भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध (INDIA-AUSTRALIA RELATIONS) | Current Affairs | Vision IAS
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भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध (INDIA-AUSTRALIA RELATIONS)

Posted 26 Dec 2024

Updated 31 Dec 2024

36 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, रियो डी जेनेरियो में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दूसरा 'भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्षिक शिखर सम्मेलन' आयोजित किया गया।

भारत-ऑस्ट्रेलिया शिखर सम्मेलन के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र

  • भारत-ऑस्ट्रेलिया नवीकरणीय ऊर्जा साझेदारी (REP) का शुभारंभ: इसका उद्देश्य सोलर फोटोवोल्टिक (PV), ग्रीन हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग के लिए रूपरेखा प्रदान करना है। 
  • ऑस्ट्रेलिया-भारत बिजनेस एक्सचेंज (AIBX) कार्यक्रम: दोनों पक्षों ने AIBX कार्यक्रम को 2024 से अगले चार और वर्षों के लिए बढ़ा दिया है।
    • AIBX को 2021 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य व्यवसायों को बाजार की जानकारी प्रदान करना और वाणिज्यिक साझेदारी को बढ़ावा देना है। 
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा-पत्र को 2025 में नवीनीकृत और मजबूत करने के लिए समझौता हुआ।

भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंधों का महत्त्व

  • रणनीतिक साझेदारी: दोनों देशों ने 2020 में व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए थे। साथ ही, दोनों देश क्वाड (QUAD) समूह के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता से निपटने में भी जुटे हैं।
    • उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया-भारत हिंद-प्रशांत महासागर पहल साझेदारी (AIIPOIP) हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग को बढ़ाने में सहायता करती है।
  • आर्थिक और व्यापार संबंध: द्विपक्षीय व्यापार 2023 में 30 बिलियन डॉलर को पार कर गया।  दोनों देशों के मध्य हुए 'आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता (ECTA)' से इसमें और वृद्धि होने का अनुमान है।
    • ऑस्ट्रेलियाई कोयला और द्रवीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) के लिए भारत एक महत्वपूर्ण बाजार है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया भारत से वस्त्र, फार्मास्यूटिकल्स और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सेवाओं का आयात करता है।
    • भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (SCRI) की शुरुआत की गई है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाना तथा न्यायसंगत और संधारणीय व्यापार पद्धतियों को बढ़ावा देना है।
  • महत्वपूर्ण (क्रिटिकल) खनिज: दोनों पक्षों ने क्रिटिकल मिनरल्स इन्वेस्टमेंट पार्टनरशिप पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य ऑस्ट्रेलियाई क्रिटिकल मिनरल्स परियोजनाओं में भारतीय निवेश को बढ़ावा देना है। 
    • ऑस्ट्रेलिया विश्व में लगभग 50 प्रतिशत लिथियम का उत्पादन करता है। साथ ही, वह कोबाल्ट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और दुर्लभ भू-धातुओं (रेयर अर्थ एलिमेंट्स) का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • हरित ऊर्जा सहयोग:
    • ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया-इंडिया ग्रीन हाइड्रोजन टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
    • सोलर फोटोवोल्टिक (PV) प्रणालियों की स्थापना में तेजी लाने और उनकी आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ाने के लिए भारत-ऑस्ट्रेलिया सोलर टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
  • रक्षा सहयोग: 
    • एयर टू एयर रिफ्यूलिंग एग्रीमेंट और म्यूच्यूअल लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 
    • दोनों देश ऑस्ट्राहिन्द (AUSTRAHIND), ऑसिन्डेक्स (AUSINDEX), पिच ब्लैक (Pitch Black) जैसे सैन्य अभ्यास आयोजित करते हैं। ये अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करते हैं तथा सामूहिक सुरक्षा के खतरों से प्रभावी तरीके से निपटने में मदद करते हैं।
  • क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग: ऑस्ट्रेलिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की उम्मीदवारी का समर्थन करता है। यह स्थिति ग्लोबल गवर्नेंस व्यवस्था में सुधारों के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
    • इसके अतिरिक्त, दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए G-20 और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे फ़ोरम्स पर सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं।
  • लोगों के बीच संपर्क: ऑस्ट्रेलिया में कुशल प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की है। साथ ही, ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के मामले में भारतीय छात्र दूसरे स्थान पर हैं।
    • भारत-ऑस्ट्रेलिया ने प्रवासन और आवाजाही साझेदारी समझौता (MMPA) पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे दोनों के बीच छात्रों, पेशेवरों, शोधकर्ताओं, आदि की आवाजाही में सुविधा होगी।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: कोको द्वीप में ट्रांसपोर्टेबल टेलीमेट्री टर्मिनल्स स्थापित किए जा रहे हैं और उन्हें चलाने के लिए सहयोग किया जा रहा है। इन टर्मिनल्स की स्थापना मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए की जा रही है। 

भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में विद्यमान चुनौतियां

  • व्यापार और बाजार पहुंच: व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA) वार्ता में देरी तथा सैनिटरी एवं फाइटोसैनिटरी मानकों के पालन से जुड़े मुद्दे और तकनीकी बाधा जैसी गैर-व्यापारिक बाधाएं ऑस्ट्रेलिया में भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने में प्रमुख चुनौतियां बनकर उभरी हैं।
    • ऑस्ट्रेलिया में दवाओं, खासकर जेनरिक दवाओं, के मूल्य पर सरकार का नियंत्रण होता है, जिससे भारतीय दवा कंपनियों के लिए ऑस्ट्रेलियाई बाजार में प्रवेश करने में मुश्किल होती है।
  • चरमपंथ और भारत विरोधी गतिविधियों में वृद्धि: ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी समर्थकों का बढ़ता प्रभाव सामुदायिक संबंधों में तनाव उत्पन्न कर सकता है। इससे द्विपक्षीय संबंध भी प्रभावित हो सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए- मेलबर्न में हरे कृष्ण मंदिर और श्री शिव विष्णु मंदिर में तोड़फोड़ की घटनाएं।
  • परमाणु ऊर्जा सहयोग में रुकावट: 2014 में दोनों देशों ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए एक समझौता किया था। इसके बावजूद इस मामले में धीमी प्रगति हुई है और भारत को यूरेनियम की वाणिज्यिक बिक्री न होने से स्वच्छ ऊर्जा में सहयोग सीमित हो गया है।
    • वाणिज्यिक रूप से लाभकारी नहीं होने के कारण भारत ने ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों के यूरेनियम आपूर्ति प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया था।
  • वीजा से जुड़ी चिंताएं: हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने वीजा शुल्क में लगभग 125% की वृद्धि की है। इससे भारतीय छात्रों पर आर्थिक दबाव बढ़ सकता है।

आगे की राह

  • आर्थिक और व्यापार भागीदारी: ECTA को मजबूत करने और CECA पर वार्ता पूरी करने पर जोर देने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त, स्वच्छ ऊर्जा, खनन, प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रकों में द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देना चाहिए।
  • सामरिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना: साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा तथा आतंकवाद-रोधी सहित परंपरागत और गैर-परंपरागत सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करना: आसियान (ASEAN) और पैसिफिक आइलैंड फोरम जैसे क्षेत्रीय संगठनों के तहत सहयोग बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा किसी देश के एकतरफा प्रभावों को प्रतिसंतुलित करने के लिए लघु द्वीपीय देशों में विकास पहलों का समर्थन करना चाहिए।
  • उग्रवाद से निपटना: संयुक्त निगरानी और खुफिया जानकारी साझा करने जैसे द्विपक्षीय तंत्रों को मजबूत करना चाहिए तथा सामुदायिक संवाद को बढ़ावा देना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत और ऑस्ट्रेलिया, दोनों देश वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के साथ-साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनावों का सामना कर रहे हैं। इसलिए पारस्परिक साझेदारी से दोनों देशों को लाभ होगा, समुद्री एवं सामरिक सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान और लोगों की आवाजाही को बढ़ावा मिलेगा।

  • Tags :
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध
  • INDIA-AUSTRALIA RELATIONS
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