सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, भारत और इटली के प्रधानमंत्रियों ने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक की। द्विपक्षीय बैठक के दौरान संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025-2029 की घोषणा की गई।
भारत-इटली संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- आर्थिक सहयोग और निवेश:

- इसके तहत ऑटोमोटिव, सेमीकंडक्टर, अवसंरचना और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग में साझेदारी को बढ़ावा दिया जाएगा।
- आर्थिक सहयोग के लिए संयुक्त आयोग तथा खाद्य प्रसंस्करण पर संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को मजबूत किया जाएगा।
- कनेक्टिविटी: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) पहल के तहत समुद्री और भूमि आधारित अवसंरचना पर सहयोग बढ़ाया जाएगा।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: दोनों देशों ने वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग के लिए एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम 2025-27 के कार्यान्वयन के माध्यम से AI एवं डिजिटलीकरण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है।
- शैक्षिक एवं औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नया इंडो-इटालियन इनोवेशन एवं इनक्यूबेशन एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू किया गया है।
- अंतरिक्ष क्षेत्रक: भू-अवलोकन, हेलियोफिजिक्स और अंतरिक्ष अन्वेषण पर इटैलियन स्पेस एजेंसी (ASI) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बीच सहयोग का विस्तार किया जाएगा। इसमें लूनर साइंस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- एनर्जी ट्रांजिशन: दोनों देश 'टेक समिट' आयोजित करने तथा ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस और इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसे गठबंधनों को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं।
- रक्षा सहयोग: रक्षा मामलों में समन्वय बढ़ाने के लिए वार्षिक संयुक्त रक्षा परामर्शदात्री (JDC) बैठकें और संयुक्त स्टाफ वार्ता ( JST) आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
- रक्षा विनिर्माण में सहयोग बढ़ाने के लिए रक्षा औद्योगिक रोडमैप बनाने पर चर्चा की गई।
भारत-इटली संबंध के बारे में
- ऐतिहासिक संबंध: प्राचीन स्पाइस रुट्स पर इटली के कई बंदरगाह शहर वास्तव में महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र की भूमिका निभाते थे।
- 13वीं शताब्दी में वेनिस के प्रसिद्ध व्यापारी मार्को पोलो ने अपनी पूर्व की यात्रा के दौरान भारत का भ्रमण किया था।
- रणनीतिक संबंध:
- 2023 में दोनों देश रणनीतिक साझेदार बने थे। इसके तहत हिंद-प्रशांत और भूमध्य सागर क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया जा रहा है। हिंद-प्रशांत महासागर पहल ( IPOI) और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) जैसी पहलों में इटली भी शामिल है।
- 2023 में चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से इटली बाहर हो गया था। वह इस पहल में 2019 शामिल हुआ था। तब वह BRI में शामिल होने वाला G-7 का एकमात्र सदस्य था।
- आर्थिक संबंध:
- इटली यूरोपीय संघ में भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। प्रथम तीन स्थानों पर जर्मनी, बेल्जियम और नीदरलैंड हैं।
- 2023-24 में भारत और इटली के बीच द्विपक्षीय व्यापार 14.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। इसमें भारत से इटली को 8.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात शामिल है।
- अप्रैल, 2000 से लेकर जून, 2024 तक भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में इटली 18वें स्थान पर था।
- रक्षा एवं सुरक्षा: दोनों देशों ने 2023 में रक्षा सहयोग समझौता पर हस्ताक्षर किए थे। इसका उद्देश्य अनुसंधान, औद्योगिक सहयोग और समुद्री क्षेत्र जागरूकता में सहयोग बढ़ाना है। इसके अलावा दोनों देश इटली-भारत सैन्य सहयोग समूह जैसे फ़ोरम के माध्यम से नियमित वार्ता आयोजित करते हैं।
- दोनों देश संयुक्त राष्ट्र, वैश्विक आतंकवाद-रोधी मंच (GCTF) और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) जैसे बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से आतंकवाद से निपटने में सहयोग करते हैं।
- पर्यावरण एवं जलवायु: भारत के नेतृत्व में शुरू की गई अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (GBA) जैसी पहलों में इटली भी शामिल है।

- दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क: यूरोपीय संघ के देशों में इटली में दूसरा सबसे अधिक इंडियन डायस्पोरा समुदाय रहता है। इटली में इनकी संख्या लगभग 2 लाख है। इनमें भारतीय मूल के लोग (PIOs) भी शामिल हैं।
- भारत और इटली ने 2023 में प्रवासन और आवाजाही समझौता पर हस्ताक्षर किए थे। इसका उद्देश्य भारतीय छात्रों को स्नातक के बाद इटली में 12 महीने तक अस्थायी निवास की सुविधा प्रदान करना है।
- अन्य उभरते क्षेत्र: हाल ही में ब्लू एवं स्पेस इकोनॉमी कांफ्रेंस आयोजित किया गया था। इसमें इटली और भारत के संस्थान एवं कंपनियों ने भाग लिया था। इसमें दोनों पक्षों ने अंतरिक्ष और ब्लू इकोनॉमी में सहयोग पर चर्चा की।
- इससे पहले, इटली और भारत ने चंद्रयान-2 मिशन के विकास में सहयोग किया था। इस स्पेसक्राफ्ट के साथ इटैलियन स्पेस एजेंसी द्वारा विकसित एक लेजर उपकरण भी भेजा गया था।
आगे की राह
- संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025-2029 का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए। इसमें विशेष रूप से रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रकों में सहयोग बढ़ाने पर बल देना चाहिए।
- प्रशांत महासागर में चीन के बढ़ते प्रभुत्व से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए भारत की एक्ट ईस्ट नीति को यूरोपीय संघ की हिंद-प्रशांत रणनीति के साथ समन्वयित किया जाना चाहिए। इटली का हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) में शामिल होना सही दिशा में उठाया गया कदम है।
- 'यूरोपीय संघ-भारत FTA' को शीघ्र पूरा करना चाहिए। इसके अलावा कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मेकेनिज्म (CBAM) जैसी गैर-प्रशुल्क बाधाओं को समाप्त करने पर विचार करना चाहिए।
- आतंकवाद व जलवायु परिवर्तन जैसी साझा चुनौतियों से निपटने के लिए G-20, G-7 और यूरोपीय संघ जैसे बहुपक्षीय फ़ोरम का लाभ उठाना चाहिए।
- दोनों देशों को महोत्सव, पर्यटन और शैक्षिक साझेदारियों के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान और एक-दूसरे देश के लोगों के बीच विचार-विनिमय को बढ़ावा देना चाहिए। इससे आपसी विश्वास में कमी को दूर किया जा सकेगा। इसके अलावा कुशल श्रमिकों की कमी को देखते हुए भारतीयों को इटली में कार्य करने की अनुमति देनी चाहिए। इससे इटली को "डेमोग्राफिक विंटर" की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
डेमोग्राफिक विंटर से आशय जन्म दर में कमी से है। इससे देश की आबादी में वृद्ध (आश्रित) लोगों का अनुपात बढ़ जाता है।