड्रिप लगाने की आवश्यकता पड़ती है।
ORT कैसे काम करता है?
- ORT आंत के अंदर शर्करा और सोडियम के अवशोषण को नियंत्रित करने वाले आणविक (मॉलिक्यूलर) तंत्र के कारण प्रभावी होता है।
- आंत की परत बनाने वाली कोशिकाओं की सतह पर विशेष रिसेप्टर्स होते हैं जो शर्करा अणुओं को सक्रिय रूप से अवशोषित करने में सहायक होते हैं।
- कोशिकाओं के भीतर शर्करा और सोडियम की वृद्धि से जल एवं क्लोराइड आयनों का अवशोषण भी बढ़ जाता है।
इस संबंध में भारतीय पहलें
वैश्विक पहलें
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