सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, भारत ने COP29 में आयोजित द्वितीय वार्षिक उच्च-स्तरीय मंत्रीस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में ग्लोबल क्लाइमेट जस्टिस और समान कार्रवाई की वैश्विक आवश्यकता पर बल दिया है।
जस्ट ट्रांजिशन के बारे में
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार जस्ट ट्रांजिशन का अर्थ: अर्थव्यवस्था को इस तरीके से हरित बनाना, जो सभी के लिए निष्पक्ष और समावेशी हो, गरिमापूर्ण रोजगार के अवसर प्रदान करे और किसी को भी पीछे न छोड़े। इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी लोगों को जस्ट ट्रांजिशन का लाभ और रोजगार के अच्छे अवसर मिलें।
- यह समतापूर्ण, समावेशी और निष्पक्षता सुनिश्चित करते हुए उच्च कार्बन उत्सर्जन वाली असंधारणीय प्रणालियों से निम्न कार्बन उत्सर्जन वाली संधारणीय अर्थव्यवस्थाओं की ओर स्थानांतरित होने की प्रक्रिया है।
- इसे स्कॉटलैंड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में सहमत जस्ट ट्रांजिशन घोषणा-पत्र द्वारा मान्यता दी गई है।
- इसके प्रमुख घटकों में शामिल हैं:
- समानता: इसमें विशेष रूप से जीवाश्म ईंधन और अन्य उच्च कार्बन उत्सर्जन वाले उद्योगों पर निर्भर श्रमिकों एवं समुदायों के अधिकारों तथा आजीविका की रक्षा करना शामिल है।
- समावेशन: यह सुनिश्चित करना कि निर्णय लेने में सभी संबंधित हितधारक, जैसे- श्रमिक, सरकारें, उद्योग और नागरिक समाज शामिल हों।
- संधारणीयता: आर्थिक और सामाजिक प्रणालियों को इस तरीके से अनुकूलित करना कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

जस्ट ट्रांजिशन की आवश्यकता क्यों हैं?
- श्रमिकों पर प्रभाव: ILO के अनुसार, 2030 तक 24 मिलियन नए हरित रोजगार सृजित हो सकते हैं, तथा कार्बन-गहन उद्योगों में 6 मिलियन नौकरियां समाप्त हो सकती हैं।
- जलवायु परिवर्तन शमन: ऊर्जा क्षेत्रक से उत्सर्जन में होने वाली कमी पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की मात्रा वर्ष 2025 से पहले अपने चरम पर पहुंच जाएगी तथा 2030 तक इसमें 43% की कमी करनी होगी।
- ऊर्जा सुरक्षा: अक्सर भू-राजनीतिक तनावों और मूल्य में उतार-चढ़ाव के कारण जीवाश्म ईंधनों की आपूर्ति अस्थिर हो जाती है। ऐसे में विविध नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने से जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता में कमी आती है।
- असंतोष से बचना: उदाहरण के तौर पर निम्न आय वर्ग पर असमान प्रभाव डालने वाले जलवायु उपायों के खिलाफ 2018 में फ्रांस में येलो वेस्ट प्रदर्शन किए गए थे।
जस्ट ट्रांजिशन के समक्ष चुनौतियां
- ट्रांजिशन संबंधी उच्च लागत: उदाहरण के लिए- जस्ट ट्रांजिशन, जस्ट फाइनेंस रिपोर्ट के अनुसार, भारत को कोयला खनन और तापीय ऊर्जा क्षेत्रकों में ट्रांजिशन के लिए अगले तीन दशकों में एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की आवश्यकता होगी।
- क्षेत्रीय असमानताएं: जिन क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था कोयला जैसे उद्योगों पर निर्भर है, जैसे दक्षिण अफ्रीका के म्पुमलंगा या भारत के झारखंड, उनके पास अपनी अर्थव्यवस्था को विविध बनाने के लिए कम संसाधन हैं। इससे ट्रांजिशन की तैयारी के मामले में असमानताएं देखने को मिल सकती हैं।
- ऊर्जा की सुरक्षा और सुलभता: कोयला आधारित बिजली की विकासशील देशों में विकास संबंधी उद्देश्यों और उनके नागरिकों के लिए ऊर्जा को सुलभ एवं किफायती बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
- उदाहरण के लिए- भारत में कोयला लगभग 55% वाणिज्यिक ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करता है। साथ ही, 70% से अधिक बिजली का उत्पादन कोयला आधारित तापीय बिजली संयंत्र (TPP) करते हैं।
- आर्थिक नुकसान: अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, ग्रीन ट्रांजिशन की दिशा में बढ़ने के चलते आर्थिक रूप से अव्यवहार्य हो चुकी जीवाश्म ईंधन परिसंपत्तियों के मामले में नुकसान हो सकता है।
- उदाहरण के लिए- सऊदी अरब ने अपने 2022 के बजट राजस्व का 68% हिस्सा तेल से प्राप्त किया।
- असमान प्रभाव: यू.एन. वीमेन, 2023 के अनुसार, अनौपचारिक और कम कार्बन वाली नौकरियों में महिलाओं की संख्या अधिक है। इससे हरित क्षेत्रों में उनके लिए अवसर सीमित हो सकते हैं।
- अन्य मुद्दे: इसमें अवसंरचना से जुड़ी चुनौतियां जैसे कि ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना; प्रौद्योगिकी के पर्याप्त हस्तांतरण का अभाव; आदि शामिल हैं।
जस्ट ट्रांजिशन के लिए उठाए गए कदमभारत में
वैश्विक स्तर पर
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आगे की राह
- कोयले का खनन बंद होने और इनका अन्य उद्देश्यों के लिए पुनः उपयोग की स्वतंत्र निगरानी करने तथा ट्रांजिशन के लाभों एवं लागतों का उचित वितरण सुनिश्चित करने के लिए नेशनल जस्ट ट्रांजिशन बॉडी की स्थापना की जानी चाहिए।
- जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप (JETP), ग्रीन बॉण्ड जैसे साधनों के माध्यम से संधारणीय वित्त-पोषण की संभावना तलाश करनी चाहिए।
- बैंकों और बहुपक्षीय संस्थाओं को अधिक अनुदान, रियायती ऋण आदि प्रदान करके वित्तीय प्रतिबद्धता बढ़ानी चाहिए।
- सामाजिक अवसंरचना का संरक्षण कर और उसे अपग्रेड करना चाहिए। उदाहरण के लिए, कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली नौकरियों में लगे औपचारिक श्रमिकों के लिए मुआवजा पैकेज शुरू करना चाहिए। जैसे कि सेवा की समाप्ति पर आर्थिक क्षतिपूर्ति पैकेज, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS), आदि।
- नई, संधारणीय नौकरियों के सृजन के लिए रणनीति विकसित करना तथा एनर्जी ट्रांजिशन से प्रभावित श्रमिकों के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण और पुनः कौशल कार्यक्रम की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।
- योजना और निर्णय लेने की प्रक्रिया में सभी प्रभावित समूहों, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले और कमजोर समुदायों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना चाहिए।
- ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन प्रणालियों को अपग्रेड करके हरित ऊर्जा अवसंरचना का विकास और उसमें वृद्धि करनी चाहिए।