हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल प्रणाली (Electoral College system) के माध्यम से आयोजित किया गया।
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव बनाम भारत के राष्ट्रपति का चुनाव
मानदंड
संयुक्त राज्य अमेरिका
भारत
निर्वाचक मंडल की संरचना
अमेरिकी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे नागरिकों द्वारा नहीं किया जाता। नागरिक इलेक्टोरल कॉलेज के 538 सदस्यों यानी इलेक्टर्स (निर्वाचक) को चुनते हैं।
538 सदस्यीय इलेक्टोरल कॉलेज यानी निर्वाचक मंडल में सीनेट के लिए 100 इलेक्टर्स (सदस्य), हाउस ऑफ़ रिप्रेजेन्टेटिव के लिए 435 इलेक्टर्स तथा डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया के लिए 3 इलेक्टर्स चुने जाते हैं। ये इलेक्टर्स ही वास्तव में अमेरिकी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।
राज्यों में निर्वाचकों की संख्या अलग-अलग होती है। प्रत्येक राज्य को उतने ही निर्वाचक (इलेक्टर्स) मिलते हैं जितने उसके कांग्रेस (सदन और सीनेट) में सदस्य या प्रतिनिधि होते हैं। राज्यों को उनकी जनसंख्या के आधार पर निर्वाचकों की संख्या प्रदान की गई है।
चुनाव के बाद प्रत्येक निर्वाचक एक वोट डालता है, जो उम्मीदवार कुल 538 इलेक्टर्स में से आधे से अधिक (270) वोट प्राप्त करता है, वह संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाता है।
भारत में भी राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। इस निर्वाचक मंडल में निम्नलिखित सदस्य शामिल होते हैं-
संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य, और
राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य।
इसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य भी शामिल होते हैं।
70वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत, राष्ट्रपति चुनाव के लिए दिल्ली और पुडुचेरी विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों को निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया था।
नोट: संसद के दोनों सदन तथा राज्य विधान सभाओं के नामांकित या मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल नहीं होते हैं।
शासी अधिनियम/ नियम
प्रत्येक राज्य अपने स्वयं के चुनाव नियम बनाता है, जो अमेरिका की विकेंद्रीकृत प्रणाली को दर्शाता है। अमेरिका में अलग-अलग राज्य अपनी चुनावी प्रक्रियाओं की देखरेख और प्रबंधन करते हैं।
राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952
नामांकन प्रक्रिया
उम्मीदवार प्राइमरीज़ और कॉक्सेस के माध्यम से पार्टी नामांकन सुरक्षित करते हैं।
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नामांकन पत्र, प्रस्तावक के रूप में कम-से-कम 50 निर्वाचकों और अनुमोदकों के रूप में कम-से-कम 50 निर्वाचकों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए।
चुनाव पद्धति
अधिकतर राज्य विनर-टेक-ऑल दृष्टिकोण का पालन करते हैं। इसके तहत यदि किसी राष्ट्रपति उम्मीदवार (की पार्टी) को किसी राज्य में बहुमत मिलता है, तो उस उम्मीदवार को उस राज्य को आवंटित सभी इलेक्टोरल वोट प्राप्त हो जाते हैं।
उदाहरण: कैलिफोर्निया राज्य को इलेक्टोरल कॉलेज के 54 इलेक्टर्स आवंटित हैं। यदि उस राज्य में किसी राष्ट्रपति के उम्मीदवार को सबसे अधिक लोगों का वोट प्राप्त होता है तो उसे सभी 54 इलेक्टर्स मिल जाते हैं।
हालांकि, मेनऔर नेब्रास्का राज्यों में यह प्रणाली थोड़ी अलग है। वहां आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली अपनाई गई है।
उम्मीदवार पॉपुलर वोट (सर्वाधिक मत) में जीत के बिना भी राष्ट्रपति का चुनाव जीत सकता है।
उदाहरण के लिए- 2016 में डोनाल्ड ट्रंप की जीत।
एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली द्वारा चुनाव संपन्न होता है। राष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान होता है।
जीतने के लिए उम्मीदवार को कुल डाले गए वोटों का 50% + 1 हासिल करना होता है।
मतगणना प्रक्रिया
मतदान प्रक्रिया पूरी होने में बहुत अधिक समय लगता है। कागजी मतपत्र (पेपर बैलेट) को और घर से मेल-इन वोट (भारतीय डाक मतपत्रों की तरह) गिनने में काफी समय लगता है।
मतपत्रों की गणना में अधिक समय नहीं लगता है।
चुनाव कब आयोजित होता है
प्रत्येक 4 वर्ष में एक निश्चित समय पर।
हर 5 साल में (या असाधारण मामलों में पहले)।
रनिंग मेट
राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार एक संभावित साथी (उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार) चुनता है।