सुर्ख़ियों में क्यों?
भारत ने UNFCCC-CoP29 के पूरे सत्र में जलवायु वार्ता के संबंध में अपना रुख स्पष्ट किया।
विभिन्न पहलुओं पर भारत का रुख
- नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG): इसके लिए भारत ने प्रतिवर्ष 1.3 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य प्रस्तावित किया है। इसमें से 600 बिलियन डॉलर अनुदान या अनुदान समकक्ष संसाधनों से आने चाहिए।
- शमन (Mitigation):
- भारत ने मिटिगेशन वर्क प्रोग्राम (MWP) के दायरे में परिवर्तन और पेरिस समझौते के तहत तापमान संबंधी लक्ष्यों में बदलाव के प्रयासों का विरोध किया है।
- भारत ने विकसित देशों (अनुलग्नक I में शामिल देश) द्वारा 2020 से पहले के शमन संबंधी उपायों हेतु वित्त की उपलब्धता में कमी का मुद्दा उठाया है।
- जस्ट ट्रांजिशन:
- भारत ने यह स्पष्ट किया कि विकसित देशों को जस्ट ट्रांजिशन के लिए विकासशील देशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करनी चाहिए।
- जस्ट ट्रांजिशन में विकासशील देशों के विकास के अधिकार (Right To Development) और संधारणीय प्राथमिकताओं को पूरी मान्यता देनी चाहिए।
- ग्लोबल स्टॉकटेक:
- भारत ने पेरिस समझौते के फ्रेमवर्क का हवाला देते हुए ग्लोबल स्टॉकटेक परिणामों के लिए किसी भी फॉलो-अप मैकेनिज्म का विरोध किया है।
- वित्तीय मुद्दे पर कम ध्यान, संतुलन की कमी और शमन-केंद्रित होने के कारण भारत ने UAE डायलॉग टेक्स्ट की आलोचना की है।
- भारत ने वित्त और उत्सर्जन संबंधी प्रवृत्तियों के साथ UAE डायलॉग टेक्स्ट को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने के लिए विशिष्ट संशोधनों का प्रस्ताव रखा है।
- अनुकूलन (Adaptation):
- भारत ने अनुकूलन पर प्रगति को मापने के लिए स्पष्ट संकेतकों को सुनिश्चित करने को कहा है।
- संकेतकों की रिपोर्टिंग के लिए उपयोग किया जाने वाला डेटा केवल पक्षकारों (देशों) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों से लिया जाना चाहिए। भारत ने यह स्पष्ट किया कि इसके लिए तीसरे पक्ष के डेटाबेस का उपयोग नहीं होना चाहिए।
- भारत ने वैश्विक अनुकूलन लक्ष्य (Global Goal on Adaptation: GGA) पर कार्य जारी रखने के लिए बाकू रोड मैप की स्थापना का समर्थन किया है।
CoP29 के दौरान आयोजित किए गए विभिन्न आयोजनों में भारत की भागीदारी
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