गवर्नेंस और AI (GOVERNANCE AND AI) | Current Affairs | Vision IAS
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गवर्नेंस और AI (GOVERNANCE AND AI)

Posted 26 Dec 2024

Updated 31 Dec 2024

50 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, भारत का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डेटा बैंक शुरू किया गया। इसका उद्देश्य शोधकर्ताओं, स्टार्ट-अप्स और डेवलपर्स को स्केलेबल AI समाधानों के लिए विविध और समृद्ध डेटासेट उपलब्ध कराना है। 

अन्य संबंधित तथ्य 

  • यह सैटेलाइट, ड्रोन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) से प्राप्त डेटा का रियल-टाइम विश्लेषण प्रदान करेगा। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी। यह डेटा बैंक आपदा प्रबंधन और साइबर सुरक्षा के पूर्वानुमान हेतु डेटा विश्लेषण में AI का उपयोग करने के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है। 
  • इसके अतिरिक्त, भारत की राष्ट्रीय AI रणनीति स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, स्मार्ट सिटी और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में AI को आगे बढ़ाने के लिए एक सहयोगी, एथिकल गवर्नेंस और वैश्विक दृष्टिकोण अपना रही है।
    • भारत ने पिछले कुछ वर्षों में प्रौद्योगिकी-संचालित गवर्नेंस और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) में स्वयं को एक वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित किया है।
      • डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देता है और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार करता है। इससे देशों को राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने और सतत विकास लक्ष्यों को गति देने में मदद मिलती है। 
  • ये सभी समग्र रूप से गवर्नेंस प्रणाली और भारत में AI के साथ इसके जुड़ाव के लिए महत्वपूर्ण घटक हैं।

भारत में गवर्नेंस को नया रूप देने में AI की क्षमता 

  • कुशल सेवा वितरण: AI सार्वजनिक सेवाओं को स्वचालित कर सकता है, सरकारी कार्यभार को कम कर सकता है और सेवा की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, जैसे-
    • शिक्षा: AI पर्सनलाइज्ड लर्निंग को सक्षम करके, स्मार्ट सामग्री बनाकर तथा ग्रेडिंग और मूल्यांकन को स्वचालित करके भारत की शिक्षा प्रणाली को बदल सकता है।
      • उदाहरण के लिए- NCERT ने अपने NROER (नेशनल रिपॉजिटरी ऑफ ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज) रिपॉजिटरी में उपलब्ध प्रत्येक संसाधन के साथ टैग करने के लिए 31 मेटाडेटा एलिमेंट्स का एक सेट सूचीबद्ध किया है। 
    • स्वास्थ्य देखभाल: AI विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन के माध्यम से सेवा वितरण और पहुंच में सुधार करके स्वास्थ्य सेवा में बदलाव ला रहा है।
      • उदाहरण के लिए- नीति आयोग ने जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के साथ मिलकर कैंसर प्रबंधन में AI के प्रभावी उपयोग के लिए कैंसर से संबंधित रेडियोलॉजी और पैथोलॉजी इमेज का डेटाबेस बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
    • कृषि: AI मौसम, कीट प्रबंधन और संसाधन उपयोग के लिए पूर्वानुमानित अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जिससे किसानों को लाभ होता है। 
      • उदाहरण के लिए- राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करके फसल रोगों की पहचान में क्रांति ला रही है, जिससे किसानों को स्वस्थ फसलें उगाने में मदद मिल रही है।
  • समावेशिता और पहुंच: AI-संचालित DPI ने विशेष रूप से भारत जैसे बहुभाषी और विविधतापूर्ण देश में समावेशिता एवं पहुंच में सुधार किया है।
    • उदाहरण के लिए- भाषिणी प्लेटफॉर्म क्षेत्रीय भाषाओं में सरकारी सेवाएं प्रदान करने के लिए AI का उपयोग कर रहा है।
  • डेटा-संचालित नीति निर्माण: AI साक्ष्य-आधारित नीति निर्धारण, पारदर्शिता और नीतिगत प्रभावशीलता में सुधार के लिए बड़े डेटासेट का विश्लेषण कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए- इंडिया अर्बन डेटा एक्सचेंज के तहत यातायात प्रबंधन और अपशिष्ट निपटान जैसी शहरी सेवाओं को अनुकूलित करने के लिए AI का उपयोग किया जाता है। 
  • न्यायिक दक्षता: AI केस प्रबंधन को स्वचालित करके, मामलों को प्राथमिकता देकर, परिणामों की भविष्यवाणी करके और कानूनी अनुसंधान को सुव्यवस्थित करके न्यायिक दक्षता में सुधार कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए- कानूनी दस्तावेजों के अनुवाद के लिए SUVAS (सुप्रीम कोर्ट विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर) नामक एक AI-आधारित उपकरण का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कानूनी कार्यवाही में भाषा की बाधा कम हो रही है।
  • आपदा प्रबंधन: RAHAT/ राहत (रैपिड एक्शन फॉर ह्यूमैनिटेरियन असिस्टेंस) ऐप जैसे AI-संचालित सिस्टम प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करके और आपात स्थितियों के दौरान निकासी, खोज और बचाव कार्यों का समर्थन करके बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने में मदद करते हैं।

भारत में AI को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलें

  • राष्ट्रीय AI रणनीति (NSAI): नीति आयोग ने स्वास्थ्य देखभाल, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रकों में AI का उपयोग करने के लिए #AI फॉर ऑल रणनीति की शुरुआत की है।
  • AI पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (इंडिया AI): इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने AI के क्षेत्र में नवाचार एवं कौशल विकास को बढ़ावा देने तथा AI संबंधी नैतिक चिंताओं को दूर करने के लिए इंडिया AI कार्यक्रम की शुरुआत की है।
  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम: इस कानून का उद्देश्य व्यक्तियों के लिए डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना और AI से जुड़ी निजता संबंधी चिंताओं का समाधान करना है।
  • AI पर वैश्विक भागीदारी (Global Partnership on AI: GPAI): इसके तहत भारत AI रणनीतियों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप करने के लिए विश्व स्तर पर सहयोग कर रहा है।
  • कौशल विकास: रिस्पॉन्सिबल AI फॉर यूथ, फ्यूचर स्किल्स जैसे कार्यक्रम खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में AI शिक्षा का विस्तार कर रहे हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी: यूएस-इंडिया AI इनिशिएटिव स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में AI के संभावित उपयोगों का पता लगाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

 

गवर्नेंस के लिए AI को शामिल करने में चुनौतियां

  • सरकारी विभागों में डेटा का बिखराव: उदाहरण के लिए- राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क नीति (NDGFA) अभी तक लागू नहीं की गई है। ध्यातव्य है कि इस नीति का उद्देश्य डेटा-संचालित गवर्नेंस के लिए गैर-व्यक्तिगत और व्यक्तिगत पहचान से रहित डेटा प्रबंधन को मानकीकृत करना है। 
  • अवसंरचना की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में खराब इंटरनेट, स्टोरेज सिस्टम और कंप्यूटिंग के साथ-साथ AI के लिए मजबूत क्लाउड अवसंरचना की कमी डिजिटल डिवाइड की समस्या उत्पन्न करती है।
    • उदाहरण के लिए- IAMAI (इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के एक अध्ययन के अनुसार, 2023 तक भारत की 45% आबादी की अभी भी इंटरनेट तक पहुंच नहीं है।
  • विनियामक ढांचा: यूरोपीय संघ (EU) के AI अधिनियम के विपरीत, भारत में AI-विशिष्ट कानूनों का अभाव है। यह कमी नैतिकता, डेटा गोपनीयता और जवाबदेही के बारे में चिंताएं उत्पन्न करती है।
  • कौशल की कमी: NASSCOM की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1,40,000 AI पेशेवरों की कमी है। AI क्षेत्रक में प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी भारत की AI क्षमता को बाधित करती है।
  • डेटा गोपनीयता: AI के उपयोग के लिए संवेदनशील डेटा पर निर्भरता गोपनीयता के उल्लंघन का जोखिम बढ़ाती है, जैसे- डार्क वेब पर आधार (Aadhaar) डेटा लीक की घटना जिसकी वजह से 81.5 करोड़ भारतीयों की गोपनीयता प्रभावित हुई थी। 
  • कमजोर IP व्यवस्था: अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) सूचकांक, 2024 में भारत 42वें स्थान पर है। यह रैंक AI नवाचार के क्षेत्र में देश की कमजोर सुरक्षा और प्रोत्साहन को दर्शाता है।
  • नैतिक पूर्वाग्रह: पक्षपातपूर्ण डेटा पर प्रशिक्षित AI सिस्टम भेदभावपूर्ण परिणाम उत्पन्न कर सकता है। इससे निष्पक्षता और सटीकता के बारे में नैतिक चिंताएं बढ़ सकती हैं

आगे की राह 

  • जोखिम प्रबंधन और नैतिक निरीक्षण: AI सिस्टम में पूर्वाग्रह की समाप्ति और जोखिम प्रबंधन के लिए मानवीय निरीक्षण के साथ AI का निरंतर बदलते स्वरूप में मूल्यांकन व निगरानी की जानी चाहिए।
  • डेटा संप्रभुता और गोपनीयता: डेटा गोपनीयता और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम का पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। ऐसा खासकर सीमा-पार डेटा के लिए अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।
  • पूर्वाग्रह, निष्पक्षता और पारदर्शिता: AI सिस्टम को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए, हमें लेखा परीक्षण, फेयरनेस मेट्रिक्स, विविध डेटासेट और मॉडल कार्ड के माध्यम से उनकी जांच करनी चाहिए।
  • शिक्षा और कौशल विकास: वंचित क्षेत्रों में AI शिक्षा प्रदान करने के लिए INDIAai  फ्यूचरस्किल्स जैसी पहलों का विस्तार करना चाहिए।
  • सार्वजनिक-निजी सहयोग: INDIAai कंप्यूट कैपेसिटी का लक्ष्य AI स्टार्ट-अप्स और अनुसंधान में सहायता प्रदान करने के लिए 10,000+ GPU के साथ एक स्केलेबल AI इकोसिस्टम का निर्माण करना है।
  • साइबर सुरक्षा और निगरानी: रियल टाइम में खतरे का पता लगाने के लिए AI का उपयोग करना चाहिए और AI नीतियों को लगातार परिष्कृत करना चाहिए।

सहभागी AI विकास और गवर्नेंस 

  • आई.आई.टी.-मद्रास ने "AI विकास और गवर्नेंस में सहभागी दृष्टिकोण" शीर्षक से शोध-पत्र जारी किया।

सहभागी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (PAI) के बारे में

  • यह वास्तव में AI सिस्टम के निर्माण में केवल प्रौद्योगिकी डेवलपर्स की तुलना में अधिक हितधारकों की भागीदारी है।
    • सहभागी AI के मूल सिद्धांत सहभागी गवर्नेंस से प्राप्त होते हैं। 
  • जरूरत क्यों है: AI के क्षेत्र में निरंतर प्रगति हो रही है तथा सरकारी और निजी क्षेत्रकों द्वारा AI के उपयोग में बढ़ोतरी भी हो रही है। उदाहरण के लिए- सरकारी एजेंसियों द्वारा फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी को अपनाना, आदि। 
  • सहभागी AI के लाभ: 
    • AI उपयोग में एकतरफा और टॉप-डाउन निर्णय से बचाव: यह निर्णय को लागू करने में किसी संभावित विवादास्पद मुद्दे को दूर कर देता है।
    • समावेशन और निष्पक्षता को बढ़ावा: जिन समुदायों के लिए AI प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है उनके संबंध में पूर्वाग्रह, भेदभावपूर्ण आउटपुट जैसे जोखिमों को कम करता है।
    • फीडबैक लूप में मददगार: यह तकनीकी गड़बड़ियों को पहचानने और AI उपयोग के बाद इसके प्रभाव के आकलन में सहायक सिद्ध होता है।
    • AI सिस्टम की विश्वसनीयता को बढ़ाना: यह फॉल्स पॉजिटिव और फॉल्स नेगेटिव आउटपुट को कम करता है। इससे AI प्रणालियों को अधिक विश्वास के साथ अपनाया जा सकता है।
      • जब कोई AI मॉडल किसी बात को सत्य मानता है (जबकि वास्तव में वह असत्य होती है) तो इसे फॉल्स पॉजिटिव कहा जाता है। वहीं जब कोई AI मॉडल किसी बात को असत्य बताता है (जबकि वह वास्तव में सत्य होती है) तो इसे फॉल्स नेगेटिव कहा जाता है।
  • सहभागी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (PAI) से जुड़ी चुनौतियां:
    • को-ऑप्टेशन: अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए कुछ प्रमुख हितधारकों का इस सिस्टम पर वर्चस्व हो सकता है।
    • विशेष योग्यता नहीं रखने वालों की सीमित भागीदारी: मौजूदा AI गवर्नेंस मॉडल में मुख्य रूप से उद्योग प्रतिनिधियों, नौकरशाहों, चुनिंदा सिविल सोसाइटी जैसे विशेषज्ञों की भागीदारी देखी जाती है।
    • दिखावे के लिए या सांकेतिक सहभागिता: केवल नियमों या कानूनों के पालन के लिए AI मॉडल में अधिक हितधारकों की भागीदारी दिखाई जा सकती है।
    • पारदर्शिता से जुड़े विरोधाभास: बुरी नीयत वाले भागीदार एल्गोरिदम के बारे में साझा की गई जानकारी का दुरुपयोग कर सकते हैं।
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  • गवर्नेंस और AI
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