केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी प्रमुख पहल अटल नवाचार मिशन (AIM 2.0) को 2,750 करोड़ रुपये के आवंटित बजट के साथ जारी रखने की मंजूरी दी है। साथ ही, इसके कार्यक्षेत्र का विस्तार किया गया है।
उद्देश्य
मुख्य विशेषताएं
नवाचार और उद्यमिता इकोसिस्टम को विकसित व प्रोत्साहित करना।
अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रकों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नए कार्यक्रम और नीतियां तैयार करना।
संबंधित हितधारकों की सहायता के लिए एक प्लेटफॉर्म के तौर पर कार्य करना और आवश्यक सहयोग करना।
देश के नवाचार और उद्यमिता इकोसिस्टम पर नज़र रखने के लिए एक अम्ब्रेला व्यवस्था का निर्माण करना।
विश्व में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना।
कार्यान्वयन एजेंसी: नीति आयोग
योजना की अवधि: 31 मार्च, 2028 तक
AIM 2.0 से वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को और अधिक बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
AIM 1.0 के तहत उन कार्यक्रमों को लागू किया गया था, जो भारत में उस समय के शुरुआती नवाचार इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिएनवाचार अवसंरचना का सृजन कर सके।
इसे 2016 में शुरू किया गया था।
AIM 1.0 के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए चार कार्यक्रम शुरू किए गए: अटल टिंकरिंग लैब्स; अटल इनक्यूबेशन सेंटर्स; अटल न्यू इंडिया चैलेंज और अटल ग्रैंड चैलेंज; तथा मेंटर इंडिया।
AIM 2.0 का लक्ष्य नवाचार इकोसिस्टम की कमियों को दूर करना है। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों, उद्योग जगत, शैक्षिक संस्थानों, और समुदाय के साथ मिलकर सफलता को गति देने के लिए नई पहलें डिजाइन की गई हैं।
योजना के तहत उद्यमिता इकोसिस्टम में सुधार करने के तरीके
इनपुट बढ़ाना: इसके तहत अधिक इनोवेटर्स और उद्यमियों को प्रोत्साहित करने हेतु निम्नलिखित पहलें शामिल हैं:
भाषा समावेशी नवाचार कार्यक्रम (Language Inclusive Program of Innovation: LIPI): इसके तहत भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में नवाचार और उद्यमिता इकोसिस्टम का निर्माण किया जाएगा। इसका उद्देश्य अंग्रेजी नहीं बोलने या समझने वाले इनोवेटर्स, उद्यमियों और निवेशकों की शुरुआती बाधाओं को दूर करना है।
मौजूदा इनक्यूबेटरों में 30 वर्नाक्युलर इनोवेशन सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
फ्रंटियर प्रोग्राम: इसके तहत जम्मू और कश्मीर (J&K), लद्दाख, पूर्वोत्तर राज्यों, आकांक्षी जिलों और आकांक्षी ब्लॉकों के नवाचार और उद्यमिता इकोसिस्टम के लिए कस्टमाइज़्ड यानी अनुकूलित टेम्पलेट बनाया जाएगा।
टेम्पलेट बनाने के लिए 2,500 नए अटल टिंकरिंग लैब्स (ATLs) स्थापित किए जाएंगे।
सफलता दर या 'थ्रूपुट' में सुधार करना: इसमें स्टार्ट-अप्स को अधिक सफल बनाने में सहायता के लिए निम्नलिखित पहलें शामिल हैं:
मानव पूंजी विकास कार्यक्रम: इसका उद्देश्य भारत के नवाचार इकोसिस्टम को बनाए रखने के लिए प्रबंधकों, शिक्षकों और प्रशिक्षकों जैसे पेशेवरों को तैयार करना है।
डीप टेक रिएक्टर: इसके तहत एक एक रिसर्च सैंडबॉक्स बनाया जाएगा। यह शोध-आधारित डीप टेक स्टार्ट-अप्स के उत्पादों को व्यावसायिक बनाने के तरीकों का परीक्षण करेगा। यह उन स्टार्ट-अप्स की मदद करेगा जिन्हें अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में अधिक समय और अधिक निवेश की आवश्यकता पड़ती है।
राज्य नवाचार मिशन (State Innovation Mission - SIM): इसका उद्देश्य राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी विशेषज्ञता या मजबूत क्षेत्रों पर केंद्रित एक जीवंत और विकसित नवाचार एवं उद्यमिता इकोसिस्टम बनाने में सहायता करना है।
SIM, नीति आयोग के राज्य समर्थन मिशन (State Support Mission) का एक घटक होगा।
अंतर्राष्ट्रीय नवाचार सहयोग कार्यक्रम (International Innovation Collaborations Program): इसका उद्देश्य भारत के नवाचार और उद्यमिता इकोसिस्टम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाना है। इसके तहत कार्रवाई के चार क्षेत्रों की पहचान की गई है:
वार्षिक ग्लोबल टिंकरिंग ओलंपियाड द्वारा नवाचार को प्रोत्साहन देना।
उन्नत देशों के साथ 10 द्विपक्षीय और बहुपक्षीय साझेदारी करना।
AIM और इसके कार्यक्रमों (अटल टिंकरिंग लैब्स; अटल इनक्यूबेशन सेंटर्स) के मॉडल को ग्लोबल साउथ के देशों में विस्तार करने हेतु ज्ञान भागीदार के रूप में संयुक्त राष्ट्र के विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) की मदद करना, और
भारत के लिए G20 के स्टार्टअप20 एंगेजमेंट ग्रुप का नेतृत्व करना।
'आउटपुट' की गुणवत्ता सुधारना: रोजगार के बेहतर अवसर, बेहतर उत्पाद और बेहतर सेवाओं का सृजन करना।
इंडस्ट्रियल एक्सेलेरेटर प्रोग्राम: उन्नत स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योग जगत की भागीदारी बढ़ाना।
महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 10 से अधिक इंडस्ट्रियल एक्सेलेरेटर सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) मॉडल के तहत बनाए जाएंगे।
अटल सेक्टोरल इनोवेशन लॉन्चपैड (ASIL) प्रोग्राम: इसका उद्देश्य प्रमुख उद्योग क्षेत्रों के स्टार्ट-अप्स को एकीकृत करने और उनके उत्पादों/सेवाओं को खरीदने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों में इनोवेशंस फॉर डिफेन्स एक्सीलेंस (iDEX) जैसे प्लेटफॉर्म्स विकसित करना है।
कम-से-कम 10 लॉन्चपैड प्रमुख मंत्रालयों में तैयार किए जाएंगे।